ग्रीष्म अवकाश के बाद भारी अव्यवस्थाओं के बीच खुले परिषदीय स्कूलों में देश के भावी कर्णधारों का भविष्य बनाने में जुटे गुरुजन।
कही चहरदीवारी नही तो कही कही टूटी फर्स जर्जर है भवन की छत से टपक रहा पानी।
जिले में ऐसे भी कई विद्यालय है जहां के बच्चे योगी राज में भी खुले आसमान के नीचे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है।
[जितेंद्र यादव-ब्यूरो रिपोर्ट]
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फैज़ाबाद-:
=======ब्लैक बोर्ड के काले रंग में देश के भावी कर्ण धारो का भविष्य उज्ज्वल बनाने व सवारने में अहम भूमिका निभाने वाले प्राथमिक विद्यालयो की हालत दिन बा दिन दयनीय होती जा रही है ।ग्रीष्म कालीन अवकाश के बाद आधी अधूरी तैयारियों के बीच खुले विद्यालयों में कही अध्यापको का टोटा तो कही जर्जर भवन तो कही चहरदिवारी न होने से आवारा पशुओ का बगैर रोक टोक के आवागमन व अतिक्रमण के साथ साथ बुनियादी सुविधाओं की कमी नौनिहालो के सपनो पर ग्रहण लगा रही है जिससे मन मे अपने आप कई सवाल उबाल मारने लगते है कि कान्वेंट स्कूलों की तुलना करके गुणवत्ता युक्त शिक्षा मुहैया कराने में विभाग नाकामयाब दिख रहा है।बताते चले कि परिषदीय विद्यालयों जमीनी हकीकत किसी से छिपी नही है।गर्मी की छुट्टियों के बाद सोमवार को खुले परिषदीय विद्यालयों की टोह ली गई तो जो तस्वीरे सामने आई वाकई में आज भी प्राथमिक शिक्षा राम भरोसे ही है ।शिक्षा क्षेत्र रूदौली के प्राथमिक विद्यालय बनगावा पहुंचने पर अध्ययन रत छात्र छात्रायें फुल यूनिफार्म में व गले मे आईकार्ड टांगे बड़े ही अनुशासित दिखाई दिये ।प्रधानाध्यापक दुर्गेश सोनी विद्यार्थियों को जरनल नालेज का पाठ पढ़ा रहे थे ।जबकि समायोजित शिक्षक के रूप में तैनात मंसूर अली गायब थे।प्रधानाध्यापक ने बताया कि पंजीकृत 120 छात्रों में 16 बच्चे आज आये है।गांव वालों ने बताया कि जब से ये वाले गुरुजी आये है तब से बच्चो की पढ़ाई व घर के संस्कार में कुछ सुधार आया है ।लेकिन बनगावा मे स्कूल निर्माण के समय से चहरदिवारी नही है ।बच्चो के आवागमन के लिये बनी पुलिया के बगल बड़ा सा गड्ढा हो गया है। खड़ंजे से ईंटे गायब है। खड़ंजे के अगल बगल जमीन धंस कर बड़े बड़े गड्ढो में तब्दील हो गई है जिससे छोटे छोटे बच्चो के लिये हर समय खतरा बना रहता है । स्कूल में बाउंड्री वाल न होने से आवारा पशुओं का दिन भर बगैर रोक टोक के आवागमन होता रहता है कभी कभी तो गांव वाले बीचोबीच से बकरिया व पालतू पशुओं के लेकर निकलते है जिससे पठन पाठन का कार्य भी प्रभावित होताहै ।गांव वालों ने बताया कि गांव में तैनात सफाई कर्मी नही आता है जिससे स्कूल सहित गांव में भी गन्दगी का अंबार लगा है ।वही पूर्व माध्यमिक विद्यालय फिरोज पुर पवारान में भी बाउंड्री न होने से आवारा पशुओं का बेबजह दखल पठन पाठन को प्रभावित करता है ।विद्यालय के मूल भवन जर्जर हो चुका है।विद्यालय में इंचार्ज प्रधानाध्यापिका शिल्पी साहू व सहायक अध्यापक विवेकानन्द मौजूद थे।बाकी अध्यापक गायब थे।प्रधानाध्यापिका ने बताया कि 43 पंजीकृत छात्रों में 10 छात्र उपस्थित है ।वही बगल ही स्थिति प्रा विद्यालय फिरोजपुर पवारान में 129 बच्चो में 20 बच्चे उपस्थित थे ।
