सदाबहार फूल ही नहीं, दवाई भी है
सदाबहार का पौधा हरेक जगह बड़ी आसानी से ढूंढने से मिल जाता है लेकिन इसे सदाबहार इसलिए कहा जाता हैं क्यूंकि इसका फूल हरेक मौसम में खिलता है। इसके फूलों को माला बनाने तथा पूजा के काम में अक्सर लिया जाता है परन्तु यह बात शायद कम ही लोगों को ज्ञात होगी कि इसके द्वारा कई रोगों का इलाज भी किया जाता है। सदाबहार फूल को सदाफूली, नयनतारा आदि नामों से भी जाना जाता है। यह फूल न केवल सुन्दर और देखने में बेहद आकर्षक है बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होने के कारण कई रोगों के उपचार हेतु औषधि के रूप में भी देखा जाता है। शायद इन सभी गुणों को ध्यान में रखते हुए ही नेशनल गार्डेन ब्यूरो ने सन् 2002 को इयर आफ विंका के लिए चुना । इस फूल की एक खासियत यह है कि फूल तोड़कर रख देने पर भी पूरा दिन ताजा रहता है
अगर इस पर किये गए शोधों की बात करें तो पता चला है कि यह बारूद जैसे पदार्थ को भी निष्क्रिय करने की अद्भुत क्षमता रखता है। और तो और, इसी के चलते आज विस्फोटक क्षेत्रों और भंडारण वाली हजारों एकड़ भूमि को यह निरापद बना रहा है। ‘केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान’ द्वारा की गयी खोजों से यह भी पता चला है कि इसमें पाया जाने वाला क्षार रक्त कैंसर के उपचार में बहुत उपयोगी है। इसके साथ ही यह रक्तचाप को कम करने और मधुमेह जैसी बीमारी को काबू में करने में बहुत सहायक है। कहा जाता है कि इस पर हुए अनेक शोधों के कारण जैसे-जैसे इसकी खूबियों का लोगों को पता चलता जाता है वैसे-वैसे इस की मांग भी देश-विदेश में दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इसीलिए अब इसकी खेती भी की जाने लगी है। फलस्वरूप यह अनोखा पौधा अब संजीवनी बूटी बन गया है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए:- अधिकतर चिकित्सकों की राय में, नित्य सदाबहार का सेवन करने से रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ जाती है और आप जल्दी बीमार नहीं पड़ते हैं।
मधुमेह हेतु लाभदायक:- ऐसा माना जाता है कि सदाबहार फूल मधुमेह की बीमारी को नियंत्रित रखता है जबकि आधुनिक विज्ञान भी इन फूलों के सेवन के बाद रक्त में ग्लुकोज की मात्रा में कमी को प्रमाणित कर चुका है। बता दें कि सदाबहार के पौधे के चार कोमल पत्तों को साफ कर धोकर सुबह खाली पेट चबाएं और ऊपर से दो घूंट पानी पी लें। इससे मधुमेह मिटता है। त्वचा संबंधी
रोगों में फायदेमंद:- दादी माँ के घरेलू नुस्खों की बात करें तो इसकी पत्तियों के रस को ततैया या मधुमक्खी के डंक मारने पर लगाने से बहुत जल्दी आराम पहुंचता है। साथ ही इसके रस को घाव पर लगाने से घाव भी जल्दी सूखने लगता है। और तो और, त्वचा पर खुजली, लाल निशान या किसी तरह की एलर्जी होने पर पत्तियों के रस को लगाने पर भी बेहद आराम मिलता है।
मुहांसों का खात्मा करें:-सदाबहार के फूलों और पत्तियों के रस को मुहांसों पर लगाने से कुछ ही दिनों में इनसे निजात मिल जाती है।इसके लिए पत्तियों और फूलों को पानी की थोड़ी सी मात्रा में पीस कर लेप को मुहांसों पर दिन में कम से कम दो बार अवश्य लगाएं।
बवासीर नाशक:- आदिवासी जानकारों के अनुसार सदाबहार की पत्तियों और फूलों को कुचलकर बवासीर होने पर लगाने से बहुत लाभ मिलता है और ऐसा प्रतिदिन रात को सोने से पहले किया जाना ठीक होता है।
सर्दी जुकाम दूर भगाए:- यदि हम सदाबहार की पत्तियों को तोड़कर और इसका रस निकालकर गर्म पानी के साथ सेवन करें तो सर्दी-जुकाम में राहत मिलती है।
कैंसर के लिए संजीवनी:- सदाबहार के फूलों का उपयोग अब कैंसर जैसे भयावह रोगों के लिए भी संजीवनी बूटी बन गया हैं। डांग जिले में अनेक आदिवासी इस पौधे के विभिन्न हिस्सों को ल्युकेमिया जैसे रोगों के निदान हेतु प्राय: अमल में लाते हैं।
घाव को सुखाए:- आधुनिक शोधों के अनुसार, इसकी पत्तियों को तोडऩे पर जो दूध निकलता है, उसे घाव पर लगाये तो किसी तरह का कोई संक्रमण नहीं होता है और घाव जल्दी सूख जाता है।
खाज-खुजली में आरामदायक:- आयुर्वेदिक किताबों के शब्दों के अनुसार, सदाबहार की पत्तियों को तोडऩे पर निकलने वाले दूध को खाज-खुजली में लगाने पर आराम मिलता है। इसके लिए प्रभावित जगह पर दिन में कम से कम दो बार लेप जरूर किया जाना चाहिए।