बुलंदशहर के गांव दरियापुर में इज्तेमा के लिए 8 लाख स्क्वायर फुट जगह में बनाया गया था पंडाल,देश के कोने कोने से लाखों लोग पहुंचे
कोई असम, त्रिपुरा से आया है तो कोई केरल, तमिलनाडु से बंगाल, महाराष्ट्र, एमपी, यूपी और हिमाचल से लेकर कश्मीर से लोग आए हैं यूपी का बुलंदशहर बेशक छोटा शहर है, लेकिन जानकारों के अनुसार तीन दिन के लिए 10 लाख से अधिक मुसलमान भाई इस शहर में पहुंच चुके हैं।
हर कोई तीन दिन के आलमी इज्तेमा (धार्मिक कार्यक्रम) में शामिल होने के लिए पहुंच रहा है।जानकारों की मानें तो तबलीग़ी इज्तेमा के लिए बुलंदशहर के गांव दरियापुर में 8 लाख स्क्वायर फुट जगह में पंडाल बनाया गया है।आने वाले लोगों के लिए खाने का इंतजाम भी गांव में ही किया गया है। एक दिसंबर से शुरु हुआ इज्तेमा तीन दिसंबर को खत्म होगा।इज्तेमा में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी ना फैले इसके लिए प्रशासन की ओर से 17 विभागों के कर्मचारी और अधिकारियों को लगाया गया है।सुरक्षा को देखते हुए बाहरी जिले से एक एडिशनल एसपी, 10 सीओ, 10 एसओ/एसएचओ, 40 इंस्पेक्टर, 150 सब इंस्पेक्टर, 520 कांस्टेबल, 150 हेड कांस्टेबल और तीन कंपनी पीएसी की लगाई गई है।इसके साथ ही बुलंदशहर के एसपी सिटी, एक एएसपी, 4 सीओ, 142 इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर, 70 हेड कांस्टेबल, 200 कांस्टेबल के साथ ही ट्रैफिक पुलिस तैनात रहेगी. तबलीग़ी जमात की ओर से इज्तेमा का आयोजन किया जा रहा है. आने वाले लोगों के लिए रेलवे ने भी 12 ट्रेनों के लिए गांव के पास ही अस्थाई ठहराव की व्यवस्था की है।मुफ्ती इमरान ने बताया, “इज्तेमा में धर्म के बताए रास्ते पर चलने, दूसरों की मदद करने, मेल-मोहब्बत से रहने, अपने वतन से मोहब्बत और उसकी हिफाजत के बारे में तकरीर (भाषण) की जाती है।इसके साथ ही इज्तेमा के आखिरी दिन दुआ होती है।मुल्क और मुल्क में रहने वालों की तरक्की के लिए दुआ होती है. मुल्क को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने की भी दुआ होती है।ये देश का अब तक का सबसे बड़ा इज्तेमा बताया जा रहा ।
जानें, ऐसा क्या हुआ जब नमाज के लिए खुले शिवमंदिर के दरवाज़े
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के जौनपुर जिले में ग्रामीणों ने सांप्रदायिक सौहार्द की अदभूत मिसाल कायम कर दी। दरियापुर में चल रहे इज्तेमा में आ रहे मुस्लिम जाम में फंस गए तो ग्रामीणों ने प्राचीन शिव मंदिर परिसर में ज़ोहर की नमाज अदा कराने व्यवस्था कराई। नमाज के दौरान कोई परेशानी न हो, इसके लिए उनका पूरा ख्याल रखा गया। नमाज के बाद सभी को जलपान कराकर उन्हें इज्तमा के लिए खुशी-खुशी रवाना किया गया।नगर के दरियापुर में तीन दिवसीय आलमी तब्लीगी इज्तेमा चल रहा है। प्रदेश के विभिन्न जिलों से इज्तमा में लोग पहुंच रहे हैं। इसके अलावा आसपास के गांवों के लोग भी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों व अपने-अपने वाहनों से इज्तमा में शरीक हो रहे हैं। इज्तमा में शामिल होने के लिए रविवार को मेरठ-हापुड़ की तरफ से काफी लोग आ रहे थे।बुलंदशहर कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव जैनपुर के पास जाम में काफी लोग फंसे हुए थे और उसी दौरान ज़ोहर की नमाज का वक्त हो गया। बताया गया कि कुछ लोगों ने सड़क स्थित शिव मंदिर के बाहर नमाज पढ़नी शुरू कर दी थी। जैनपुर के ग्रामीणों ने जब लोगों को सड़क पर नमाज अदा करते देखा तो उन्हें प्राचीन शिव मंदिर के प्रांगण में नमाज पढ़ने के लिए कहा।हिंदुओं का सहयोग मिलने के बाद करीब 150 मुसलमान ने वुजू करके मंदिर प्रांगण में ज़ोहर की नमाज अदा की। नमाजियों को कोई परेशानी न हो काफी हिंदू भाई मंदिर प्रांगण के बाहर ही खड़े रहे और शांतिपूर्वक नमाज अदा कराने में सहयोग किया। प्राचीन शिव मंदिर में नमाज अदा कराकर जैनपुरवासियों ने जिले में हिंदू मुस्लिम एकता की नई मिसाल कायम कर आपसी सौहार्द का संदेश दिया है। फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर पर जैनपुर के ग्रामीणों की खूब तारीफ हो रही हैं।
