जिनेवा संधि / पाकिस्तान ने दो नियम तोड़े, उसे युद्धबंदी भारतीय पायलट को सुरक्षित लौटाना ही होगा
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नई दिल्ली. पाकिस्तान के विमानों ने बुधवार को भारतीय वायु क्षेत्र का उल्लंघन कर दिया। जवाबी कार्रवाई के दौरान भारत ने पाकिस्तान का एक एफ-16 फाइटर प्लेन मार गिराया। इस दौरान भारतीय वायुसेना का एक मिग-21 भी क्रैश हो गया। इसे उड़ा रहे विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जा गिरे। पाकिस्तान की तरफ से अभिनंदन के दो वीडियो जारी किए गए। एक वीडियो में भीड़ उनके साथ मारपीट कर रही है। दूसरे वीडियो में उनकी आंखों पर पट्टी बंधी है और वे सवालों के जवाब दे रहे हैं।
इन वीडियो के सामने आने के बाद भारत ने कड़ा ऐतराज जताया और पायलट की सुरक्षित रिहाई की मांग की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि खराब होते देख पाक ने विंग कमांडर अभिनंदन का एक और वीडियो जारी किया। इसमें वे चाय पीते नजर आए। पाक अफसरों ने उनसे यह भी सवाल किए कि क्या आपके साथ अच्छा बर्ताव किया जा रहा है? मीडिया में भारतीय पायलट से मारपीट के वीडियो लीक कर पाकिस्तान ने जिनेवा संधि का उल्लंघन कर दिया है। भास्कर प्लस ऐप ने एक्सपर्ट्स के जरिए जाना कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय कानून क्या कहते हैं?
1) युद्ध बंदी को प्रताड़ित नहीं किया जा सकता : रिटायर्ड एयर मार्शल
- एयर मार्शल (सेवानिवृत) दलजीत सिंह का कहना है कि इस बारे में अंतरराष्ट्रीय नियम एकदम स्पष्ट हैं। युद्ध या युद्ध जैसे हालात में यदि कोई सैनिक अपनी वर्दी में पकड़ा जाता है तो उसके साथ किसी घुसपैठिये के समान व्यवहार नहीं किया जा सकता। दुश्मन देश उसे अपने कब्जे में ले सकता है। इसके अलावा सिर्फ उसका नाम, रैंक के अलावा परिवार से जुड़ी जानकारी ही पूछ सकता है। इसके अलावा कुछ भी पूछताछ करने का उसे अधिकार नहीं होता। नियम यह है कि युद्ध बंदी को न तो प्रताड़ित किया जा सकता है और न ही उसके साथ किसी प्रकार का अमानवीय व्यवहार किया जा सकता है।
- सिंह ने बताया कि 1965 और 1971 के युद्ध में पाकिस्तान ने भारत के कई सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया था। उस समय कुछ लोगों के साथ पाकिस्तान का व्यवहार बहुत अच्छा रहा, तो कुछ लोगों के साथ बहुत खराब व्यवहार कर उन्हें प्रताड़ित भी किया गया।
- वर्ष 1971 में भारत ने पाकिस्तान के 90 हजार से अधिक सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया था। इन सभी बंदियों की सुरक्षा से लेकर सभी तरह की सुविधाएं भारत की तरफ से उपलब्ध कराई गई थीं। युद्ध के बाद शांति स्थापित होने पर दोनों देशों के बीच युद्ध बंदियों का आदान-प्रदान होता है। ऐसे में यदि अभी भारतीय पायलट को बंदी बनाया गया है तो उसकी रिहाई के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।
2) जिनेवा संधि के मुताबिक, पाक ने दो उल्लंघन किए
- जिनेवा संधि के मुताबिक, दूसरे देश के सैनिकों के साथ युद्ध के समय पर ही नहीं, बल्कि शांति काल में भी अच्छा बर्ताव करने का प्रावधान है। जैसे ही जंग जैसे हालात खत्म हो जाएं, उनकी तुरंत रिहाई होनी चाहिए। यह संधि कहती है, ‘एक देश को युद्ध के दौरान हिरासत में लिए गए दुश्मन देश के सैनिक के साथ कोई भी ऐसा कृत्य नहीं करना चाहिए जिससे उसकी मौत हो सकती है या उसे नुकसान पहुंच सकता है।’ इस तरह पाक ने संधि का पहला उल्लंघन कर दिया।
