November 21, 2024

SP-BSP को प्रत्याशियों के चयन में हो रही तमाम दिक्कतें

0

लखनऊः उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में उतरने के कारण समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन को प्रत्याशी चुनने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दोनों दलों ने प्रदेश की 38-38 सीटों पर चुनाव लडऩे का फैसला किया है। सपा और बसपा अब प्रत्याशियों का एलान करने में ‘पहले आप’ को अपनाते दिख रहे हैं। दोनों दल कांग्रेस का रुख देखते हुये अभी इंतजार करते दिख रहे हैं। सपा के सूत्रों ने शनिवार को यहां बताया कि अखिलेश यादव ने पार्टी के सभी राज्यसभा सांसदों और विधायकों से कहा है कि वे लोकसभा चुनाव लडऩे के लिये टिकट न मांगें। इसकी वजह यह है कि पार्टी किसी भी हालत में भविष्य में उप चुनाव नहीं चाहती है।

सपा के इस नेता ने बताया कि कुछ विधायकों ने अपनी पसंदीदा सीटों लोकसभा चुनाव लडऩे के लिये टिकट मांगा था। ताकि वे गठबंधन का प्रत्याशी बनकर इन सीटों पर जीत दर्ज करा सकें। इस बीच, बसपा को भी 38 संसदीय सीटों के लिये प्रत्याशियों के चुनाव में दिक्कत आ रही है। इसे लेकर पार्टी में अंदरूनी तौर पर विरोध भी हो रहा है और कई नेता दूसरे दलों में शामिल होकर या निर्दलीय के तौर पर चुनाव लडऩे की योजना बना रहे हैं। सपा और बसपा ने 12 जनवरी को गठबंधन बनाने की घोषणा की थी। जिसके बाद सोशल मीडिया पर प्रत्याशियों की एक सूची वायरल हुयी थी। इस सूची में बसपा अध्यक्ष मायावती को सहारनपुर सीट से उम्मीदवार बताया गया था। बाद में पार्टी ने दावा किया कि सूची फर्जी है।

सूत्रों ने बताया कि प्रत्याशियों के चुनाव को लेकर बसपा में हो रहा विरोध मेरठ और बिजनौर में सामने आ गया है। दोनों ही जगह पार्टी नेतृत्व को एक-एक नाम वापस लेने पड़े हैं। खबरों के मुताबिक मेरठ-हापुड़ के लिये बसपा के संयोजक हाजी याकूब कुरैशी को पार्टी मेरठ से टिकट दे सकती है लेकिन उनका विरोध हो रहा है।

सूत्रों के अनुसार दलित नेताओं के साथ एक बैठक में बसपा के कार्यकर्ताओं ने कुरैशी को संयोजक बनाने का जोरदार विरोध किया और उनपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप लगाया। सूत्रों ने बताया कि बसपा के पूर्व जिला महासचिव डॉ. ओमप्रकाश जाटव और पूर्व जिलाध्यक्ष ओमपाल खादर ने आरोप लगाया है कि 2002 में हुये विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद हाजी याकूब कुरैशी ने पार्टी में ही टकराव की स्थितियां पैदा की। इसके अलावा उन पर मायावती के खिलाफ गलत बयानबाजी करने का भी आरोप है।

कुरैशी का विरोध इसलिये भी हो रहा है क्योंकि वह कई चुनाव हार भी चुके हैं। बसपा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे कुरैशी की पार्टी विरोधी गतिविधियों की जानकारी मायावती को देंगे। इसी तरह कुछ दिन पहले बिजनौर में रुचि वीरा को बसपा का संयोजक बनाये जाने के बाद स्थानीय नेताओं ने उनका जोरदार विरोध किया था। जिसके बाद रुचि को हटाकर उनकी जगह पूर्व विधायक मोहम्मद इकबाल को बिजनौर का प्रभार सौंपा गया। इसके बाद भी हालांकि बसपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की नाराजगी कम नहीं हुयी है। मेरठ और बिजनौर के अलावा कम से कम आधा दर्जन ऐसी संसदीय सीटें हैं जहां बसपा का स्थानीय नेतृत्व संभावित प्रत्याशियों का विरोध कर रहा है। इनमें पार्टी में हाल ही में शामिल हुये नेता भी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

error: Content is protected !! © KKC News

Discover more from KKC News Network

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading