अयोध्या : तो गांवो से विलुप्त हो रहे पौधे व वन्य जीवों का खाका तैयार करेगा वन विभाग
शासन के निर्देश पर प्रभागीय वनाधिकारी ने सभी वन क्षेत्राधिकारियों को दिए निर्देश,रुदौली में भी पांच सदस्यीय टीम का हुआ गठन,शुरू हुआ कार्य।
अयोध्या(यूपी) ! जी हां ऐसा पहली बार हुआ कि गांवो से विलुप्त हो रहे वनस्पति व वन्यजीवों को लेकर शासन चिंतित दिख रहा है।जिसको लेकर शासन ने वन विभाग को निर्देशित किया है कि वो रेंजवार एक ऐसी टीम का गठन करे।जो गांवो में जाकर वहां की जैव विविधता का अध्यन कर उसका खाका तैयार करते हुए अभिलेखीकरण करें।शासन के निर्देश पर अयोध्या जिले के प्रभागीय वनाधिकारी ने जिले के सभी क्षेत्रीय रेंजरों को निर्देशित किया है कि वो शीघ्र ही टीम का गठन कर इस कार्य मे जुट जाए।रुदौली के क्षेत्रीय वनाधिकारी ओम प्रकाश ने बताया कि रेंज स्तर पर एक पांच सदस्यीय टीम का गठन किया जा चुका है।ये टीम रेंज के प्रत्येक ग्राम पंचायतों में जाकर वहां के प्रधान व अन्य प्रबुद्ध लोगों से मिलकर वहां की जैवविविधता के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी लेंगे।पूरी जानकारी का खाका तैयार करके वे एक डिजिटल पुस्तक तैयार करके वहां की जैव विविधता का अभिलेखीकरण करेंगे।रुदौली के डिप्टी रेंजर वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि जैव विविधता रजिस्टर पीबीआर एक ऐसा अभिलेख है जिसमे किसी भी क्षेत्र की जैव विविधता के समस्त पहलुओं की जानकारी संकलित रहती है।इसके निर्माण की प्रक्रिया में क्षेत्रवासियों को अपनी अद्वितीय संपदा की गहरी विविधता का आत्मबोध होता है तथा अपनी परंपरागत ज्ञान संपदा की संवृद्धता व महत्ता पर गर्व होता है।इसके निर्माण से क्षेत्र की संपदा के पोषणीय योजना बनाने में व क्रियांवयन करने में सुविधा होती है।इन्होंने बताया कि गांव का बहुत तेजी के साथ शहरीकरण विकास होने के नाते यहाँ की जैव विविधता बहुत तेजी से नष्ट होकर विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गयी है।जिससे आने वाले समय में यहाँ निवास करने वाले लोगों के सामने कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।गांव का तेजी से विकास होने के कारण गांवो में पाए जाने वाली फाइकस प्रजाति के पौधे जैसे पीपल पाकड़ बरगद आदि समाप्त होकर लुप्त होने के कगार पर पहुँच गए।साथ ही यहाँ पहले अधिक मात्रा में पाये जाने वाले वृक्ष जैसे शरीफा,कटहल,बरहल,कमरख,आवला,जामुन,इमली,बेल,बाँस,शीशम,साखू,गुलमोहर,के आलावा बकरी मुर्गी कबूतर गौरैया बगुला कौआ कोयल गिलहरी टिटहरी मोर आदि पशु पक्षी भी विलुप्त होने कगार पर है।खेतों में पैदा होने वाली भिन्डी प्याज सोया मूँगफली खबहा भुट्टा शलजम मेथी घुईया सौंफ करेला अरहर उर्द आदि भी लुप्त के कगार पर है।घोड़े के मामले में प्रसिद्ध होने वाले गांव में आज नाममात्र का घोड़ा बचा।गांव में जीवन यापन करने वाले दादा जगदीश लल्लू खां अनीश खां फकीरे लाल गंगाराम रामनाथ शत्रोहन लाल आदि ग्रामीणों का भी मत है।जैसे जैसे गांव का विकास हुआ पुरानी चीजें ख़त्म हो रही।इन लोगों ने बताया कि एक समय में यहाँ आधी खेती पर फसल बोई जाती थी तो आधी आराम करती थी।लेकिन आज खेत खाली होते ही उसमे लोग तत्काल कुछ न कुछ बो देते है।अधिकतम खेतो में यूकेलिप्टस लग गया।यहाँ की मशहूर भिन्डी कलौंजी अब देखने को भी नहीं मिलती।साथ ही जैव विविधता में भी गिरावट आ गयी।
जैव विविधता यानि विभिन्न प्रकार के विलुप्त होने वाले जीव जन्तुओ वनस्पतियों के बारे में जानकारी कर उन्हें संरक्षित करना ही जैवविविधता है।ये प्रत्येक क्षेत्रों में पाया जाता है।जिसकी देखरेख जैव विविधता बोर्ड करता है।शासन के निर्देश पर रेंजवार एक टीम का गठन कर गांवों में होने वालेवाले जैव विविधता का खाका तैयार कर उसका अभिलेखीकरण का कार्य प्रारंभ है।पुस्तक तैयार होने के बाद रिपोर्ट शासन व बोर्ड को भेज दी जाएगी।जिसका अवलोकन कर शासन यहाँ हो रही जैवविविधता को संरक्षित करने हेतु आने वाले समय मे योजनाओं को संचालित कर सकती है।
ओम प्रकाश
क्षेत्रीयवनाधिकारी रुदौली