राजरंग-2019 बेदाग तनुज महागठबंधन व भाजपा के लिए चुनौती बन कांग्रेस के युवा प्रत्यासी ,कड़े चुनावी घमासान की ओर बढ़ी बाराबंकी-के0के0 द्विवेदी
कांग्रेस के युवा प्रत्याशी ने बेनी प्रसाद का बढ़ाया सियासी सिरदर्द
कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)
बाराबंकी ! कांग्रेस के द्वारा लोकसभा प्रत्याशी के रूप में राज्यसभा सांसद डॉ पी एल पुनिया के पुत्र बेदाग तनुज पुनिया को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद महागठबंधन एवं भाजपा के सामने सियासी चैलेंज आ खड़ा हुआ है। इसके साथ ही जगजाहिर खुन्नस के चलते पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का सियासी सिर दर्द भी इस युवा प्रत्याशी ने बढा दिया है ।तो वही बाराबंकी संसदीय क्षेत्र की इस सीट पर कांटे की टक्कर लगभग तय हो गई है।कांग्रेस ने आसन्न लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बाराबंकी संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी के रूप में युवा तनुज पुनिया पर दांव लगाया है। राजनीतिक हलकों में पहले से ही यह अनुमान था कि तनुज पुनिया ही कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद डॉ पी एल पुनिया के पुत्र तनुज लगभग एक डेढ़ वर्ष से चुनाव लड़ने का मन बनाते हुए सघन जनसंपर्क अभियान में जुटे हुए हैं। चर्चा होती है कि जहां अन्य दलों के प्रत्याशी चुनाव के समय जनपद का दौरा शुरू करेंगे वहीं तनुज ने लगभग संसदीय क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचकर अपनी संपर्क की यात्रा पूरी कर ली है। कांग्रेस के द्वारा तनुज को चुनाव मैदान में उतारने के बाद बाराबंकी का चुनाव रोचक हो चला है ।सनद हो कि यहां पर महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में राम सागर रावत सामने हैं। वही भाजपा भी मजबूती से चुनाव मैदान में खड़ी है ऐसे में सभी की निगाहें कांग्रेस लगी हुई थी।सियासी चर्चा के मुताबिक वेदाग तनुज पुनिया अपने विरोधी प्रत्याशियों के लिए बड़ा चैलेंज साबित हो सकते हैं। तनुज का हाल चुनाव के दौरान यही नजर आ सकता है कि ,,देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर,,। इसके अतिरिक्त एक खास बात यह भी है कि समाजवादी पार्टी में गुटबाजी से जूझते हुए पूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के लिए तनुज पुनिया भी एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि कांग्रेश में रहते हुए श्री वर्मा एवं डॉ पी एल पुनिया के बीच रहा छत्तीस का आंकड़ा जग जाहिर है। बेनी प्रसाद वर्मा को पुनिया कभी भी फूटी आंख नहीं सुहाए। जिसके चलते एक दल में रहते हुए भी दोनों नेताओं में काट छांट जारी रही। आखिरकार बेनी कांग्रेस छोड़कर सपा में फिर लौट गए। जबकि पुनिया के लिए कांग्रेस में पूरा रास्ता साफ हो गया। ऐसे में अब जब पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया चुनाव मैदान में सामने आते हैं तो बेनी प्रसाद वर्मा का सिरदर्द बढ़ना लाजिमी है।ऐसे मे वर्मा किसी भी प्रकार से तनुज को चुनाव में पराजित करके उनके पिता पीएल पुनिया से अपना सियासी हिसाब किताब बराबर करना चाहेंगे ?लेकिन यहां चुनौती तनुज की ओर से भी तगड़ी नजर आ रही है।
इस संबंध में जब महागठबंधन के कई वरिष्ठ नेताओं से वार्ता की गई तो उनका कहना था कि कांग्रेश को कमतर ढंग से आंकना हमारी चुनावी रणनीतिक भूल होगी? वहीं दूसरी ओर भाजपा के दिग्गज भी यह मानकर चल रहे हैं कि अंत तक भाजपा की जो चुनावी लड़ाई है वह कांग्रेस से होगी !पूर्व के संपन्न हो चुके लोकसभा चुनाव में जब भाजपा की प्रियंका रावत ने यहां पर भगवा झंडा फहराया था तो उस समय कांग्रेस यहां नंबर दो पर थी! भले ही जिले में कांग्रेस का संगठन बहुत ही मजबूत ना माना जाता हो लेकिन बड़े पुनिया एवं छोटे पुनिया के जनसंपर्क अभियान की काट विरोधी दलों के नेताओं के पास फिलहाल नजर नहीं आ रही है?? जिस प्रकार से तनुज पुनिया ने छोटे से लेकर बड़े तक के आयोजनों में अथवा सुख दुख में लोगों के पास पहुंचने की मिसाल कायम की है, वहीं संपर्क शैली उनके लिए आज चुनाव में बड़ी ताकत के रूप में नजर आ रही है।कुछ लोगों का यह भी कहना है कि महागठबंधन के प्रत्याशी राम सागर रावत को भी कम आंकना भूल होगी। वह भी कई बार सांसद रह चुके हैं ।तो भाजपा के समर्थकों का कहना है कि जो भी लड़ेगा भाजपा से ही लड़ता नजर आएगा। जबकि बाराबंकी में एक वर्ग ऐसा भी है जिस का दावा है कि कुछ भी हो परंतु सभी प्रत्याशियों में तनुज पुनिया की छवि बेदाग है !जो कि उनके लिए फायदेमंद है? कुल मिलाकर कांग्रेस ने युवा प्रत्याशी उतार कर के महागठबंधन एवं भाजपा के लिए एक बड़ा चैलेंज खड़ा कर दिया है। जिसे कम करके देखना सियासतदानों के लिए भूल ही होगी ।राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक बाराबंकी संसदीय सीट का जो माहौल दिखाई दे रहा है इस समय कांटे की टक्कर नजर आ रही है। यहाँ स्थिति त्रिकोणत्मक संघर्ष की है ?ऐसे में कांग्रेस के चुनाव में संघर्ष करने की बात भाजपा भी स्वीकार कर रही है और सपा बसपा के समर्थक भी। फिलहाल तो बाराबंकी में सियासी तापमान दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है जबकि आम मतदाता अभी चुप्पी में है।।