सपा नेता की अधिकारियों को नसीहत, ऐसा न हो कि कल को सरकार बदलने पर रोने को आंसू भी न मिले
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में सियासत जारी है, देश की राजधानी दिल्ली हो या सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ हर जगह सीएए को लेकर धरना प्रदर्शन चल रहा है, इन प्रदर्शनों में कई पार्टियों के नेता भी देखे गए. हालांकि विपक्ष इसे जन आंदोलन का नाम दे रही है. वहीं इसी बीच यूपी में प्रदर्शनकारियों पर की जाने वाली कार्रवाई पर सपा नेता रामगोविंद चौधरी ने अधिकारियों को खुली धमकी दे डाली है. उन्होने अधिकारियों को धमकी देते हुए कहा कि अधिकारी संविधान की मर्यादा के अनुरूप आचरण करें.उत्साह में ऐसी हरकत न करें कि कल सरकार बदलने पर रोने को आंसू भी न मिले.
रामगोविन्द चौधरी ने कहा कि शांतिपूर्ण सत्याग्रह में शामिल महिलाओं पर दंगा भड़काने का मुकदमा कराना लोकतन्त्र को कलंकित करने वाला है. सरकार इसे नहीं रोकती तो समाजवादी इनके साथ मैदान में भी लामबंद होने के लिए विवश होंगे. उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है, सत्याग्रह के सामने अंग्रेजी राज की नहीं चली. उसे भारत को आज़ादी देकर जाना पड़ा. जन विरोध से हिटलर मिट गया, जार मिट गया तो इस सरकार की क्या बिसात. इसको भी जाना पड़ेगा. उन्होने कहा कहा कि एनआरसी, एनपीआर व सीएए को लेकर चल रहा वर्तमान संघर्ष सावरकर व गोडसे को हीरो मानने वाली ताकतों और बापू को चाहने वालों के बीच है. इस संघर्ष में अंतत: जीत सत्य-अहिंसा के रास्ते चल रहे गांधीवादी सत्याग्रहियों की ही होनी है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गरीबी हटाओ की लहर पर सवार होकर 1971 में अपार बहुमत से जीतीं इंदिरा गांधी को आपातकाल भी 1977 में नहीं बचा सका. उन्हें केवल दल का नहीं, अपनी भी पराजय का मुंह देखना पड़ा. कहा कि इस सरकार को भी जाना पडे़गा. इसकी उलटी गिनती शुरू हो गई है. इसी वजह से इस सरकार के नेताओं को बड़बोलेपन की बीमारी हो गई है. चौधरी ने कहा कि लखनऊ व प्रयागराज में चल रहे महिलाओं के सत्याग्रह से महात्मा गांधी की अहिंसा का सम्मान बढ़ा है. लोकतन्त्र में विश्वास रखने वाला हर आम व खास इन महिलाओं के सत्याग्रह को सलाम कर रहा है. दूसरी ओर सरकार इस कड़ाके की ठंड में इनका कम्बल छीन रही है. इनके अलाव पर पानी डाल रही है. फिर भी ये महिलाएं पार्क व मैदान में शांतिपूर्ण तरीके से डटी हुई हैं और एलान कर रही हैं कि वह देश की 90 फीसदी आबादी को लाइन में खड़ा करने वाले कानून को नहीं मानेंगी.