फैजाबाद जिले के मवई क्षेत्र में एक माह से गिरा बरगद का पेड अचानक अपने आप हुआ खडा
?अचंभित ग्रामीण इसे सत्य त्यागी बाबा का मान रहे चमत्कार जबकि वनकर्मी इसे मान रहे महज इत्तेफाक,फिर हाल पूजा पाठ शुरू।
?मवई ब्लाक के ग्राम कुण्डिरा का मामला।
[आनन्द शुक्ला की रिपोर्ट]
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मवई(फैजाबाद)-:
===========रक्षाबंधन पर्व व श्रावण मास की पूर्णिमा को एक नया चमत्कार मवई क्षेत्र के ग्राम कुण्डिरा में देखने को मिला।इसको एक ईश्वरीय शक्ति का ही नाम दिया जाय या महज अफवाह।मवई ब्लाक के ग्राम कुण्डिरा में सत्य त्यागी बाबा के स्थान पर एक माह पूर्व आंधी पानी पुराना बरगद का पेड जर्जर होकर गिर गया था।काफी समय से पेड उसी स्थान पर पडा था।ग्रामीण बताते है कि उसी स्थान पर एक समाधि का निर्माण हो रहा था ग्रामीणों ने पेड को गाँव के ही मतलूब खाँ पुत्र रिजवान खाँ को बेच दिया और बताया कि जो पैसा एकत्र होगा उसी से समाधि का निर्माण पूर्ण होगा। रक्षाबंधन के दिन मतलूब पेड काट रहा था ऊपर का हिस्सा कट जाने के बाद मतलूब ने दावा करते हुए लोगों को बताया कि पेड से आवाज आयी कि “आप ज्यादा परेशान न हो दूर हट जाओ” इतना होने के बाद मतलूब पेड के पास से हट गया तभी अचानक पेड स्वयं उसी स्थान पर खडा हो गया।मामले की जानकारी मिलते ही क्षेत्र के लगभग हजारों लोगों का तांता इस चमत्कार को देखने के लिए वहां इकट्ठा हो गए।ग्रामीण कृष्णमगन,अवधेश शर्मा,बिन्द्राप्रसाद,गुल्लू यादव, दीपक वैश्य, डब्बू शर्मा,कालीप्रसाद व नन्द गोपाल ने बताया कि सत्य त्यागी बाबा के स्थान पर हर वर्ष भंडारे का आयोजन किया जाता था।इस स्थान पर लोगो की मान्यता पूरी होती थी लेकिन ऐसा नजारा देखने पर तो अब इसके प्रति श्रद्धा का भाव जग गया है।ग्रामीण के बुजुर्गो का कहना है कि त्यागी बाबा ज्येष्ठ महीने में अलाव तापते थे और पसीना भी नही निकलता था।ऐसा चमत्कार होने से गाँव व क्षेत्र में आस्था का भाव जागृत हो गया है।ग्रामप्रधान सुशील यादव व पूर्व प्रधान इदरीश खाँ का ने भी पेड़ गिरने के बाद अचानक खड़ा होने का दावा किया है।इसी गांव के रहने भाजपा के मंडल अध्यक्ष निर्मल शर्मा का भी कहना है कि पेड़ गिर गया था लोग उसकी ऊपर की टहनियां काटा तो वो अचानक धीरे धीरे खड़ा हो गया।फिरहाल क्या सही क्या झूठ ये बात जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट होगा।फिर वनविभाग के जिम्मेदारों की माने तो ऐसा नही हो सकता है।ग्रामीणों के दावों पर वनकर्मियों ने तर्क दिया कि कभी कभी पेड़ पर बोझ ज्यादा होने से हवा के झोंको वे झुककर गिर जाते है।पर जैसे ऊपरी भाग काटकर अलग किया जाता है।उनकी जड़े उन्हें फिर खींच लेती है और वे खड़े हो जाते है।फिर हाल उस स्थान को ग्रामीण की आस्था जग गई।लोग पूजा पाठ करने में जुट गए।