Kkc राजरंग : कहीं राजनाथ पुत्र होने की कीमत तो नही चुका रहे है पंकज ?
बिछी बड़ी सियासी चौसर की फड़ तो फिर हटा रक्षा मंत्री के पुत्र का मंत्री सूची से नाम,सफल रही राजनाथ विरोधियों की कोशिश?
कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)
यूपी ! उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार आज हो गया। लेकिन चर्चा के बावजूद मंत्रियों की सूची से एक बार फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र युवा भाजपा विधायक पंकज सिंह का नाम गायब था ।चर्चा है श्री सिंह के विरोधियों की मंडली एक बार फिर प्रदेश में कामयाब हो गई। जिसके चलते कुचर्चाओं का दौर जारी हो गया। कहा जा रहा है कि युवा श्री सिंह राजनाथ पुत्र होने की कीमत चुका रहे है? फिलहाल समर्थक मायूस है तो कई जिलों के लोग मंत्रियों की बौछार हो जाने से खासे गदगद हैं।विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक भाजपा में भले ही ऊपर से सब ठीक दिख रहा हो लेकिन वस्तुतः इससे स्थिति कुछ अलग भी है! पार्टी में ऊपर से लेकर नीचे तक एक पक्ष का दबदबा बरकरार है। ऐसे में यह पक्ष अपने को भविष्य में कोई चुनौती मिले इसलिए किसी भी ऐसे नेता को आगे पनपने नहीं देना चाहता जिसमें आगे बढ़ जाने का दमखम है ।केंद्र की सरकार के दोबारा बनने के बाद से लेकर आज उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल के दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार तक यही कुछ नजर आ रहा है ?बीते कल तक अथवा आज सुबह तक प्रदेश में नए मंत्रियों की जो सूची थी उसमें देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र युवा भाजपा विधायक पंकज सिंह का नाम भी चर्चा में था। कई खबरिया चैनल एवं प्रिंट मीडिया तथा पोर्टल न्यूज़ एजेंसी इस खबर को पुख्ता भी कर रही थी। आज जब मंत्रिमंडल विस्तार की बेला आई तो मंत्रिमंडल सूची से पंकज का नाम गायब था। एकाएक खुशियों की जगह समर्थकों में मायूसी छा गई।विश्व सियासी सूत्रों के मुताबिक जो सामने घटा उसे साधारण नहीं माना जा सकता ।खबर है कि प्रदेश से लेकर केंद्र तक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के विरुद्ध एक ऐसी मंडली है जो किसी भी हालत में मौका मिलने पर पिता-पुत्र के समक्ष कोई न कोई बाधा खड़ी करने को तत्पर रहती है। राजनाथ सिंह ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बाद भी स्वच्छ कर्तव्य बोध के चलते अपने पुत्र पंकज सिंह को पार्टी का टिकट देना उचित नहीं समझा था ।युवा श्री सिंह को पिछले विधानसभा चुनाव में नोएडा से टिकट मिला और वह चुनाव जीते। जबकि इससे पूर्व पंकज सिंह पार्टी संगठन का काम करते रहे और आज भी कर रहे हैं।योगी सरकार के गठन के बाद यह लगा था कि पंकज को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। खैर लगभग ढाई साल के बाद जब दूसरा मौका आया तो एक बार फिर उनके नाम की चर्चा राजनीतिक दरबारों में तेजी से बढ़ चली। लेकिन यह क्या हुआ अंततः एक बार फिर वह मंत्री बन पाने में नाकाम रह गए।सियासी चर्चाओं के आधार पर कहा जा रहा है कि पंकज सिंह के मंत्री बनने में जो रोड़े थे वह शायद सियासी कूटनीति के थे! जहां उन्हें स्वयं के कर्म एवं कर्तव्यों से भाजपा का विधायक पद मिला तो उसमें राजनाथ सिंह के नाम का भी संबल था ।तो वही आज यदि दूसरी बार उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया तो यहां भी उनके पिता राजनाथ सिंह का ही नाम सामने रहा होगा? विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह की हैसियत पिछली मोदी सरकार में नंबर दो की थी। इस बार उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया !जाहिर है कि राजनाथ भाजपा में ऐसे लीडर हैं जो उत्तर प्रदेश से आते हैं और कई बड़े नेताओं के लिए विषम राजनीतिक परिस्थितियों में बड़ी चुनौती भी हैं। ऐसे में उनके पुत्र पंकज सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल ना किया जाना साफ दर्शाता है कि श्री सिंह की विरोधी मंडली ने इस मुद्दे पर भी सफलता हासिल कर ली! चर्चा में यह भी कहा गया कि आज भाजपा के कई बड़े नेता हैं जिनके सगे संबंधी जिसमें कई परिजन शामिल हैं वह बड़े-बड़े पदों पर आसीन हैं! फिर पार्टी का पूरा संविधान पंकज सिंह पर ही क्यों उड़ेल दिया जाता है? समझा जा रहा है कि पंकज सिंह को इसलिए अंकुश लगाकर रखा जा रहा है क्योंकि उनमें आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं। कुछ लोग यह नहीं चाहते कि वह प्रदेश व देश की राजनीति में ताकतवर धूमकेतु बनकर जल्दी उभर जाए।युवा भाजपा विधायक के मंत्री ना बनने का दुख आज नोएडा विधानसभा में तो था ही अलबत्ता यह दुख बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भी था। क्योंकि राजनाथ सिंह का पूरा परिवार हैदरगढ़ को अपना घर परिवार मानता है।योगी मंत्रिमंडल विस्तार में एक तथ्य और भी चौंकाता नजर आया। कई जिलों में तो मंत्रियों की बौछार हो गई ?उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस भी शामिल है !यह कहां का राजनीतिक समन्वय है किसी जिले में 1 से लेकर तीन चार तक मंत्री दे दिए जाएं और कुछ जिलों में एक विधायक को भी मंत्री बनने लायक न समझा जाए। कहीं न कहीं ऐसी स्थिति में ऐसे वंचित जिले अथवा वहां के विधायक अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। कयास हैं कि पंकज सिंह का मंत्री इस बार भी ना बनना इस बात का सूचक है कि वह राजनाथ सिंह के पुत्र होने की कीमत चुका रहे हैं ?जहां उन्हें अपने पिता के नाम का फायदा मिला वहीं आज उन्हें सियासी घाटा भी हो रहा है। दूसरी तरफ खबर मिली है कि मायूस समर्थकों को पंकज सिंह ने सांत्वना दी उन्होंने कहा कि उनके लिए पद महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि भाजपा का संगठन एवं देश महत्वपूर्ण है। विश्वस्त सूत्रों का का दावा है कि पंकज को मंत्री न बनाए जाने के बाद उन्हें राहत दी गई है? जिसके तहत कहा गया है कि उन्हें आगे बड़ी जिम्मेदारी निभानी है। फिलहाल यह तय है कि अभी युवा भाजपा विधायक पंकज सिंह को सियासत के शिखर पर पहुंचने के लिए काफी कठिन यात्रा करनी है! वह भी अपनों की बिछी सियासी चौसर को भाँपते हुए और सांप सीढ़ी की स्थिति को लाँघते हुए??