November 22, 2024

चौपाल परिवार की ओर से आज का प्रातः संदेश,मकरसंक्रान्ति पर विशेष[आचार्य अर्जुन तिवारी]

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फाइल फोटो लेखक -आचार्य अर्जुन तिवारी चौपाल परिवार

साथियों ! भारतीय मनीषियों ने मानवमात्र के जीवन में उमंग , उल्लास एवं उत्साह का अनवरत संचार बनाये रखने के लिए समय समय पर पर्वों एवं त्यौहारों का सृजन किया है।विभिन्न त्यौहारों के मध्य “मकर संक्रान्ति” के साथ मानव मात्र की अनुभूतियां गहराई से जुड़ी हैं।”मकर संक्रान्ति” सम्पूर्ण सृष्टि में जीवन का संचार करने वाले भगवान सूर्य की उपासना के साथ ही यह जन आस्था व लोकरुचि का पर्व है। जैसे हम दिन को सकारात्मक व दिन को नकारात्मक मानते हैं वैसे ही देवताओं की रात्रि को दक्षिणायन व दिन को उत्तरायण कहा गया है।जब भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो देवताओं का दिन अर्थात उत्तरायण प्रारम्भ होता है और पृथ्वी पर लोकमंगल के शुभकार्य प्रारम्भ हो जाते है। वैज्ञानिक तथ्यों को देखा जाय तो भी “मकर संक्रांति” का महत्वपूर्ण स्थान है। वैज्ञानिकों के अनुसार जब सूर्य उत्तरायण में जाता है तो वह अपने ताप से शीत के प्रकोप को शान्त करता है। “मकर संक्रान्ति” की शुभता का एक उदाहरण हमें महाभारत से प्राप्त होता है। इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त किये पितामह भीष्म दक्षिणायन में शरशैय्या पर गिरे। परंतु उन्होंने तब तक मृत्यु की इच्छा नहीं की जब तक सूर्य उत्तरायण में नहीं आये , अर्थात “मकर संक्रान्ति” के बाद ही उन्होंने अपने प्राण त्यागे।ऐसी मान्यता है कि उत्तरायण में इस शरीर का त्याग होने पर जीव को सद्गति प्राप्त होती है।आज के ही दिन “नाथ सम्प्रदाय” के गुरु गोरखनाथ ने “अलाउद्दीन खिलजी” की विशाल सेना का सामना योगियों की विशाल सेना के साथ किया था। समयाभाव में चावल दाल सब्जी आदि एक ही पात्र में बनाकर योगियों ने भोजन किया और एक नया व्यंजन तैयार हो गया जिसे “खिचड़ी” का नाम दिया गया।”मकर संक्रान्ति” के दिन पहली बार “खिचड़ी” बनने के कारण आज के दिन उत्तर – प्रदेश व बिहार में यह पर्व “खिचड़ी” के रूप में मनाया जाता है।”खिचड़ी” का अर्थ यही हुआ कि जहाँ विभिन्न वस्तुयें मिलकर एक हो जायं वह है “खिचड़ी।मैं “आचार्य अर्जुन तिवारी” इतना ही कहना चाहूँगा कि जिस प्रकार खिचड़ी में अनेक सामग्रियाँ मिलकर एक हो जाती हैं उसी प्रकार अनेक संस्कृतियाँ मिलकर हमारे विशाल देश का निर्माण करती हैं। “मकर संक्रान्ति” का पर्व भारतवर्ष के सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भाँति-भाँति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।छत्तीसगढ़, गोवा, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, और जम्मू आदि में इसे “मकर संक्रान्ति” तो तमिलनाडु में ताइ पोंगल व उझवर तिरुनल के रूप में मनाया जाता है। गुजरात एवं उत्तराखण्ड में इसे “उत्तरायणी” तो हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व पंजाब में “माघी” असम में “भोगाली बिहु” , कश्मीर घाटी में शिशुर सेंक्रात , उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में “खिचड़ी” , पश्चिम बंगाल में “पौष संक्रान्ति” तथा कर्नाटक में “मकर संक्रमण” के रूप में हर्षौ़ल्लास से मनाया जाता है।”मकर संक्रान्ति” की सुबह स्नान दान का विशेष महत्व है।दान करने के बाद “खिचड़ी” बनाकर खाना शुभ माना गया है।

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