70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का राष्ट्र के नाम संदेश… हर व्यक्ति को सुविधाएं उपलब्ध कराना जरूरी
नई दिल्ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने देशवासियों से 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने का आह्वान करते हुए इसके लिए लक्ष्यों और उपलब्धियों के नये मानदंड तय करने तथा ऐसे समाज का निर्माण करने पर जोर दिया है, जिसमें हर व्यक्ति के विकास के लिए सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हों। श्री कोविंद ने 7०वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संदेश में कहा कि देश इस समय एक महत्वपूर्ण मुकाम पर है और आज के निर्णय और कार्यकलाप, 21वीं सदी के भारत का स्वरूप निर्धारित करेंगे। उन्होंने कहा कि ‘एकजुट होकर, अपने प्रयासों के बल पर, इस सदी को भारत की सदी बनाने का अवसर हम सबके सामने है। इसलिए, राष्ट्र निर्माण की ²ष्टि से आज का यह समय हम सबके लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना हमारे देशवासियों के लिए स्वतंत्र भारत का शुरुआती दौर था। भारत के गणतंत्र की लंबी यात्रा का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश को अभी बहुत आगे जाना है। उन्होंने कहा कि खासकर, जो लोग विकास की दौड़ में पीछे रह गये हैं, उन सबको साथ लेकर आगे बढऩे की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘इक्कीसवीं सदी के लिए, हमें अपने लक्ष्यों और उपलब्धियों के नये मानदंड निर्धारित करने हैं। अब हमें गुणवत्ता पर और अधिक ध्यान देना होगा। सभी वर्गों और सभी समुदायों को समुचित स्थान देने वाले राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जिसमें हर बेटी-बेटे की विशेषता, क्षमता और प्रतिभा की पहचान हो और उसके विकास के लिए हर तरह की सुविधाएं और प्रोत्साहन उपलब्ध हों। पारस्परिक सहयोग और साझेदारी के आधार पर समाज के निर्माण की बात करते हुए राट्रपति ने कहा कि विचारों के सहज आदान-प्रदान, व्यापक संवाद और गहन संवेदनशीलता के माध्यम से साझेदारियां मजबूत होती हैं। उन्होंने कहा कि संवाद और संवेदनशीलता की उपयोगिता जिस तरह परिवार के स्तर पर सहयोग के लिए प्रभावी सिद्ध होती है, उसी तरह यह समाज के वंचित वर्गों की भागीदारी के लिए भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा, ”हमें इन वर्गों की समस्याओं को सुनने-समझने तथा उनका समाधान करने की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखना चाहिए। सहयोग और साझेदारी की यह भावना ही, पूरे विश्व को एक ही परिवार मानने वाले ‘वसुधैव कुटुम्बकम के आदर्श का भी आधार है। सबको साथ लेकर चलने की समावेशी भावना को भारत के विकास का मूल-मंत्र करार देते हुए श्री कोविंद ने कहा कि देश के संसाधनों पर सभी का बराबर हक है, भले ही वे किसी भी समूह, समुदाय या क्षेत्र के हों। उन्होंने कहा, ‘इस विकास के दायरे में हम सभी देशवासी शामिल हैं। जन-सुविधाएं सबकी पहुंच में हों तथा विकास के अवसर सभी को समान रूप से मिलें, इस सोच के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बहुलता को देश की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि हमारी विविधता (डायवर्सिटी), लोकतंत्र (डेमोक्रेसी) और विकास (डेवलपमेंट) पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल है। दुनिया में भारत के योगदान की सराहना होने का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ”हमारी सोच संयुक्त राष्ट्र के शांति-मिशनों, जलवायु परिवर्तन के मामले में, मानवीय सहयोग प्रदान करने में, या फिर प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत पहुंचाने में भी दिखाई देती है। परिणामस्वरूप, आज विश्व-पटल पर भारत के योगदान की सराहना होती है और पूरे विश्व में हमारे देश को विशेष सम्मान की ²ष्टि से देखा जाता है। उन्होंने कहा कि नयी सोच और प्रौद्योगिकी के बल पर देश के उद्यमी, विकास की नयी इबारत लिख रहे हैं। आज दुनिया की निगाहें, भारतीय युवा उद्यमियों और यहां की अर्थ-व्यवस्था पर टिकी हुई हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि नवीनतम प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाते हुए देश के किसान अधिक समर्थ और जवान अधिक सशक्त हो रहे हैं। अच्छी नीयत के साथ किये गये योगदान को मान्यता दिये जाने की आवश्यकता जताते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ”हमारी संस्कृति, परम्परा और जीवन-आदर्शों में लोक-सेवा का बहुत अधिक महत्व है। हम सबके हृदय में उन व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रति सदैव सम्मान का भाव रहा है, जो अपने सामान्य कर्तव्यों की सीमाओं से ऊपर उठकर लोक-सेवा के लिए समर्पित रहते हैं।