मन की बात सुनने पहुंचा सिर्फ एक व्यक्ति, बिजली जाने पर वह भी नहीं सुन सका कार्यक्रम
महोबाः “तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावे किताबी हैं”। कवि अदम गोंडवी की यह रचना महोबा जिले के सरकारी कार्यक्रमों पर सटीक बैठती है। यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आम जन के लिए किया जाना था, लेकिन सरकारी मशीनरी की लचर कार्यप्रणाली के चलते एक ही व्यक्ति यह कार्यक्रम सुनने पहुंचा और इसी बीच लाईट चली गई जिससे वह भी मन की बात सुने बिना ही चला गया।
मामला महोबा मुख्यालय की सदर तहसील का है। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंतिम मन की बात कार्यक्रम के संबोधन को सुनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा व्यापक व्यवस्था की गई, लेकिन कार्यक्रम को सुनाने के लिए आम जनता और किसानों को जोड़ने का प्रयास दूर-दूर तक दिखाई नहीं दिया। एलईडी टीवी लगाकर बड़ी संख्या में कुर्सियां रखी गई पर वहां कोई नहीं पहुंचा। वहीं एक व्यक्ति मौके पर पहुंचा तो खाली पड़ी कुर्सियां देख हैरान हो गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम अपने निर्धारित समय से शुरू हो गया, लेकिन जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ विधुत चली गई। जब मौके में मौजूद तहसील के कर्मचारी से बात की तो उसने कहा कि एक व्यक्ति के कार्यक्रम सुनने के लिए जरनेटर नहीं चलाया जा सकता और वह व्यक्ति बिना मन की बात सुने ही चला गया। इस दृश्य को देखकर लगता है कि मोदी सरकार के कार्यक्रमों को देखने की रुचि या तो लोगों में नहीं है या फिर सरकार के प्राथमिक कार्यक्रमो में प्रशासन ने रुचि लेना बन्द कर दिया है। प्रशासन और आम जनता की बेरुखी कहीं आगामी लोक सभा मे सरकार को भारी न पड़ जाए।