अयोध्या : पति का अपमान सुनना या करना पत्नी के लिए पाप : साध्वी ऋचा मिश्रा
पटरंगा(अयोध्या) ! शारदीय नवरात्र पर्व को लेकर मवई ब्लॉक क्षेत्र में चंहुँ ओर विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है।नगरा गांव से मां की ज्योति के साथ भक्तों ने भव्य जुलूस निकाला तो लोधपुरवा गांव में भी भजन कीर्तन आयोजित हुआ।वही गायत्रीनगर में सजाए गए मां के दरबार साध्वी ऋचा मिश्रा के मुखारवृन्द से भक्तजन राम कथा का नित्य रसपान कर रहे है।
कथा के चौथे दिन कथा प्रवरिका साध्वी ने कहा कि जहां पति का अपमान हो वहां पत्नी को नहीं जाना चाहिए,नहीं तो उसका परिणाम अच्छा नहीं होता।इन्होंने कहा मां सती ने पति शिव की बात नहीं मानी।नतीजा यह हुआ कि न तो घर की हुईं और न घाट की।इन्होंने कहा कि पति का अपमान सुनना और करना पत्नी के लिए सबसे बड़ा पाप होता है।
चौथे दिन की देर शाम प्रवचन में मानस मर्मज्ञनी ने सती द्वारा अपने पति शिव की बात न मानते हुए पिता दक्ष के यज्ञ में जाने से हुए परिणाम को सुनाया।और नसीहत दी कि बगैर बुलावे के किसी भी आयोजन में नहीं जाना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं को बताया कि कृतयुग में एक बार संपूर्ण प्रजापतियों ने यज्ञ किया।उसमें प्रजापति दक्ष भी पधारे।उनके स्वागत में ऋषि-महर्षि देवता आदि उठ गये लेकिन ब्रह्मा जी एवं भगवान शिव अपने स्थान पर बैठे रहे।दक्ष शंकरजी के ससुर थे।इस अपमान का बदला लेने के उद्देश्य से ही दक्ष ने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया।जिसमें उन्होंने सबको आमंत्रित किया लेकिन भगवान शिव को नही बुलाया।मां सती ने भी भोलेनाथ से यज्ञ मंडप में जाने की अपील की लेकिन शिव ने निमंत्रण के बिना वहां जाने को उचित नहीं बताया। सती के मन को भांपकर भगवान शंकर ने अपने गणों के साथ सती को यज्ञ मंडप में भेज दिया।
वहां पहुंचने पर सती की मां एवं बहने तो प्रसन्न हुई।लेकिन राजा दक्ष ने सती को देखकर मुंह फेर लिया।सती अपने पति भोलेनाथ के अपमान को सहन नहीं कर सकीं और यज्ञ के हवन कुंड में कुछ शरीर त्याग दिया।कथा के बीच बीच कथा व्यास द्वारा गाये गए सुंदर भजनों को सुन श्रद्धालु आनंदित हुए।इस अवसर पर कार्यक्रम संरक्षक राम नरेश तिवारी राधेश्याम तिवारी ब्लॉक प्रमुख राजीव तिवारी सरयू प्रसाद तिवारी जितेंद्र शुक्ल बृजेश मिश्र अनुपम तिवारी विजय मिश्र डा0 शिव कुमार सोनी,सुरेश मिश्र सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।