सात हजार शिक्षकों का 38 करोड़ अवशेष वेतन दबाए है शिक्षा विभाग
गोंडा। बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों के करीब 7000 शिक्षकों के हक पर वित्त एवं लेखा विभाग कुंडली मारे बैठा है। सातवें वेतनमान के तहत वर्ष 2016 के अवशेष का भुगतान अब तक नहीं हो पाया है।शिक्षकों को 38 करोड़ रुपये का भुगतान वित्त एवं लेखा विभाग को करना है। शासन ने अक्तूूबर माह में ही भुगतान के आदेश दिए थे। दीपावली के पहले भुगतान करने का दावा भी विभाग ने किया था मगर तैयारी पूरी न हो पाने भुगतान नहीं हो पाया।दीपावली के बाद से शिक्षक भुगतान का इंतजार कर रहे हैं लेकिन वित्त एवं लेखा विभाग अभी हिसाब तैयार करने में ही लगा है। इससे शिक्षकों में असंतोष है। जबकि वित्त एवं लेखा विभाग जल्द ही भुगतान की बात कह रहा है लेकिन इसकी कार्रवाई अभी अधूरी बताई जा रही है।शिक्षकों को सातवां वेतनमान जनवरी 2016 से दिया गया था। मगर भुगतान वर्ष 2017 में मिला था। उस समय ये व्यवस्था बनाई गई थी कि एक जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2016 तक के अवशेष वेतन का भुगतान दो चरणों में किया जाएगा।अब एक साल के अवशेष वेतन के 50 फीसदी का भुगतान अक्तूबर में करने की बात कही गई थी। करीब सात हजार शिक्षकों को सातवें वेतनमान के लाभ का 50 फीसदी 38 करोड़ का भुगतान किया जाना है।बताया जा रहा है कि विभाग के पास भुगतान के लिए पर्याप्त बजट भी नहीं है, विभाग के पास 22 करोड़ रुपये ही अवशेष भुगतान के लिए हैं। दीपावली के पहले भुगतान की तैयारी पूरी हो गई थी लेकिन जल्दीबाजी में कुछ कमियों के कारण भुगतान नहीं हो पाया।इसके बाद से विभाग शिक्षकों के भुगतान को दबाए बैठा है। शिक्षक परेशान हैं कि आखिर उन्हें एक साल का भुगतान ठीक एक साल बाद मिल रहा है। उसमें भी देरी हो रही है।शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मियों को दीपावली पर बोनस भी नहीं मिल सका है। शासन ने बोनस देने के आदेश दिए लेकिन उस पर यहां के अफसरों ने गंभीर प्रयास नहीं किया। बोनस जिले के करीब आठ हजार शिक्षकों व कर्मियों को दिया जाना था।बोनस के रूप में करीब पांच करोड़ का भुगतान दिया जाना है वह भी अभी नहीं दिया गया है। इससे भी शिक्षक हैरत में हैं। विभाग के अधिकारी शासन के निर्देशों को ताक पर रखे हुए हैं।शिक्षकों के भुगतान की समस्याएं कम नही हैं। आलम ये है कि अवशेष और बोनस की तरह ही सरकार की ओर से बढ़ाए गए दो फीसदी डीए तक का भुगतान नहीं हो पाया है। प्रत्येक शिक्षक को मूल वेतन के दो फीसदी डीए का भुगतान करना था।इसके साथ ही उनके वेतनमान में भी बढ़ोत्तरी होती है। अभी तक डीए के भुगतान की कार्रवाई पर भी विभाग हाथ बांधे बैठा है। शिक्षक संगठनों के नेताओं का कहना है कि सरकार की ओर से शिक्षकों व कर्मचारियों के भुगतान के आदेश दिए गए हैं।लेकिन जानबूझकर अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आनंद त्रिपाठी ने कहा कि समय से कार्रवाई न करके विभाग के लोग देरी कर रहे हैं। इससे शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है।वित्त एवं लेखा विभाग के लिपिक अपने ही अधिकारी को गुमराह करते रहते हैं। इसी तरह जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की अध्यक्ष किरन सिंह ने भी लापरवाही की बात कही।शिक्षक नेता इंद्र प्रताप सिंह, वीरेन्द्र त्रिपाठी, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र मिश्र ने कहा कि सरकार की सौगात को समय पर न देकर अनदेखी की जा रही है।वित्त एवं लेखाधिकारी मनोज सिंह ने सभी पटल सहायकों को तैयारी पूरी करके भुगतान कराने का आदेश दिया था। बताया जा रहा है कि भुगतान की कार्रवाई पूरी हो रही है। विभाग के अधिकारियों की मानें तो एक-दो दिनों में भुगतान हो जाएगा।