राजरंग 2019:अशांत सपाई महासागर से अवतरित हुए राम सागर,बेनी के दबदबे में दब कर रह गया गोप का जलवा-के0 के0 द्विवेदी
सपा नेतृत्व ने रानी का छीना राज,तो गोपाल से किया राम-राम,राम सागर के समर्थकों में जोश, दूसरे गुट के लोग सकते में?
कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)
बाराबंकी। बाराबंकी में अशांत सपाई महासागर से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में पूर्व सांसद रामसागर रावत का अवतरण हो गया है ।जाहिर है इस घोषणा से पूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का जलवा एवं दबदबा सपा में फिर से दिखा तो वहीं दूसरी ओर पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप को इससे करारा झटका लगा है ।यही नहीं सपा की पूर्व प्रत्याशी राज रानी रावत एवं पूर्व विधायक राम गोपाल रावत भी बेटिकट हो चुके है?बाराबंकी समाजवादी पार्टी में अपने चहेतों को टिकट दिलाने की मुहिम को आज ब्रेक लग गया। बीते दिनों से जारी इस मुहिम में सफलता पाई है पूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने ।राज्यसभा सांसद बेनी प्रसाद ने फिलहाल दिखा दिया है कि समाजवादी पार्टी में उनका दबदबा आज पूरी तरह से लगभग हो चुका है! सनद हो कि यहां सपा एवं बसपा के गठबंधन से टिकट पाने के लिए सपा के पूर्व सांसद रामसागर रावत, पूर्व प्रत्याशी श्रीमती राजरानी रावत, पूर्व विधायक राम गोपाल रावत सहित कई अन्य नाम चर्चा में थे। जाहिरा तौर पर राम सागर रावत को पूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का खासमखास माना जा रहा था ।वहीं श्रीमती राजरानी रावत एवं राम गोपाल रावत अरविंद सिंह गोप के खास है। सूत्रों के मुताबिक वर्मा गुट मान कर चल रहा था कि राम सागर रावत को टिकट मिलना तय है ।क्योंकि जिस प्रकार से पूर्व सांसद श्री रावत राजनीतिक नेपथ्य में चले गए थे ।उसके बाद में उनका बाराबंकी जनपद में निकलना तथा लोगों से संपर्क करना इस बात की गवाही दे रहा था कि उन्हें सपा से हरी झंडी मिल गई है। आज नेतृत्व ने उस पर मुहर भी लगा दी।गौरतलब हो कि रामसागर पूर्व में समाजवादी पार्टी से कई बार सांसद व विधायक रह चुके हैं। वह सपा के राष्ट्रीय सचिव के पद को भी सुशोभित कर चुके हैं।सपा के खास सूत्रों का कहना है कि जिले की राजनीति में अपना दबदबा बनाने के लिए काफी अरसे से पूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा एवं पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप के बीच रस्साकशी का माहौल चल रहा था। यही नहीं कि बीते विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो यही घातक गुटबाजी ही एक कारण रही है कि सपा को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा? ऐसे में अब राम सागर रावत को लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद यह अशांत मन शांत होंगे अथवा नहीं इस पर भी लोगों की निगाहें जम चुकी है? सूत्रों के मुताबिक अरविंद सिंह गोप ने बेनी प्रसाद वर्मा से हमेशा दूरी बनाए रखी! चर्चा तो यह भी थी कि रामनगर विधानसभा में वर्मा जी के कई खास लोगों ने भी गोप को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी?खैर यह बात तो बीती बात हो गई लेकिन ऐसे कई घाव है जो समाजवादी पार्टी में सपा के नेताओं में आपसी तौर पर नासूर बनते चले गए। यदि निष्पक्ष रुप से कहा जाए तो आज बाराबंकी समाजवादी पार्टी की हालत भितरघात एवं मैं बड़ा तू छोटा की स्थिति में जाकर कैद हो चुकी है। सपा नेतृत्व को इस पर विशेष ध्यान देना होगा। अन्यथा इसका नुकसान भी पार्टी प्रत्याशी को उठाना पड़ सकता है।
पूर्व सांसद रामसागर रावत के प्रत्याशी बनने के बाद जहां उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है वहीं दूसरे बेटिकट हुए सपा नेताओं के गुट में मायूसी का दौर है ।सपा में जो गुटबाजी है उसमें पार्टी में अपना प्रभाव बढ़ाने का मामला तो है ही बल्कि यह स्पष्ट कहा जाए तो मामला जातिवादी सोच को लेकर भी है ।कोई नेता जहां पिछड़ा वर्ग जिंदाबाद कर रहा है, तो कोई दलित जिंदाबाद कर रहा है ,तो वही कोई सामान्य की बात कर रहा है। जाहिर है कि यहां समाजवाद की भावना का ह्रास हुआ है। पूर्व सांसद रामसागर रावत बाराबंकी में चुनाव लड़ने का पुराना अनुभव रहा है। इसी की बदौलत तो वह कई बार चुनाव भी जीते हैं। लेकिन उनकी टक्कर एक बार फिर पुनिया खानदान से होनी तय है। इससे पहले जब राम सागर रावत चुनाव हारे थे तो उन्हें डॉक्टर पी एल पुनिया ने चुनाव में हराया था ।जबकि अब माना जा रहा है कि कांग्रेस यहां से पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया को चुनाव मैदान में उतरने का मन बना चुकी है।सपा के रणनीतिकारों को चुनाव के मद्देनजर राजरानी , राम गोपाल रावत के समर्थकों को विश्वास में लेना होगा अन्यथा इसका सीधा फायदा कांग्रेस एवं भाजपा की प्रत्याशी को मिल सकता है ।कुल मिलाकर कुछ भी हो लेकिन यह तो साफ दिख रहा है कि बेनी प्रसाद वर्मा ने एक बार समाजवादी पार्टी में अपना दबदबा कायम करके दिखा दिया है जबकि अरविंद सिंह गोप का जलवा दबकर रह गया है! जिले में गोप विरोधी गुट ने जो गोप विहीन राजनीति करने की मुहिम शुरू की थी उससे लोकसभा प्रत्याशी की घोषणा के बाद ताकत मिली है। ऐसे में गोप को स्वयं अपने कद को भी बचाने के साथ ही अपने लोगों को भी ताकत देनी होगी ।यह उनके सामने चुनौती है?दूसरी ओर सबसे बड़ी जो चुनौती है वह है पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के सामने ।क्योंकि सपा नेतृत्व ने उनकी पसंद को अपनी पसंद माना है तो वहीं गोप गुट की पसंद को नापसंद कर दिया है ।ऐसे में सपा प्रत्याशी राम सागर रावत को सांसद बनाना करना बेनी वर्मा की जिम्मेदारी है,? फिलहाल सपा प्रत्याशी की घोषणा के बाद बाराबंकी जनपद का राजनीतिक तापमान बढ़ चला है ।तो वहीं समाजवादी पार्टी में भी इसी के चलते अलग-अलग दरबारों में परपंच एवं चर्चाओं तथा बैठकों का दौर प्रारंभ है। ऐसी बैठकें राजनीतिक है। कौन सी पंचायत कैसा स्वरूप लिए हुए हैं इसका चेहरा जल्द ही सामने आएगा…?