November 21, 2024

दो ‘अज्ञात’ पुलिसवालों के खिलाफ हुई है FIR, विवेक तिवारी मर्डर केस

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सुल्तानपुर के निवासी और ऐपल कंपनी में काम करने वाले विवेक तिवारी पर लखनऊ के गोमतीनगर में गोली चलाने वाले सिपाही का नाम इस देश का बच्‍चा बच्‍चा जान गया है, लेकिन यह जानकारी केवल यूपी पुलिस के पास नहीं है। तिवारी की हत्‍या के मामले में उसके साथ घटना के वक्‍त कार में मौजूद उसकी कर्मचारी सना द्वारा दर्ज करायी गई एफआइआर में यूपी पुलिस के उन सिपाहियों का कोई जिक्र नहीं है जिन्‍होंने घटना को अंजाम दिया।

विवेक तिवारी मर्डर केस में 29 सितंबर को दर्ज एफआइआर दो अज्ञात पुलिसवालों के खिलाफ़ है जिनका नाम और पता पुलिस को मालूम नहीं है। एफआइआर की प्रति में साफ़ लिखा है ‘दो पुलिस वाले नाम पता अज्ञात’। इसके अलावा यह मामला जांच के लिए किस अधिकारी को सौंपा गया है, उसका भी पता नहीं है।

एफआइआर में आइओ यानी जांच अधिकारी के कॉलम सामने लिखा है लखनऊ और उसकी रैंक लिखी हुई है इंस्‍पेक्‍टर।

समाचार माध्‍यमों में विवेक तिवारी पर गोली चलाने वाले सिपाही का नाम न सिर्फ प्रशांत चौधरी के रूप में सामने आया है, बल्कि मीडिया में उसके बयान भी चले हैं जिसमें उसने कहा है कि गोली का चलना एक हादसा है।

यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आनंद कुमार के मुताबिक दोनों पुलिसवालों के खिलाफ आइपीसी की धारा 302 के तहत हत्‍या का मुकदमा दर्ज किया गया है, लेकिन उन्‍होंने यह नहीं बताया कि एफआइआर में दोनों पुलिसवालों को ‘अज्ञात’ लिखा गया है ।
लखनऊ के डीएम ने बयान दिया है कि परिवार अगर सीबीआइ की जांच चाहता है तो उसे भी किया जाएगा। उन्‍होंने यह भी कहा कि इस मामले में जांच 30 दिन के भीतर पूरी कर ली जाएगी लेकिन उन्‍होंने यह नहीं बताया कि जांच किस बात की होनी है अगर यह पहले से सार्वजनिक है कि गोली चलाने वाला सिपाही कौन है

जाहिर है, ‘अज्ञात’ वाली एफआइआर के बहाने इस मामले को रफा दफा करने की पूरी तैयारी कर ली गई है क्‍योंकि टाइम्‍स ऑफ इंडिया में आज छपी लीड खबर के मुताबिक सना खान ने प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार नाम के दो सिपाहियों के खिलाफ दायर करवाई एफआइआर को ‘डाइल्‍यूट’ किए जाने यानी हलका किए जाने की बात कही थी।

सना खान का यह आरोप एफआइआर की कॉपी को देखने के बाद सही निकला है।

सवाल यह भी उठता है कि यदि एफआइआर में अज्ञात पुलिसवाले आरोपित हैं तो किस बिनाह पर दोनों सिपाहियों को बरखास्‍त किया गया है।

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की ही खबर के मुताबिक उत्‍तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने इसे मर्डर केस मानते हुए शाम तक दोनों पुलिसवालों को बरखास्‍त करने की बात कही थी। अगर ओपी सिंह खुद यह मान रहे हैं कि प्रशांत चौधरी व संदीप कुमार का ही हत्‍या में हाथ है, तो एफआइआर में उन दोनों के नाम क्‍यों नहीं हैं।

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