जहां अध्यापको ने बताया कि पुराना भवन होने के कारण विद्यालय की छतें टपक रही है।एमडीएम नही बना था ।सबसे खराब स्थिति तो प्राथमिक विद्यालय सराय पीर में देखने को मिली जहाँ बाउंड्री वाल न होने के कारण बेरोकटोक आवारा पशुओं का आवागमन बना रहता है जिससे छोटे छोटे बच्चों के ऊपर खतरे से इनकार नही किया जा सकता है।विद्यालय में सभी अध्यापक मौजूद थे ।प्रधानाध्यापक अनूप मिश्रा ने बताया कि 92 बच्चों 20 बच्चे आज उपस्थित है ।यहाँ 2006 -07 में बने भूकम्परोधी कक्ष के खिड़की दरवाजे सब टूटे पड़े है यही नही अंदर प्लास्टर उखड़ कर बड़े बड़े गड्ढो में तब्दील हो गया है ।यहां भी प्रधान की लापरवाही के चलते पहले ही दिन मध्यान्ह भोजन नही बना था ।स्कूल के पीछे बड़ी बड़ी झाड़ियो में विषैले जीव जंतुओं का बसेरा है जिससे नौनिहालो व अध्यापको को सदैव डर बना रहता है ।वही इसी ग्राम पंचायत के विद्यालय गुलचप्पा खुर्द में प्रधानाध्यापिका किरण यादव ने बताया कि एम डी एम बना है। कुल 69 में से 17 बच्चे आज उपस्थित है ।यहां शौचालय की स्थिति अत्यंत दयनीय है।जिले के शिक्षा क्षेत्र रुदौली के धमोरा प्राथमिक विद्यालय का आज भी भवन नही बन सका।जबकि ये 2006 से संचालित है।यहां के बच्चे आज भी मौसम की मार सहते हुए शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है।इस प्रकार के पूरे जनपद में करीब आधा दर्जन विद्यालय है।
[8 से नौ सालो में दरक रहे है भवन]
लोग अपना आशियाना बनाते है तो दशकों चलता है लेकिन शिक्षा के मंदिर बनाने में कोताही क्यो बरतते है क्या बजट कम होता है या बन्दर बाट जिसकी वजह से 8 से 9 बसन्त भी नही झेल पाते है सरकारी स्कूलों में भवन ।यह यक्ष प्रश्न है । विभाग द्वारा 2008 में मवई के प्राथमिक विद्यालय कछिया में भवन निर्माण किया गया है लेकिन एक दशक भी नही हुआ औऱ छत की प्लास्टर उखड़ने लगी ।जिससे भवन निर्माण करने वाले लोग और विभाग दोनो कटघरे में है कि आखिर क्यों ऐसा हो रहा है ।इसके अलावा मवई के प्राथमिक विद्यालय हुनहुना के मुख्य भवन की छत टपक रही है ।प्राथमिक विद्यालय मोहम्मदपुर दाऊद पुर की मुख्य भवन जर्जर ,पूरे कामगार , देवइत सुनबा, फिरोजपुर पवारान आदि विद्यालयो में जर्जर भवन में नौनिहालो का भविष्य सँवारा जा रहा है ।
[: इन विद्यालयो में नही है बाउंड्रीवाल
रुदौली फैज़ाबाद ।पूर्व माध्यमिक विद्यालय फिरोजपुर पवारान ,प्राथमिक विद्यालय पस्ता माफ़ी ,पूर्वमाध्यमिक विद्यालय पस्ता,प्राथमिक विद्यालय चिरैंधापुर ,प्राथमिक विद्यालय महंगू का पुरवा, प्राथमिक विद्यालय उमापुर, प्राथमिक विद्यालय हुनहुना , प्राथमिक विद्यालय रसूल पुर ,प्राथमिक विद्यालय कुडीरा प्राथमिक विद्यालय पाल पुर ,पूर्व माध्यमिक विद्यालय जैसुखपुर , प्राथमिक विद्यालय सेवढ़ाहरा , प्राथमिक विद्यालय मोहम्मद पुर दाऊद पुर,प्राथमिक विद्यालय दुल्लापुर, पूर्व माध्यमिक विद्यालय धुनौली ,प्राथमिक विद्यालय अमौनी, प्राथमिक विद्यालय पुरे कामगार , प्राथमिक विद्यालय द्वारिका पुर ,प्राथमिक विद्यालय देवइत , प्राथमिक विद्यालय दीवाली , प्राथमिक विद्यालय नैया मऊ , प्राथमिक विद्यालय अशरफ नगर,प्राथमिक विद्यालय बीबी पुर, प्राथमिक विद्यालय मखदुमपुर प्रथम ,प्राथमिक विद्यालय चन्द्रा मऊ मंगा,प्राथमिक विद्यालय पुरे राजबल मजरे रसीद पट्टी ,प्राथमिक विद्यालय अमहटा,प्राथमिक विद्यालय अमराई गांव, प्राथमिकविद्यालय टांडा सूफी ,प्राथमिक विद्यालय गोगांवा, सराय पीर, बनगावा ,पूर्व माध्यमिक विद्यालय कूड़ा सादात सहित दर्जनों की संख्या में बाउंड्री नही है जिससे स्कूलो में पठन पाठन में दिक्कते हो रही है।
यू डाइस के जरिए सभी स्कूलों की जानकारी विभाग के पास मौजूद
रुदौली ।यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इम्फॉर्मेशन सिस्टम (यूडाइस) का फार्म सभी स्कूलों को भरना होता जिसमें स्कूल के प्रत्येक कक्षा में छात्रों की संख्या ,स्कूल में कमरे, विद्यार्थियों को दी जा रही सुविधाएं, शिक्षको की स्थिति, क्या है किसकी जरूरत आदि भरना होता ।तो ऐसा नही है कि विभाग अंजान है फिर भी स्कूलों में मरम्मत रखरखाव व बुनियादी सुविधाओं का टोटा रहता है ।