खुलेआम दबंगई करने वाले जालिम पर प्रशासन मेहरबान
चुनौती देकर सार्वजनिक खड़ंजा के ईंटो को उखाड़ किया अवैध कब्जा।
ग्रामीणों ने पुलिस से लेकर डीएम तक की शिकायत पर जालिम की हनक से प्रशासन हुआ सुस्त।
पटरंगा(अयोध्या) ! नाम ही जालिम नही उसका काम भी जालिम है।और उससे भी बड़ा जालिम यहां प्रशासन है।जो जालिम के जुल्म के शिकार पीड़ितों की मदद के बजाय उसे ही कानूनी झमेले में उलझाते रहे।और पीड़ित न्याय के लिये विगत छः माह से सिर्फ अफसरों की चौखट की परिक्रमा करते रहे।हम बात कर रहे है तहसील रुदौली पटरगा थाना क्षेत्र के हाईवे चौकी के समीप मथुरा का पुरवा गांव की।जहां के रहने वाले जालिम ने अपनी दबंगई दिखाते हुए चुनौती देकर एक सार्वजनिक खड़ंजा मार्ग के ईंटो को उखाड़ दिया।और उस पर अतिक्रमणकर लोगों के आवागमन को अवरुद्ध कर दिया।हैरत तो तब हुई जब इस दबंगई पूर्ण तरीके से किये गए अवैध कब्जे की शिकायत करने गांव के ही निवासी राम लखन सिंह पूर्व पीडब्ल्यू आई सामने आए।तो दबंग जालिम, भीमसेन व रंजीत आदि एक राय होकर उन्हें अभद्र गालियों से नवाजते हुए जान से मारने की धमकी तक दे डाली।बावजूद पीड़ित रामलखन ने पटरंगा पुलिस व एसडीएम रुदौली को प्रार्थना पत्र देकर सार्वजनिक मार्ग खाली कराने की गोहार लगाई।मौके पर पहुंची पुलिस कार्रवाई से पल्ला झाड़ते हुए पीड़ित को नसीहत दी कि मामला राजस्व का है।आप एसडीएम के पास जाएं।और मौके पर आए हल्का लेखपाल मुन्नालाल व कानूनगो अनुपम वर्मा व तहसीलदार ने सलाह दी की आप बीडीओ के पास जाए वे इस पर कार्रवाई करेंगे।पीड़ित लगातार चार माह तक थाना तहसील के चक्कर लगाने बाद अपनी फरियाद लेकर डीएम के पास गए।डीएम अनुझ झा ने पीड़ित की फरियाद सुनते ही तत्काल एसडीएम रुदौली को सार्वजनिक मार्ग को खाली कराकर आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया।एसडीएम ने मामले की जांच व अतिक्रमण को हटवाने के लिये कानूनगो रुदौली को दी।लेकिन जांच के बाद पुनः मामले में लीपापोती की गई।छः माह हो गई न अतिक्रमण हटा और न ही सार्वजनिक खड़ंजा मार्ग को उखाड़ने वाले दबंगो के विरुद्ध कोई कार्रवाई ही हुई।अब तो दबंग खुलेआम शिकायतकर्त्ता को आये दिन गाली गलौज व जान से मारने की धमकी दे रहे है।
पीड़ित ने फिर से की फरियाद तो एसडीएम हुई सख्त।
केसडीएम के निर्देश के बावजूद जब कोई कार्रवाई नही हुई तो पीड़ित रामलखन सिंह पुनःएसडीएम के पास पहुंचे।कोई कार्रवाई न होने की बात बताई सुनते ही एसडीएम ज्योति सिंह का गुस्सा सातवें स्थान पर पहुंच गया।उन्होंने तत्काल लेखपाल कानूनगो नायब व तहसीलदार को तलब करते हुए कड़ी फटकार लगाई।और सबके विरुद्ध कार्रवाई की बात कहते हुए एसओ पटरंगा को फोन से सख्त निर्देश दिया कि आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित कर सार्वजनिक मार्ग को अतिक्रमण मुक्त कराओ।लेकिन पटरंगा पुलिस द्वारा पीड़ित को बताया गया कि वो इसकी सूचना बीडीओ को दे।पीड़ित की तहरीर पर एडीओ पंचायत व सेक्रेटरी ने जांच की।लेकिन किसी भी कार्रवाई करने से ब्लॉक कर्मी भी बच रहे है।अभी तक न तो मार्ग अतिक्रमण मुक्त हुआ न ही अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई ही हुई।
बयानों से पता चलता है कि किस तरह बरती गई लापरवाई।
मामले में लेखपाल मुन्नालाल का कहना है कि मैं गया था लेकिन मामला पुराने आबादी का है और अतिक्रमण नही।जबकि कानूनगों अनुपम वर्मा का कहना है कि मैंने जांच किया शिकायतकर्त्ता ने ही अतिक्रमण किया है।जिस पर शिकायतकर्त्ता आरोप लगा रहा है न तो उसने अतिक्रमण किया है न ही कोई खड़ंजा मार्ग ही उखाड़ा है।जबकि तहसीलदार शिवप्रसाद ने बताया जांच में अतिक्रमण की शिकायत सही पाए गईं।जिसे खाली कराने की योजना बन रही है।वही एसडीएम ज्योति सिंह ने कहा कि पीड़ित आज आया था उसने जो वीडियो दिखाई उसमें साफ खड़ंजे को उखाड़े जाने की बात दिख रखी है।जिस पर पटरंगा एसओ को मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है।कार्यवाहक थानाध्यक्ष पटरंगा दीपेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि अभी तहरीर नही आई है तहरीर मिलते ही मुकदमा दर्ज किया जाएगा।अफसरों के बयान से आप स्वयं अंदाजा लगा सकते है कि न्याय के लिये लोगों को कितने दिन लगते है।और कही ऐसे लेखपाल व कानूनगो हर जगह हो तो न्याय की उम्मीद तो बिल्कुल न करें।लेकिन एसडीएम ज्योति सिंह अपने मातहतों की करतूत से दुखी होकर पटरंगा एसओ को कार्रवाई का निर्देश दे दिया है।