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
बुलंदशहर। रविवार को जब प्राचीन शिव मंदिर परिसर में मुस्लिम भाई जौहर की नमाज अदा कर रहे थे, सभी लोगों की जुबां पर यही बात थी कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। ग्रामीण लालू सिरोही, चमन शर्मा, सचिन गिरि व लक्ष्मण सिंह का कहना है कि मजहब सब एक हैं। हिंदू-मुस्लिम हमारी सोच का फर्क है। नमाज के दौरान मुस्लिम भाइयों का पूरा ख्याल रखा गया था।
खुश दिखे मंदिर के प्रबंधक
प्राचीन शिव मंदिर कमेटी के प्रबंधक कन्हैया लाल शर्मा काफी खुश हैं। उनका कहना है कि मुस्लिम भाइयों ने मंदिर प्रांगण में नमाज अदा की। यह जैनपुर वासियों के लिए बड़े गर्व की बात है। उनका कहना है कि हिंदू-मुस्लिमों के बीच फूट पैदा करने वाले लोगों के मुंह पर यह तमाचा है। ग्राम प्रधान पति गंगा प्रसाद का कहना है कि मुस्लिम भी हमारे भाई हैं। मजहब की दीवार कभी आड़े नहीं आएगी।
2019 लोकसभा चुनाव का परिणाम बदलने के लिए इज्तमा से निकली कई सौ जमातें।
बुलंदशहर में चल रहे तब्लीगी इज्तमा से निकलीं जमातें वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का खाका खीचेंगी। इसमें कोई शक नहीं कि जमातों का मुख्य उद्देश्य दीन की बातों का प्रसार करना ही है लेकिन राजनीतिक नजरिए से मुस्लिमों के बेहतर मुस्तकबिल पर भी जमातें गुफ्तगू करेंगी।पश्चिमी उप्र के जनपद बुलंदशहर में हो रहे तब्लीगी इज्तमा के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। आकलन किया जा रहा कि लोकसभा चुनाव 2019 में इस इज्तमा का कितना असर पड़ेगा। सबसे अहम बिंदू है इज्तमा से जमातों का रवाना होना।सोमवार को यह इज्तमा समाप्त हो गया है। इसके बाद देश भर के लिए यहां से लगभग दो हजार जमातें रवाना होंगी। एक जमात में दस या इससे ज्यादा सदस्य भी हो सकते है। दरअसल जमाती पूरे देश में घूमकर दीन का प्रचार तो करेंगे ही लेकिन इस बार निशाना लोकसभा चुनाव भी होगा। जो जमातें चार माह के लिए रवाना होंगी, जब उनके लौटने का समय आएगा तो चुनावी दुदुंभि बज चुकी होगी। पूरे देश में चुनावी माहौल होगा।इससे पहले ही जमातें इस दृष्टिकोण से भी मुस्लिमों से बात कर चुकी होंगी। चालीस दिन की जमातें तेजी से लोगों के बीच पहुंचेंगी और जल्दी ही अपनी बात को मुस्लिमों के सामने रखेंगी। इज्तमा में जिन राजनीतिक पहलुओं को स्पष्ट रखा नहीं जा सकता, उन्हें जमाते साफ तौर पर मुस्लिमों के सामने रखेंगी। जमात में युवाओं की इस बार खासी भागीदारी होगी। चूंकि हर पार्टी पूरा फोकस युवाओं पर ही कर रही है तो जमातों में भी युवाओं की भागीदारी बढ़ना लाजिमी है।चूंकि इसमें शामिल होने के लिए फिलहाल गांव-गांव, शहर-शहर से लोग रवाना हुए हैं तो उसका व्यापक असर जाने वाला है। ऐसे में जब जमाती फिर से जाकर बात करेंगे तो लोगों के जेहन पर इसका ज्यादा असर होगा। यह बात राजनीतिक दल भी भांप रहे हैं।यही कारण है कि बसपा, सपा, कांग्रेस आदि दलों ने इज्तमा में शामिल हो रहे लोगों पर फोकस किया है।कहीं स्वागत हो रहे हैं तो कहीं अपने स्तर से बसों का इंतजाम करने की बात कही जा रही है। कहीं भोजन, मिठाई, फलों आदि का वितरण किया जा रहा है। चूंकि देश के चुनाव में मुस्लिम वोटरों का बड़ा योगदान है और इसी वर्ग पर कई दलों की निगाह है। ऐसे में इस आयोजन को राजनीतिक दल अपने ही नजरिए से देख रहे हैं।कई पार्टियों का तो मुख्य वोट बैंक ही मुस्लिम है या फिर सोशल इंजीनियरिंग के सहारे मुस्लिम वोटरों पर सेंध लगाई जाती है। ऐसे में राजनीतिक दल भी इस इज्तमा को चुनाव पूर्व का रिहर्सल मान रहे हैं।