अवध विश्वविद्यालय का दीक्षान्त समारोह सम्पन्न,अरुणिमा सिन्हा को डीलिट उपाधि, 106 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल
नई शिक्षा नीति में विज्ञान व अनुसंधान पर दिया जायेगा जोर : डा निशंक,साथ ही राज्यपाल ने कुपोषण को दूर करने के लिए यूनीवर्सिटी को कहा आगे आने लिए।
अमरजीत सिंह-ब्यूरो प्रमुख
अयोध्या ! अवध विश्वविद्यालय के 24 वे दीक्षांत समारोह भव्यतापूर्ण आयोजन के साथ सम्पन्न हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल निशंक रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलाधिपति विश्वविद्यालय महामहिम आनन्दीबेन पटेल ने किया।समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ0 पोखरियाल ने कहा कि यह धरती मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की है। एक प्रशासक के रूप में, भाई के रूप में सामाजिक समसरता के रूप में भगवान श्रीराम समूचे विश्व के लिए अनुकरणीय है। भारत की वैभवशाली गरिमा सर्वे भवन्तु सुखिनः की परम्परा पर आधारित है। यह हम सभी का दायित्व है कि इस समृद्व संस्कृति का प्रसार प्रसार करें। एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना तभी साकार होगी जब हम शिक्षा के क्षेत्र में समृद्व होंगे विज्ञान एवं तकनीक पर हमें आगे बढ़ना होगा। भारत देश में पूरे विश्व में योग और बसुधैव कुटुम्कम् की विचार धारा को आम जनमानस के बीच फैलाया। आवश्यकता है कि हम अपने विश्वविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थानों को विश्व स्तर की रैंकिंग में शामिल करने का संकल्प लें। ये नये भारत की आधारशिला होगा। 35 वर्षों के बाद नई शिक्षा नीति लागू करने की स्थिति में हम आगे आये हैं। यह शिक्षा संस्कारयुक्त परिणाम आधारित होगी। सम्पूर्ण मानवता देश की तरफ एक आशा से देख रही है। भारत विश्वगुरू की दिशा में अग्रसर है। वर्तमान समय में देश में लगभग 900 से अधिक विश्वविद्यालय हैं अब आवश्यकता शिक्षा में गुणवत्तापरक एवं परिणाम जनक सुधार की। डॉ0 पोखरियाल ने कहा कि जीवन में परिवर्तन केवल संकल्प से आता है। राम को भारतीय संस्कृति से जोड़ते हुए इंडोनेशिया की सांस्कृतिक विरासत में भगवान राम के आदर्शों की परम्परा वहां के घर-घर में हैं। राम राज्य में ना तो कोई वैरी था, ना कोई असमानता थी। दैहिक दैविक और भौतिक ताप से समस्त जन समुदाय मुक्त था। डॉ0 निशंक ने कहा कि हम समस्त विद्यार्थियों से यह अपेक्षा करते हैं कि राम की इस धरती पर स्थापित विश्वविद्यालय राम का अनुसारण करें जो आप सभी को हर चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बना देगा। नई शिक्षा नीति के तहत स्वयं, स्वयंप्रभा, दीक्षांरभ, एनआरआर, जैसे महत्वपूर्ण वेबसाइट गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण सिद्व हो रहे। शोध कार्य सामाजिक समस्याओं पर आधारित हो तो बड़े पैमाने पर सफलता अर्जित की जा सकती है। दीक्षांत के अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महामहिम कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि अयोध्या विश्व की सबसे प्राचीन नगरी है। मर्यादा पुरूषोत्तम राम की जन्म भूमि एवं राष्ट्रीय चिंतक एवं विचारक डॉ0 राममनोहर लोहिया की कर्मस्थली है। राष्ट्र के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। दीक्षा के उपरांत आप सभी छात्र जीवन के नये चरण में प्रवेश करने जा रहे हैं। आपकी मनोदृष्टि मानवीय होनी चाहिए। किसी भी देश के विकास में उसकी समृद्वि संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान होता है। समय के साथ-साथ चलना भारतीय संस्कृति विशेषता है। विश्वविद्यालय के लिए दिव्य दीपोत्सव एक महाअभियान की शुरूवात है। पर्यटन के विकास के लिए विश्वविद्यालय की कार्ययोजना सराहनीय है। भारतीय संस्कृति की समृद्व परम्परा को संजोने का कार्य विश्वविद्यालय ने समरसता कुंभ का अयोजन हर्ष का विषय है। भौतिकतावाद की दौड़ में हम सभी ने प्रकृति के साथ समन्वय खो दिया। कुलाधिपति ने कहा कि जल ही जीवन है इसे हर रूप में संरक्षित करना होगा नहीं तो हम सभी आने वाली पीढ़ियों को