4 दिन सैफई में रुकने के बाबजूद 100 कदम दूरी पर दलित सपा नेत्री की मौत पर नही पहुँचे अखिलेश यादव
सैफई की दलित सपा नेत्री उर्मिला देवी की मौत पर नही पहुँचे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
*4 दिन सैफई में रुकने के बाबजूद 100 कदम दूरी पर नही गए अखिलेश*
*सैफई स्टेडियम के लिए दलित नेत्री ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को अपनी 18 बीघा जमीन देकर कराई थी विकास कार्यों की शुरुआत*
*अखिलेश का दलित विरोधी चेहरा आया सामने*
*ब्लॉक प्रमुख का चुनाव भी लड़ चुकी थी उर्मिला देवी, व रही थी बीडीसी*
सैफई ( इटावा) जसवंतनगर विधान सभा के कई सैकड़ो गाँव मे दलितों के वोट से वोट मांगकर मुलायम सिंह यादव को जिताने के लिए झोली फैलाने वाली दलित नेत्री के निधन पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने जाना भी जरूरी नही समझा परिजन इंतजार करते रहे। अखिलेश 50 कदम दूर आकर एक क्रिकेट खिलाड़ी को पुरुस्कृत करके लौट गए लेकिन सपा नेत्री के घर जाना जरूरी नही समझा।
दलित सपा नेत्री का निधन 15 अगस्त को हुआ था उस दिन 2 दिन अखिलेश यादव सैफई में रुके थे दो रहने के बावजूद भी शोक संतृप्त परिवार को सांत्वना देने नहीं पहुंचे इससे परिवार में बेहद निराशा हैं समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेत्री एवं पूर्व बीडीसी उर्मिला देवी ने उस दौर के समाजवादी कानपुर के रमाकांत पांडेय, पूर्व मंत्री ग्याप्रसाद वर्मा, बच्ची लाल यादव, चौधरी नत्थू नत्थू सिंह पूर्व विधायक करहल के साथ काम करके मुलायम सिंह को मजबूती दी।
उर्मिला देवी ने मुलायम सिंह और कांशीराम के साथ भी पार्टी के लिए काम करके इटावा व जसवंत नगर विधानसभा में मुलायम सिंह के लिए बहुत मेहनत की मुलायम सिंह यादव जब भी सैफई आते थे उर्मिला देवी को अपने बराबर बैठा कर सम्मान देते थे लेकिन उस दलित नेत्री का 15 अगस्त को निधन हो गया उस समय पूर्व मुख्यमंत्री व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैफई में थे लेकिन जानकारी होने के बावजूद भी पूर्व मुख्यमंत्री ने दलित सपा नेत्री के निधन पर उसके घर जाना जरूरी नहीं समझा यही नहीं समाजवादी पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता उस दलित नेत्री के मरने नहीं गया परिवार के लोगों ने सोचा 15 अगस्त को रक्षाबंधन है शायद सभी नेतागण बिजी होंगे लेकिन 21 व 22 अगस्त को 2 दिन से सैफई रहने के बाबजूद अखिलेश यादव ने दलित नेत्री के घर शोक संवेदना व्यक्त करना जरूरी नहीं समझा।
बसपा से गठबंधन के समय मायवती के चरणों मे लौटने वाले आखिलेश से मायावती ने किनारा कर लिया तो अखिलेश को दलितों ने नफरत हो गयी दलितों को उम्मीद थी कि अखिलेश यादव दलितों को जोड़कर साथ लेकर चलेंगे लेकिन उर्मिला देवी की मौत के बाद अखिलेश का दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है सैफई में विकास कार्यों की शुरुआत कराने में उर्मिला देवी का बड़ा योगदान रहा है जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बनने के बाद स्टेडियम के लिए जमीन तलाश रहे थे तो सबसे पहले दलित नेत्री उर्मिला देवी ने आगे आकर अपनी जमीन स्टेडियम के लिए मुलायम सिंह यादव को दी थी उर्मिला देवी ने जमीन देकर सैफई में विकास कार्यों की शुरुआत कराई उनका मानना था कि नेताजी सैफई के लिए कुछ ऐसा करें ताकि इतिहास में नाम दर्ज हो उर्मिला देवी सैफई के मेडिकल कॉलेज में भर्ती थी तो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव उन्हें हॉस्पिटल देखने के लिए गए थे।