अयोध्या:अपहरण के बाद मनोज शुक्ला की कर दी गई हत्या ,पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठ रहे है सवाल
अयोध्या। नगर कोतवाली क्षेत्र के सिविल लाइंस के एक रेस्टोरेंट से बुधवार को अपहृत मनोज शुक्ल की उसी रात हत्या करके शव गोंडा में मसकनवा के पास रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया था।
मुख्य आरोपी आशीष सिंह की गिरफ्तारी के बाद शनिवार को घटना का खुलासा हुआ तो पीड़ित परिवारीजन व शुभचिंतक भड़क गए। देर शाम सैकड़ों लोगों ने रिकाबगंज चौराहे पर जाम लगाकर पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए एसपी सिटी को बर्खास्त करने की मांग शुरू कर दी।
एसपी सिटी अनिल सिंह सिसौदिया ने बताया कि नगर कोतवाली क्षेत्र के लक्ष्मणपुरी स्थित आवास से घटना के मुख्य आरोपी आशीष सिंह को शुक्रवार रात अपहृत मनोज की बाइक के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
पूछताछ के दौरान आशीष ने बुधवार रात ही मनोज की हत्या करने की बात स्वीकार की। पूछताछ में पता चला कि हत्या के बाद उसने मनोज का शव गोंडा जिले में मसकनवा के पास रेलवे ट्रैक पर फेंका था।
इस पर अयोध्या पुलिस ने गोंडा पुलिस से संपर्क किया तो मसकनवा में रेलवे ट्रैक पर अज्ञात युवक का शव मिलने की जानकारी हुई। मगर पुलिस ने अज्ञात मानकर मात्र 24 घंटे में ही शव का पोस्टमार्टम कराकर लावारिस में अंतिम संस्कार करा दिया।
गोंडा पुलिस द्वारा भेजी गई फोटो से मनोज के परिवारीजन ने उसकी शिनाख्त की। इसी के साथ मनोज की हत्या का पता चलते ही परिवारीजनों का गुस्सा फूट पड़ा।
शनिवार देर शाम मनोज की बहन पूजा, श्वेता, प्रीति व कीर्ति समेत सैकड़ों लोगों ने रिकाबगंज चौराहे पर जाम लगाकर पुलिस के खिलाफ धरने शुरू कर दिया।
इस दौरान पुलिस-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी के साथ ही एसपी सिटी को बर्खास्त करने की मांग की गई। सपा नेता व पूर्व मंत्री तेज नारायन पांडेय पवन भी दर्जनों समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचकर धरने में शामिल हो गए।
एसपी सुरक्षा त्रिभुवन नाथ तिवारी, सीओ सदर वीरेंद्र विक्रम, सीओ रुदौली धर्मेंद्र यादव, एडीएम सिटी वैभव शर्मा, सिटी मजिस्ट्रेट संतोष सिंह समेत दर्जन भर थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस व प्रशासन के अधिकारी आक्रोशित लोगों को समझाने का प्रयास करते रहे मगर देर रात तक धरना-प्रदर्शन जारी था।
एसपी सिटी पर आरोपी को बचाने का आरोप
धरना दे रहे सैकड़ों लोगों ने एसपी सिटी अनिल सिंह सिसौदिया पर आरोपी आशीष सिंह को बचाने का आरोप लगाया। मनोज की बहनों का कहना है कि शनिवार शाम जब वे एसपी सिटी से मिलने गई तो उन्होंने आरोपी आशीष को गुनहगार नहीं बताया।
धरना दे रहे लोग एसपी सिटी को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे। वहीं, मनोज के भाई राघवेंद्र शुक्ल का आरोप है कि उन्होंने जब-जब नगर कोतवाल विनोद बाबू मिश्र से आरोपी व अपने भाई की तलाश करने को कहा तब-तब वे हाई अलर्ट जारी होने और अन्य व्यस्तता का हवाला देकर उन्हें टरकाते रहे।
गोंडा पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल
मसकनवा में रेलवे ट्रैक पर गुरुवार को मिले मनोज के शव का गोंडा पुलिस ने महज 24 घंटे में ही पोस्टमार्टम कराकर लावारिस में अंतिम संस्कार करा दिया। इसको लेकर भी पीड़ित परिवार में आक्रोश है। दरअसल लावारिस शव मिलने पर शिनाख्त के लिए तीन दिन अर्थात 72 घंटे तक इंतजार करने का प्रावधान है, ऐसे में गोंडा पुलिस की जल्दबाजी भी सवाल खड़े कर रही है। गोंडा पुलिस द्वारा शव की खींची गई एक फोटो व कपड़ों के आधार पर मनोज के परिवारीजन ने उसकी शिनाख्त की।