83 पूर्व नौकरशाहों ने बुलंदशहर हिंसा मामले में खुला पत्र लिखकर मुख्यमंत्री योगी का मांगा इस्तीफा
लखनऊ: खुले पत्र के माध्यम से पूर्व नौकरशाहों ने बुलंदशहर हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या को गैर-इरादतन बताया और सरकार द्वारा गोकशी करने वालों पर सख्त कार्रवाई के बयान की आलोचना की। पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि सरकार ने हिंसा में शामिल लोगों की जगह गोकशी के आरोप में उन लोगों को जेल भेजा, जिनके खिलाफ किसी तरह के सबूत नहीं थे।
राजनीति करने वालों ने दो समुदायों के बीच हिंसा को फैलाने का काम किया, लेकिन सीएम योगी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। वे गोकशी पर ही ध्यान देते रहे। एक पुलिस वाले की भीड़ द्वारा हत्या की घटना से राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं। दलितों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के खिलाफ घृणा की राजनीति नहीं होनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के 83 पूर्व नौकरशाहों ने बुलंदशहर हिंसा मामले में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पूर्व अधिकारियों ने खुला पत्र लिखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग की है। साथ ही उन्होंने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने और अपनी मॉनटरिंग में जांच करवाने की मांग की है।
यूपी सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल भी उठाए हैं। ये वे नौकरशाह हैं जो पिछले चार-पांच वर्षों में सिविल सर्विसेज से रिटायर हुए हैं। इनमें 60 आईएएस, 5 आईपीएस, 15 आईएफएस और 3 आईआरएस शामिल हैं। इनमें से कुछ अधिकारी मुख्य सचिव और डीजीपी के पद पर भी रहे हैं।
कुछ ने विदेश मंत्रालय सहित भारत सरकार के अन्य विभागों में उच्च पदों पर अपनी सेवा दी है। खत लिखने वाले पूर्व अधिकारियों में जे एल बजाज, एन बाला बास्कर, बृजेश कुमार, अदिति मेहता, सुनील मित्रा जैसे बड़े नाम शामिल है।
वहीं, दूसरी ओर बुलंदशहर हिंसा की न्यायिक मांग को लेकर अनशन पर बैठे अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती ने अपने खून से सीएम योगी को पत्र लिखा और न्याय की मांग की।
बुलंदशहर के चार विधायकों ने भी सीएम योगी से मिलकर हिंसा की घटना के बारे में पूरी जानकारी दी। सीएम ने उन्हें आश्वस्त किया कि किसी निर्दोष पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। बता दें कि उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोकशी के शक में हुई हिंसा व बवाल में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की हत्या कर दी गई थी।