- युद्धबंदी को शारीरिक उत्पीड़न देना प्रतिबंधित है। उस पर चिकित्सकीय और वैज्ञानिक प्रयोग की भी सख्त मनाही है। उसके फोटो और वीडियो भी सामने लाना प्रतिबंधित है। विंग कमांडर अभिनंदन के फोटो और वीडियो जारी कर पाकिस्तान ने संधि का दूसरा उल्लंघन कर दिया।
- संधि के मुताबिक, युद्धबंदियों को पूर्ण सुरक्षा देना उन्हें हिरासत में लेने वाले देश की जिम्मेदारी है। अगर इनमें से किसी भी बात का उल्लंघन होता है तो यह जिनेवा संधि का उल्लंघन माना जाता है। संबंधित देश इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकता है।
- इस संधि में युद्धबंदी के साथ हिरासत में कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए और उसे क्या-क्या सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए, इन बातों का भी उल्लेख है। इनमें युद्धबंदी को न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने का मौका, जरूरत होने पर चिकित्सीय उपचार, समय पर खाना-पानी, रहने के लिए आवास और अपनी धार्मिक गतिविधियां करने की स्वतंत्रता देने जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
3) किसी टॉर्चर के बाद भी मुंह नहीं खोलते भारतीय पायलट
- एक अन्य रिटायर्ड पायलट का कहना है कि पायलट्स को ट्रेनिंग दी जाती है कि वे थर्ड डिग्री टॉर्चर के बावजूद अपना मुंह नहीं खोलें। पायलट के पकड़े जाने पर दुश्मन देश उसके देश को इसकी सूचना देता है। इस सूचना में पायलट का नाम, रैंक और उसकी शारीरिक स्थिति के अलावा उसके पास से बरामद किए गए सामान की पूरी जानकारी दी जाती है। यहां तक की उसके पास से बरामद पिस्टल में कितनी गोली बची हुई है, इसकी भी जानकारी शेयर की जाती है।
- वायुसेना के (रिटायर्ड) ग्रुप कैप्टन अरविंद पाटिल का कहना है कि शांतिकाल के दौरान फाइटर्स अपने देश की सीमा में ही उड़ान भरते हैं। ऐसे में वे अपने साथ हथियार नहीं रखते, लेकिन जंग जैसे हालात में सभी पायलट्स अनिवार्य रूप से अपने सभी हथियार साथ लेकर चलते हैं। पैराशूट से छलांग लगाते समय ये हथियार उनके साथ होते हैं। सभी पायलट्स को इसकी पर्याप्त ट्रेनिंग दी जाती है कि यदि उनका विमान जंगल में गिर जाए तो विषम हालात में कैसे जिंदा रहा जाए? ऐसे में चाकू और एक मजबूत पतली डोरी बहुत काम आती है।
4) 20 साल पहले करगिल जंग के वक्त फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता की 8 दिन में रिहाई हुई थी
करगिल जंग के वक्त जब कम्बापति नचिकेता वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे तब उनकी उम्र 26 साल थी। उनके जिम्मे बटालिक सेक्टर की सुरक्षा थी। 27 मई 1999 को वे मिग-27 फाइटर प्लेन उड़ा रहे थे जब इंजन फेल हो जाने के चलते उन्हें इजेक्ट होना पड़ा और पैराशूट के सहारे वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जा गिरे। पाकिस्तान के सैनिकों ने उनके साथ बुरी तरह मारपीट की। पाक सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के दखल के बाद उनके साथ बुरा बर्ताव रुका। भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाया और आठ दिन बाद नचिकेता की रिहाई हो सकी।
5) 1965 की जंग में बंदी बनाए गए थे स्क्वाड्रन लीडर
1965 की भारत-पाक जंग के वक्त भी कई भारतीय सैनिकों को पाक ने बंदी बना लिया था। इनमें एक स्क्वाड्रन लीडर केसी करियप्पा भी थे। उनके विमान को पाकिस्तानी वायुसेना ने निशाना बनाया था। इसके बाद उन्हें पाकिस्तान ने बंदी बना लिया था। जब जंग खत्म हुई तो चार महीने बाद उनकी रिहाई हो सकी।
Source:DB
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