Ó उन्होंने कहा कि अच्छी नीयत के साथ किये गये योगदान को मान्यता और सराहना मिलनी ही चाहिए, चाहे वह योगदान किसी व्यक्ति, समूह, निजी या सार्वजनिक संस्थाओं का हो, या फिर सरकार का हो। लोकतंत्र की सफलता के लिए मतदान को पुनीत कर्तव्य करार देते हुए श्री कोविंद ने कहा कि इस बार का चुनाव इस मायने में विशेष होगा कि 21वीं सदी में जन्म लेने वाले मतदाता, पहली बार, मतदान करेंगे और नयी लोकसभा के गठन में अपना योगदान देंगे। उन्होंने कहा, ‘यह चुनाव, सभी देशवासियों के लिए लोकतन्त्र में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। चुनाव के समय, हम सब, साझेदारी और समानता पर आधारित समाज की आशाओं और आकांक्षाओं के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। हमारे लोकतन्त्र की सफलता के लिए मतदान करना हमारा एक पुनीत कर्तव्य बन जाता है। मेरा आप सभी से अनुरोध है कि इस कर्तव्य का अवश्य पालन करें। मोदी सरकार के विभिन्न कार्यों का उल्लेख करते हुए श्री कोविंद ने कहा कि सरकार ने संविधान संशोधन के जरिये, गरीब परिवारों के प्रतिभाशाली बच्चों को शिक्षा एवं रोजगार के विशेष अवसर अवसर उपलब्ध कराये गये हैं। उन्होंने कहा, ”देशव्यापी प्रयासों के बल पर गरीब परिवारों को आवास, पीने के पानी, बिजली और शौचालय की सुविधा मिल रही है। गांवों को शहरों से जोडऩे वाली सड़कें और पुल बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहरों में आवास तथा आधुनिक जन-सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। हर घर तक बिजली पहुंच रही है। युवा हुनरमन्द होकर रोजगार की नयी संभावनाएं पैदा कर रहे हैं। जो लोग अपना व्यवसाय करना चाहते हैं उन्हें बिना गारंटी के ऋण सुविधा सुलभ कराई जा रही है। हर गरीब व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया गया है। लोगों को जन-औषधि केन्द्रों में, सस्ती दरों पर, दवाइयां मिल रही हैं। रियायती दरों पर डायलिसिस की सुविधा प्राप्त हो रही है। श्री कोविंद ने कहा कि गरीब भाई-बहनों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए ऐसे अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। देश में खाद्यान्न का प्रचुर मात्रा में उत्पादन हो रहा है। रसोई गैस आसानी से मिल रही है, फोन कनेक्शन लेना हो या पासपोर्ट बनवाना, बैंक में खाता खुलवाना हो या दस्तावेजों को प्रमाणित करना, इन सभी क्षेत्रों में सुधार एवं बदलाव दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में हो रहे सामाजिक बदलाव, अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। हमारी बेटियां शिक्षा, कला, चिकित्सा और खेल-कूद जैसे क्षेत्रों के अलावा, हमारी तीनों सेनाओं और रक्षा विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी अपनी विशेष पहचान बना रही हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों में पदक पाने वाले विद्यार्थियों में प्राय: बेटियों की संख्या बेटों से अधिक होती है। ऐसे बदलावों के बहुआयामी लाभ मिल रहे हैं। उन्होंने गणतंत्र दिवस को लोकतंत्र पर आधारित गणराज्य के उच्च आदर्शों को याद करने का अवसर करार देते हुए कहा, ‘हमारे गणतन्त्र के लिए यह वर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसी वर्ष दो अक्टूबर को हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 15०वीं जयंती मनायेंगे। गांधीजी ने, हम सबको एक नयी दिशा दिखाई। उन्होंने भारत ही नहीं अपितु एशिया, अफ्रीका तथा दुनिया के कई अन्य देशों में साम्राज्यवाद को खत्म करने के लिए, लोगों में आत्म-विश्वास एवं प्रेरणा का संचार किया और उन्हें आजादी की राह दिखाई। उन्होंने कहा कि बापू आज भी भारतीय गणतंत्र के लिए नैतिकता के प्रकाश-पुंज हैं। आज भी उनका जीवन एवं उनकी शिक्षाएं देश की नीतियों और कार्यकलापों की कसौटी हैं। महात्मा गांधी की 15०वीं जयंती केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए, उनके आदर्शों को गहराई से समझने, अपनाने और अमल में लाने का अवसर है। उन्होंने इस वर्ष 26 नवम्बर को संविधान दिवस की 7०वीं वर्षगांठ मनाये जाने की बात करते हुए कहा कि 26 नवंबर 1949 के ऐतिहासिक दिन संविधान सभा के माध्यम से भारतवासियों ने संविधान को अपनाया। उसके ठीक दो महीने बाद 26 जनवरी 195० को देश का अपना संविधान लागू हुआ और भारत एक गणराज्य के रूप में स्थापित हुआ। उन्होंने कहा, ‘हमारा संविधान हमारे गणराज्य की आधारशिला है। यह एक दूरदर्शी और जीवन्त दस्तावेज है। उच्च आदर्शों और देश-प्रेम से ओत-प्रोत, संविधान-सभा के विद्वान सदस्यों ने इसकी रचना की। गणतन्त्र दिवस के अवसर पर, संविधान की रचना के प्रमुख शिल्पी, बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का योगदान विशेष रूप से स्मरणीय है।