कौन था वो आईएएस जिसने आडवाणी के माइक पर हाथ रखकर कहा था- “योर टाइम इज़ ओवर सर”
चुनाव का वक्त है और आचार संहिता लागू करने को लेकर प्रशासनिक खेमा सक्रिय है। इस नियम को लागू करना सरकारी अधिकारियों के लिए टेढ़ी खीर होता है, लेकिन आचार संहिता को लिए गए कुछ सख़्त फ़ैसले याद रह जाते हैं। साल 2004 में एक ऐसे ही अधिकारी का निर्णय आज भी याद आता है। इसके साथ ही याद आता है टाइम मैगजीन द्वारा यंग एशियन एचीवर अवॉर्ड से सम्मानित गौतम गोस्वामी का नाम।
यह 7 अप्रैल 2004 की वह रात थी, जब लोकसभा चुनाव प्रचार को लेकर पटना में गहमागहमी थी। पटना के गांधी मैदान में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एवं देश के गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की चुनावी सभा में भाषण दे रहे थे। इसी बीच अचानक मंच पर तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. गौतम गोस्वामी पहुंचे और आडवाणी से कहा- ‘टाइम इज ओवर सर।’ बस क्या था! ऐसा कहते ही सबकी नजरें गौतम गोस्वामी पर टिक गईं। सब अवाक थे। ये क्या कह दिया उन्होंने? उस समय आडवाणी माइक पर थे, और मंच पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बड़े नेता नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी, शत्रुघ्न सिन्हा, नंदकिशोर यादव और गोपाल नारायण सिंह भी मौजूद थे।
फिर गोस्वामी ने माइक पर हाथ रख दिया
दरअसल, चुनाव आयोग का यह साफ दिशा निर्देश था कि रात दस बजे के बाद कहीं भी किसी तरह के लाउडस्पीकर या साउंड बॉक्स का प्रयोग नहीं किया जा सकता। गौतम गोस्वामी ने आदेश का पालन करते हुए मंच पर उस वक्त देश के गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री के माइक पर हाथ रख दिया था और उन्हें भाषण देने से रोक दिया था। तब गौतम गोस्वामी की इस कार्रवाई की पूरे देश में चर्चा हुई थी। गौतम गोस्वामी को प्रतिष्ठित ‘टाइम’ मैग्जीन ने भी कवर पर जगह दी थी और गौतम गोस्वामी के बारे में लिखा था कि उन्होंने जिस तरह से नियम कानूनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है उससे जनता के मन में नौकरशाही के भ्रष्ट और अयोग्य होने की धारणा खत्म हुई है।
फिर कैसे हो गई गोस्वामी की मौत?
लेकिन, इसके एक साल के भीतर ही गौतम गोस्वामी पर बाढ़ राहत में करोड़ों रुपयों के घोटाले के आरोप लगाए गए और उन पर एक लाख का इनाम भी घोषित किया गया। अंततः गौतम गोस्वामी को जेल हो गई और वो निलंबित कर दिए गए और इसके बाद कैंसर से उनकी मौत हो गई।
मूलरूप से बिहार के डेहरी आनसोन के रहने वाले गौतम गोस्वामी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से मेडिसिन में स्नातक किया था। इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का फैसला किया था। 1991 की सिविल सेवा परीक्षा में गौतम ने सातवां स्थान प्राप्त किया था। गोस्वामी की चर्चा लालू प्रसाद यादव के अलग- अलग ठिकानों पर पड़ी छापेमारी के लिए भी होती रही थी।