September 8, 2024

राम जन्‍मभूमि केस: मुस्लिम पक्ष ने ‘रामायण’ को बताया एक काल्पनिक रचना, कहा- मुकदमा वेद-पुराण से नहीं क़ानून से चलेगा

0

अयोध्या (Ayodhya) राम जन्मभूमि (Ramjanambhoomi) और बाबरी मस्जिद (Babri Mosque) विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 17वें दिन भी जारी है. सोमवार को मुस्लिम पक्षकारों का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन (Rajeev Dhawan) ने दलीलें पेश कीं. उन्होंने हिंदू पक्ष की तरफ से पेश की गई दलीलों को काटते हुए कहा कि मुकदमा कानून अनुसार चलेगा, वेद और स्कंद पुराण के आधार पर नहीं.

मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि हिंदू पक्ष के परिक्रमा वाले दलील पर कहा कि लोगों का उस स्थान की परिक्रमा करना धार्मिक विश्वास को दिखाता है. यह कोई सबूत नहीं है. वर्ष 1858 से पहले के गजेटियर का हवाला देना भी गलत है. अंग्रेजों ने लोगों से जो सुना लिख लिया. इसका मकसद ब्रिटिश लोगों को जानकारी देना भर था. मुस्लिम पक्षकार के वकील ने रामायण (Ramayana) को तुलसीदास द्वारा रचित काल्‍पनिक काव्‍य करार दिया.

मुस्लिम पक्षकार के वकील धवन ने कहा कि स्वयंभू का मतलब भगवान का प्रकट होना होता है, इसको किसी खास जगह से नही जोड़ा जा सकता है, हम स्वयंंभू और परिक्रमा के दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकते. धवन ने कहा कि हम इस मामले में किसी अनुभवहीन इतिहासकार की बात नही मान सकते है, हम सभी अनुभवहीन ही है. डी वाई चंद्रचूर्ण ने कहा कि आप ने भी कुछ ऐतिहासिक साक्ष्य दिए है कोई ऐसा साक्ष्य है जिसपर दोनों ने भरोसा जताया हो.

राजीव धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की तरफ से भारत आने वाले यात्रियों की हवाला दे कर कहा कि उन यात्रियों ने मस्जिद के बारे में नही लिखा है, क्या इस आधार पर यह मान लिया जाए कि वह मस्जिद नही था, मार्को पोलो ने अपनी किताब में चीन की दीवार के बारे में लिखा था.धवन ने कहा कि प्रायिकता का पूर्व विस्तार दर्शाता है कि विवाद में भवन औरंगजेब के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था, क्योंकि अकबर, शाहजहां या हुमायुं के शासनकाल में इसकी रचना नहीं हो सकती थी.

राजीव धवन ने दलील देते हुए कहा, ‘कहा जा रहा है कि विदेशी यात्रियों ने मस्ज़िद का ज़िक्र नहीं किया. लेकिन मार्को पोलो ने भी तो चीन की महान दीवार के बारे में नहीं लिखा था. मामला कानून का है. हम इस मामले में किसी अनुभवहीन इतिहासकार की बात को नहीं मान सकते हैं. हम सभी अनुभवहीन ही हैं.’ इस पर कोर्ट ने राजीव धवन से कहा कि आपने भी हाईकोर्ट में ऐतिहासिक तथ्य रखे थे. जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण ने कहा कि आपने (राजीव धवन) भी कुछ ऐतिहासिक साक्ष्य दिए हैं. कोई ऐसा साक्ष्य है, जिसपर दोनों ने भरोसा जताया हो?

रामायण एक कल्पित काव्य है

इससे पहले राजीव धवन ने कहा कि महाभारत एक इतिहास है और रामायण एक काव्य है. इस पर जस्टिस बोबडे ने पूछा इन दोनों में क्या अंतर है? धवन ने कहा काव्य तुलसीदास द्वारा कल्पना के आधार पर लिखी गई थी. इस पर जस्टिस बोबडे ने कहा, ‘कुछ तो साक्ष्य के आधार पर लिखा जाता होगा.’ धवन ने दलील देते हुए कहा, ‘हम सिर्फ इसलिए इस पक्ष को मज़बूती से देख रहे हैं, क्योंकि वहां शिला पर एक मोर या कमल था. इसका मतलब यह नहीं है कि मस्जिद से पहले एक विशाल संरचना थी.’ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के लिए तैयार प्रश्न का हवाला देते हुए धवन ने कहा उनसे यह पूछा गया था कि क्या कोई मंदिर था, जिसे मस्जिद निर्माण के लिए ढहा दिया गया था?

मार्च में बनाया था मध्यस्थता पैनल

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता पैनल बनाया था. इसमें पूर्व जस्टिस एफएम कलीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल थे. हालांकि, पैनल मामले को सुलझाने के लिए किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका. इस पर सुप्रीम कोर्ट 6 अगस्त से नियमित को तैयार हुआ था.

हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने के लिए कहा था

2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए. पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला विराजमान.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

error: Content is protected !! © KKC News

Discover more from KKC News Network

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading