निकाय चुनाव में दूल्हे की तरह तुनके है नगर के मतदाता
[जितेंद्र तिवारी-ब्यूरो रिपोर्ट]
[निकाय चुनाव का महासंग्राम]
चौपाल की खबर-:सर्द मौसम की दस्तक के साथ ही नगर निगम और पंचायत चुनाव की सरगर्मी बढ़ रही है।मेयर और चेयर मैन के चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है।नगर पंचायतो में चौराहे,होटलो से लेकर गली मोहल्लों में सियासी चर्चा जोरो पर है।मतदाताओ को अपने पक्ष में रिझाने के लिए प्रत्याशियो ने मतदाताओ की गणेश परिक्रमा शुरू कर दी है।लेकिन नगरों के मतदाता अभी ऐसे तुनके है जैसे मड़ये मा बैठा हुआ दूल्हा।
उत्तर प्रदेश के चुनावी इतिहास में इस बार का निकाय चुनाव कई मायने में अलग है।पहली बार अयोध्या और मथुरा-वृंदावन को मिलाकर कुल 16 नगर निगम क्षेत्रों में चुनाव होंगे।बीते डेढ़ दशक में यह भी पहली बार होगा कि सभी प्रमुख राजनीतिक दल स्थानीय निकाय चुनावों में अपने चुनाव चिन्ह पर दम ठोकेंगे।
बता दे सूबे में इस बार 16 नगर निगम, 199 नगर पालिका परिषद, 438 नगर पंचायत में सवा तीन करोड़ से अधिक मतदाता लोकसभा चुनाव के महासमर से पहले राजनीतिक दलों की रणनीति पर अपना फैसला सुनाएंगे।इन चुनावों के जरिए एक ओर जहां सत्तारूढ़ भाजपा विधानसभा चुनावों में अपने स्वप्निल प्रदर्शन को बरकरार रखने की कोशिश करेगी, वहीं विपक्षी पार्टियों के लिए यह चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले खोयी प्रतिष्ठा हासिल करने का एक अवसर भी है।