November 21, 2024

अयोध्या : मानस में दो महत्वपूर्ण पात्र हैं एक दशरथ तो दूसरा दसमुख-मंदाकिनी

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रुदौली(अयोध्या) ! रामायण में चार आचार्यों की कल्पना की गई है। ज्ञानघाट के आचार्य श्री शंकर जी,भक्तिघाट के काकभुशुन्डी जी,कर्मघाट के श्री याज्ञवल्क्य जी,दैन्तघाट के श्री गोस्वामी तुलसीदास जी हैं।
उक्त उदगार मानस मर्मज्ञ परम पूज्य दीदी मां मंदाकिनी श्री राम किंकर जी गायत्री परिवार रुदौली द्वारा आयोजित संगीतमयी श्री राम कथा के प्रथम दिवस रामलीला मैदान में व्यक्त कर रही थीं।परम पूजनीय दीदी ने भक्तो को श्री राम कथा का रसास्वादन करते हुए कहा कि ‘ श्री राम चारित्र मानस ‘ के पात्रों पर यदि दृष्टि डाले तो सबसे पहले यह जिज्ञासा उत्पन्न होना स्वाभाविक है कि ‘रामायण’ में जिन पात्रों का वर्णन किया गया है वे पात्र एतहासिक हैं कि केवल श्रद्धा से निर्मित किये गये हैं। इसका बड़ा विलक्षण उत्तर ‘ श्री राम चरित्र मानस’ में दिया गया है और यदि उस दृष्टि से हम मानस के पात्रों को को देखें,उन पर विचार करें, तो शायद वे पात्र हमको और आपको अपने जीवन के अत्यधिक निकट दिखाई देगें।मानस में दस के महत्व को परिभाषित करते हुए दीदी मंदाकिनी ने कहा कि मानस में दो महत्वपूर्ण पात्र हैं एक दशरथ तो दूसरा दसमुख, आज हमारे पास भी दस इन्द्रियाँ हैं।पांच ज्ञान इन्द्रियाँ तथा पांच कर्म इन्द्रियाँ। इन्हीं दसों इंद्रियों को अपने विवेक से अपने जीवन को दसरथ या दसमुख बना सकतें हैं। यदि राम को पाना है तो दसरथ बनना पड़ेगा।

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