भाजपा सांसद ने चौकीदार को थमाया इस्तीफा, सपा में हुए शामिल
उत्तर प्रदेश के हरदोई से भारतीय जनता पार्टी के सांसद अंशुल वर्मा ने पार्टी पर तंज कसते हुए अपना इस्तीफा बीजेपी अध्यक्ष को सौंपने के बजाय प्रदेश पार्टी दफ्तर के चौकीदार को सौंपा है। लोकसभा चुनाव में हरदोई संसदीय सीट से बीजेपी ने अंशुल वर्मा का टिकट काटकर जय प्रकाश रावत को उम्मीदवार बनाया है। इसी बात से नाराज अंशुल वर्मा ने बीजेपी अध्यक्ष को सौंपने के बजाय प्रदेश पार्टी दफ्तर के चौकीदार को सौंपा। भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देने के कुछ ही घंटे के भीतर वह अखिलेश यादव की उपस्थिति में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। आपको बता दे कि हरदोई लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरिक्षत है।
हरदोई संसदीय सीट से टिकट कटने के बाद से नाराज अंशुल वर्मा ने लंबा चौड़ा पत्र लिखते हुए बीजेपी पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वह 21 साल से पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं। ऐसे में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है। अंशुल वर्मा ने कहा कि हमें लगता है कि पार्टी ने गहरा मंथन और विचार-विमर्श करने के बाद टिकट का निर्णय लिया होगा। बीजेपी ने 6 में से 4 दलित सांसदों का टिकट काटा ये चौंकाने वाला विषय है। क्या दलित सांसद ही एक मात्र ऐसे सांसद हैं जिन्होंने विकास का कार्य नहीं किया है, या विकास की कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं। बता दे कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अंशुल वर्मा ने 18 साल के बाद कमल खिलाने में कामयाब रहे थे।
अंशुल वर्मा का कहना था कि उन्होंने विकास किया है और विकास ही करेंगे। वह अंशुल थे और अंशुल ही रहेंगे, चौकीदार नहीं बनेंगे। अगर विकास ही मानक था तो मैंने क्षेत्र में 24 हजार करोड़ रुपए मूल्य का विकास कार्य लेकर पहुंचा। सदन में भी मेरी उपस्थिति 95 फ़ीसदी थी। मेरा दोष यही था कि मैंने अपने समाज के लिए सिर उठाया। आज बीजेपी का कोई पदाधिकारी मुझसे मिलने के लिए तैयार नहीं है। गौरतलब है कि बीजेपी ने अब तक जारी यूपी की 61 प्रत्याशियों की सूची में 12 मौजूदा सांसदों के टिकट को काट दिया है। बाराबंकी, कुशीनगर, रामपुर, इटावा, बलिया, आगरा, फतेहपुर सिकरी, मिश्रिख, कानपुर, शाहजहांपुर, संभल और हरदोई के मौजूदा सांसदों को टिकट नहीं दिया है।