November 21, 2024

चौपाल परिवार की ओर से आज का प्रातः संदेश

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साथियों-:
======हमारे धर्मग्रंथों में एक सूक्ति लिखी मिलती है — “अति सर्वत्र वर्जयेत” ! अर्थात अधिकता हर चीज की घातक ही होती है।आज का मनुष्य समझदार होने के साथ – साथ अभी भी कहीं कहीं अंधविश्वासी बनकर क्रिया कलाप करने लगता है।आदिकाल से चली आ रहीं कुछ कुरीतियों एवं भ्रांतियों के सच को जाने बिना उन पर अमल करना ही अंधविश्वास है।आदिवासियों में मांसाहार का प्रचल रहा है।तो वे किसी देवी या देवता के नाम पशुबलि देके स्वयं प्रसाद ले लिया करते थे।आज भी कहीं कहीं हमारे सभ्य के चौधरी भी पशुबलि से देवी – देवताओं को प्रसन्न करने का दिखावा करते हुए एक आयोजन के रूप में मांस – मदिरा उड़ा रहे है।जनता इन पुजारियों के भय से हाथ जोड़े बैठी रहती है।जबकि यदि सनातन नियम देखा जाय तो ऐसा वर्णन मिलना दुर्लभ ही है।आज समाज में अनेक बाबा , पुजारियो एवं मौलवियों की एक जमात देखी जा सकती है जिन्हें अंधविश्वास को बढावा देने का कारण माना जा सकता है।साथ ही साथ जनता को भी कम दोषी नहीं माना जा सकता।ये तथाकथित मौलवी और पुजारी कहीं भी झंडा गाड़कर या मजार बनाकर दुनिया को चमत्कार दिखाने लगते हैं , और अनपढ , गंवारों की छोड़ो पढे – लिखे लोग भी वहाँ की सच्चाई जाने बिना वहाँ जाकर मत्था टेकने लगते हैं।आज जो भी अनाचार देश में इन ढोंगी अंधविश्वास को बढावा देने वालों के द्वारा हो रहा है इसका सबसे बड़ा दोषी हमारे देश का मीडिया भी है।मीडिया का वही हाल है जैसे कि सरकार प्रत्येक तम्बाकू उत्पादों पर लेबल लगवा देती है कि “तम्बाकू से कैंसर होता है” परंतु फिर भी एक मोटे कर के रूप में मिलने वाली मोटी रकम के चक्कर में इन पर प्रतिबंध नहीं लगा पा रही है।वैसे ही इन सबको मोटे पैसे के चक्कर में मीडिया ही बढावा देती है।और जब कोई कांड या घटना होती है तो यही मीडिया उस मामले को नमक मिर्च लगाकर लगातार कई दिन तक परोसती रहती है।यदि शुरु से ही यह मीडिया ऐसे लोगों का दुष्प्रचार करने लगे तो शायद न तो ये स्वयंभू भगवान प्रकट ही हों और न ही कोई दुर्घटना ही होने पाये।पुरानी रूढिवादियों से निकलने का समय आ गया है।इसके लिए हमें अपने इतिहास को पढना होगा।हमारे पूर्वज जो करते आये हैं उसमें उनकी अशिक्षा या कोई न कोई मजबूरी या कारण रहा होगा।आज हम पढे लिखे होकर भी यदि किसी चमत्कारों में फंसते हैं तो यह हमारी मूर्खता ही है | यह सत्य है कि हमारे देश की महिलायें धर्मभीरु होती हैं किसी भी अंधविश्वास को बढावा देने में यह अहम किरदार होता है।परंतु पुरुष भी कम दोषी नहीं कहे जा सकते हैं।क्योंकि महिलाओं के द्वारा किये गये कार्यों में इनका भी मूक समर्थन होता है।आईये इन अंधविश्वासों को तोड़ते हुए एक स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज के प्राणी बनते हुए एक नवजीवन पथ के राही बनने का प्रयास करें।

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सभी चौपाल प्रेमियोँ को आज दिवस की *मंगलमय कामना।*
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आचार्य अर्जुन तिवारी
प्रवक्ता
श्रीमद्भागवत/श्रीरामकथा
संरक्षक
संकटमोचन हनुमानमंदिर
बडागाँव-फैजाबाद
श्रीअयोध्याजी
(उत्तर-प्रदेश)
9935328830

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