पीड़ा व कष्ट ही प्रदान करेंगे। पानी के अपव्यय को रोकना होगा। जल समृद्व भारत के महानगर दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई में प्रतिदिन 44 से 70 प्रतिशत जल पानी खराब प्रबंधन के कारण बेकार हो जाता है। महामहिम ने कहा कि इजराइल जैसे देश में 5 से 10 प्रतिशत वर्षा होती है। परन्तु जल संचयन के बलबूते वहां जल संकट नहीं है। पानी की कमी से प्रतिवर्ष 22 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। जल के महत्व को देखते हुए बूंद-बूंद जल संरक्षित करना होगा। जल संरक्षण चक्र को गतिमान रखना हमारी जिम्मेदारी है। आज से आप सभी लोग संकल्प लें कि जितना पानी पीना है उतना ही आप लें, अज्ञानतावश हम लाखों लीटर पानी बर्बाद कर देतें है। महामहिम ने कहा कि वन संरक्षण की दिशा में हमें आगे बढ़ने की आवश्यकता है क्योंकि अंधाधुंध वृक्षों की कटाई से हम वृक्ष विहीन धरा बना रहें है। एक वृक्ष दस पुत्रों के बाराबर है। महिलासशक्ति करण की दिशा में महामहिम ने कहा कि वर्तमान समय में महिलाओं का एक बड़ा वर्ग स्वास्थ्यगत चुनौतियों का सामना कर रहा है। महिलाओं का समान अधिकार हमारे प्राचीन समाज की परंपरा रही है। महिलाओं के लिए संतुलित आहार पर जोर देने की आवश्यकता है। भोजन में विषाक्त रसायन एक गंभीर चुनौती बन रही है। अपने उपभोग के योग्य सामग्री को प्रदूषित होने से बचायें और परिवार के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी है कि महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति वे सजग एवं जागरूक रहें। शिक्षा पर जोर देते हुए महामहिम ने कहा कि सभी शिक्षण संस्थान एवं विश्वविद्यालय अपने आस-पास के 10 गांवों को गोद ले और शिक्षा की इस दौड़ में ग्रामीण परिवेश का एक भी बच्चा वंचित न रह जाये। सशक्त समाज के लिए नारी को सशक्त बनाना होगा तभी समाज स्वस्थ्य बनेगा। स्वास्थ्य कि चुनौतियों पर देते हुए महामहिम ने अपील कि की टी0बी0 ग्रस्त एक-एक बच्चे को गोद लें इससे इस गंभीर समस्या से मुक्ति मिलेगी। 2025 तक भारत को टी0बी0 मुक्त बनाना है तो इस दिशा में काम करना होगा। कुलाधिपति ने कहा कि प्लास्टिक मुक्त समाज फिट इंडिया बनाना है तो इस क्षेत्र में कार्य करना होगा। दहेज प्रथा पर कुठाराघात करते हुए बच्चों से अपील कि यह गोल्ड मेडल आपकी प्रतिभा का सम्मान है लेकिन दहेज में गोल्ड की मांग एक अभिशाप है। इस सामाजिक कुरीति से मुक्त होना है।
दीक्षांत समारोह में प्रतिवेदन आख्या विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने किया। अतिथियों का स्वागत ग्रन्थ गुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम प्रदान किया। उपाधि प्राप्त कर्ताओं को दीक्षोपदेश एवं कर्तव्यनिष्ठा की शपथ दिलाई। 24 वें दीक्षांत समारोह में कुल 106 स्वर्ण पदक जिसमें 26 कुलपति स्वर्णपदक, 63 कुलाधिपति स्वर्णपदक तथा दान स्वरूप पदक के रूप में 17 स्वर्णपदक दिये गये। दीक्षांत समारोह में कुल 719 स्नातक, परास्नातक एवं पी0एच0डी0 उपाधि छात्रों को दिया गया।
दीक्षांत समारोह के इस अवसर पर पर्वतारोही अवध विश्वविद्यालय की पुरातन छात्रा एवं पद्मश्री अरूणिमा सिन्हा को डी0लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। दीक्षांत समारोह में आकर्षण का केन्द्र ग्रामीण क्षेत्रों से आये प्राथमिक विद्यालयों के छात्र-छात्राएं एवं गुरूकुल के बटुक रहे।दीक्षांत समारोह के पूर्व परिसर में स्थित डॉ0 राममनोहर लोहिया की प्रतिमा माल्यार्पण एवं सरदार बल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण मुख्य अतिथि एवं कुलाधिपति द्वारा किया गया।मंच का संचालन निदेशक आईक्यएसी के प्रो0 अशोक शुक्ल ने किया। इस अवसर कुलसचिव रामचन्द्र अवस्थी, वित अधिकारी एल0पी सिंह, परीक्षा नियंत्रक उमानाथ, उपकुलसचिव विनय कुमार सिंह, विभागों के विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष, निदेशक विश्वविद्यालय सभा के सदस्य, कार्यपरिषद् के सदस्य तथा विद्यापरिषद् के सदस्यगण एवं बड़ी संख्या में पदक धारक एवं उपाधिधारक छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।