अयोध्या :वाल्मीकि रामायण की चौपाइयों में राम के जन्म का उल्लेख है-वेदांती
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ. राम विलास वेदांती ने कहा कि वाल्मीकि रामायण की चौपाइयों में में श्रीराम के पूरे जीवनकाल का उल्लेख है।
अयोध्या ! अयोध्या में तपस्वी छावनी मंदिर में सनातन धर्म संसद का गुरुवार को आयोजन किया गया।हिंदुओं के पक्ष में फैसला आए और आने वाली बाधा दूर हो इसलिए संत- महंतों ने सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया।कार्यक्रम का आयोजन तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने पूर्वाचार्य महंत राम गुलाम दास उर्फ बलुईया बाबा के 21वीं पुण्यतिथि के अवसर पर किया।अध्यक्षता कर रहे श्रीराम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ रामविलास वेदांती ने मुस्लिम पक्षकारों के वकीलों को भगवान राम के जन्म स्थान की जानकारी दी।उन्होंने बताया कि हिंदुओं का सबसे प्राचीन ग्रंथ वाल्मीकि रामायण है और उसमें लिखी चौपाइयों में श्रीराम के पूरे जीवनकाल का उल्लेख है।उन्होंने दावा किया कि जहां रामलला विराजमान हैं, वहीं राम की जन्मभूमि है।डॉ वेदांती ने नवंबर महीने में फैसला आ जाने की पूरी उम्मीद जताते हुए कहा राजा विक्रमादित्य ने 14 कसौटी के खंभों पर भव्य श्रीराम का मंदिर बनवाया था।जिसके शिखर पर चंद्रकांता मणि लगी थी।बाबर के कहने पर मीर बाकी ने मंदिर पर 76 बार आक्रमण किया था।उन्होंने बताया कि जो खंडहर टूटा,उसमें इस्लाम से संबंधित कहीं भी निशान नहीं थे। अयोध्या की धरती पर केवल भगवान राम से संबंधित देवी देवताओं के दृश्य हैं।तपस्वी जी की छावनी में हुई इस सनातन धर्म सभा में अयोध्या के अलावा बाहर से दर्जनों की संख्या में संतो ने भी हिस्सा लिया।और राम जन्म भूमि के निर्माण में आ रही बाधाओ को दूर करने के लिए सभी ने मिलकर सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया।मंच पर पूर्व सांसद राम विलास दास वेदांती,जगतगुरु राम दिनेशाचार्य करपात्री जी महराज गोपाल दास कौशल किशोर दास आचार्य सत्येंद्र दास राम प्रिया दास रामचन्द्र दास प्रेम शंकर दास राम भूषण दास कृपालु महाराज उत्तम दास सत्येंद्र दास आकाश मणि त्रिपाठी मौजूद रहे।इस अवसर पर बाबा बलुईया दास की स्मृति में भंडारे का आयोजन हुआ।इस भंडारे में संतो ने प्रसाद ग्रहण किया।