मोदी सरकार का बड़ा दांव, कैबिनेट ने गरीब सवर्णों के लिए 10% आरक्षण को दी मंजूरी
- गरीब सवर्णों को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण का है प्रस्ताव
- आरक्षण का कोटा 49.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत किया जाएगा
- 8 लाख रुपये से कम सालाना आमदनी वाले आरक्षण के दायरे में आएंगे
- सरकार को आरक्षण लागू करवाने के लिए संविधान में करना होगा संशोधन
नई दिल्ली
मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव चलते हुए गरीब सवर्णों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सोमवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को पास किया गया।
केंद्र सरकार आरक्षण के इस नए फॉर्म्युले को लागू करने के लिए आरक्षण का कोटा बढ़ाएगी। बता दें कि भारतीय संविधान में आरक्षण के लिए आय को आधार मानने का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है। ऐसे में सरकार के पास गेमचेंजर माने जा रहे मूव को अमलीजामा पहनाने के लिए संविधान संशोधन ही एकमात्र रास्ता है
क्या है आरक्षण का नया फॉर्म्युला
सूत्रों के मुताबिक आरक्षण का कोटा मौजूदा 49.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत किया जाएगा। इसमें से 10 फीसदी कोटा आर्थिक रूप से पिछले लोगों के लिए होगा। बता दें कि लंबे समय से आर्थिक रूप से पिछले सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग की जा रही थी। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जिन लोगों की पारिवारिक आय 8 लाख रुपये सालाना से कम है उन्हें ही इसका फायदा मिलेगा। हालांकि अभी तक इसकी अधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है।
लोकसभा चुनाव में मिलेगा फायदा?
बता दें कि बीते दिनों एससी/एसटी ऐक्ट पर मोदी सरकार के फैसले के बाद सवर्ण जातियों में नाराजगी और हाल के विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में मिली हार के मद्देनजर इसे सवर्णों को अपने पाले में लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है।
सबसे बड़ा सवाल
केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए 10 फीसदी कोटे का प्रस्ताव तो पास कर दिया है, लेकिन इसे लागू करवाने की डगर अभी काफी मुश्किल है। सरकार को इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए उसे संसद में अन्य दलों के समर्थन की भी जरूरत होगी।