November 21, 2024

KKc न्यूज:परेशान मध्यमवर्गीय किसान और प्रधानमंत्री मोदी की किसान सम्मान योजना पर विशेष

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?सुप्रभात-सम्पादकीय?

साथियोंं ! इस धराधाम पर रहने वाले मनुष्यों ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों आदि का जो पेट भरता है उसे ईश्वर अल्लाह भगवान कहा जाता है। ईश्वर के अलावा कोई उसका दूसरा स्वरूप इस धरती पर है तो उसे किसान भगवान कहा जाता है। किसान की गाढ़ी कमाई से उसका एवं उसके देश परिवार का ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों और जीव-जंतुओं तक का पेट भरता है। सभी जानते हैं कि खेती किसानी करना आसान नहीं होता है और खेती करना जुए की तरह होता है। किसान भगवान के सहारे अपने खेत में खाद बीज डालता है और भगवान के सहारे ही उसकी परवरिश करके अन्न पैदा करता है। दुनिया में ऐसा कोई धंधा रोजगार नहीं है जिसमे आमदनी होना सुनिश्चित न हो लेकिन किसान की खेती एक ऐसा जीविकोपार्जन धंधा है जिसमे मुनाफा तो क्या लागत तक वापस आने का कोई पक्का भरोसा नहीं होता है।किसान की खेती कभी ईश्वरीय दैवी आपदा तो कभी जंगली पशुओं एवं तरह-तरह की बीमारियों की भेंट चढ़ जाती है और उसकी लागत तक भी डूब जाती है। सभी जानते हैं कि किसान जान हथेली पर रखकर दिन रात कमर तोड़कर मेहनत करके खेती करता है और पूरी दुनिया के लोगों का पेट भरता है। अगर किसान खेती न करें तो दुनिया के लोग ही नहीं बल्कि पशु पक्षी चूहा बिल्ली सभी भूखों मर जाएं। सरकार भले ही आजादी के समय से ही किसानों के हित में तमाम अनुदान योजनाएं एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा रही हो उसके बावजूद देश के 60 फ़ीसदी छोटे एक-दो हेक्टेयर खेती करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति ज्यौ की त्यौ दयनीय बनी हुई है। खेती के चक्कर में किसान आज भी कर्जदार हो कर आत्महत्या करने पर मजबूर है। यह सही है कि 2 हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों को खेती करने में मुनाफा कौन कहे हिसाब करने के बाद खुद की मजदूरी भी नहीं बच पाती है। आधुनिक व्यवसायिक खेती का लाभ भी उसे नहीं मिल पाता है क्योंकि अगर वह अनाज पैदा न करके व्यवसायिक खेती करता है तो उसके बच्चे भूखों मर जाएंगे। सभी जानते हैं कि कम खेती करने पर हमेशा नुकसान होता है क्योंकि उसमें लागत अधिक लग जाती है किंतु उत्पादन पूरा नहीं हो पाता है। यही कारण है कि आज भी दो हेक्टेयर जमीन वाला किसान परेशान फटेहाल है और उसे अपनी व अपने परिवार की दिनचर्या चलाने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उसकी जेब हमेशा खाली बनी रहती है।वह न तो अपने बच्चों को ढंग से पाल पोस पाता है और न ही उन्हें अच्छी शिक्षा ही दिलवा पाता है। इतना ही नहीं बेटा बेटी की शादी एवं के समय मन की मुराद भी पूरी नहीं कर पाता है फिर भी कर्जदार हो जाता है। यही कारण है कि किसानों को सरकार हमेशा से कमजोर मानकर उनके हित में तमाम तरह की योजनाएं चल रही है। इतना ही नहीं इन छोटे किसानों को सरकार तरह-तरह के अब तक अनुदान भी दे रही थी और समय-समय पर कर्ज माफी की योजना भी चलाती रहती है। लेकिन भ्रष्टाचार के युग में सरकार की इन तमाम योजनाओं से इन छोटे मध्यमवर्गीय किसानों का भला नहीं हो पा रहा है। यह सभी जानते हैं कि देश में मतदाताओं का एक भारी हिस्सा इन छोटे यो मझौली किसानों से जुड़ा हुआ है यही कारण है कि चुनाव के समय इन्हें खुश करने के लिए सरकार ऐसा कुछ कर देती है कि वह खुश हो जाते हैं। वर्तमान भाजपा की प्रदेश सरकार एवं कांग्रेस की मध्य प्रदेश सरकार अभी जल्दी ही अपने चुनावी वादे के अनुसार किसानों के कर्ज माफ कर चुकी है। यह बात अलग है इसका पूरा लाभ सरकार की नीतियों के चलते किसानों को मौके पर नहीं मिल पा रहा है। केंद्र की मोदी सरकार ने एक बार फिर अपने वायदे के अनुसार लोकसभा चुनाव अधिसूचना लागू होने से पहले छोटे मझोले किसानों के लिए किसान सम्मान योजना की शुरुआत करके उन्हें एक अनोखा तोहफा दिया गया है। इस तोहफे के मुताबिक प्रत्येक छोटे मझौली किसान को 5सौ रूपये महीने के हिसाब से 6 हजार रुपये सालाना मुफ्त में पेंशन के रूप में मिलता रहेगा। अभी 2 दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने गोरखपुर से इस योजना की डिजिटल शुरुआत करते हुए देश के एक करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में दो दो हजार रुपए एक साथ भेजा गया है। यह सही है कि पहली बार इन बेचारे छोटे मझोले किसानों के हित में ऐसी योजना चलाई गई है। निश्चित तौर से इस योजना का लाभ दिनचर्या चला पाने में परेशान किसानों को भारी राहत मिलेगी। इस योजना की घोषणा के बाद किसानों का एक बड़ा वर्ग खुश हुआ है अगर यह योजना ईमानदारी के साथ धरातल पर उतार दी जाती है तो निश्चित तौर पर इसका लाभ बहुसंख्यक किसानों को मिलेगा लेकिन अगर पिछली योजनाओं की तरह इसे भी लागू किया गया तो खजाना भी खाली हो जाएगा और किसान खुश भी नहीं हो पाएगा। प्रधानमंत्री द्वारा लागू की गई यह किसान सम्मान योजना निश्चित तौर पर आगामी लोकसभा चुनाव में मील का पत्थर साबित होगी और चुनौवी लाभ भी सत्ता दल को मिल सकता है।

भोलानाथ मिश्र वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी।

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