दिल्ली में BJP की हार के बाद मनोज तिवारी ने की इस्तीफे की पेशकश
दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हुई करारी हार के बाद आज दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ने अपने इस्तीफे की पेशकश की है। दिल्ली जीतने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। 200 से ज्यादा सांसद और बीजेपी के दर्जनों मुख्यमंत्री, केंद्रीयमंत्रियों ने दिल्ली में डेरा डाला और जमकर हिंदुत्व का कार्ड खेलते हुए जनता से वोट अपील की।
8 फरवरी को हुए मतदान के बाद आए एग्जिट पोल में आम आदमी प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाती दिख रही थी। इसके बाद भी मनोज तिवारी का दावा था कि सभी एग्जिट पोल फेल होंगे और दिल्ली में बीजेपी 48 सीटें जीत कर सरकार बनाएगी। तिवारी ने यहां तक कहा था कि सभी लोग मेरा ये ट्वीट संभाल कर रखें। तिवारी के इस बायन के बाद सभी असमंजस में थे कि क्या वाकई एग्जिट पोल को गलत साबित करते हुए बीजेपी दिल्ली की सत्ता में काबिज होने में कामयाब हो जाएगी।
बीजेपी के जीत के दावों पर लगी झाड़ू
हालांकि, मंगलवार 11 फरवरी को शुरुआती रुझानों में ही आम आदमी पार्टी की जीत साफ-साफ नजर आने लगी और श्याम होते-होते आम आदमी पार्टी को 62 सीटों पर जीत हालिस हुई, वहीं बीजेपी महज 08 सीटों पर सिमट कर रह गई। बीजेपी की लाख कोशिशों के बाद भी दिल्ली में उनको जीत हासिल न हो सकी। अब इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की है। हालांकि सूत्रों की मानें तो बीजेपी की केंद्रीय कमान ने उन्हें पद पर बने रहने का आग्रह किया है।
दो साल में सात राज्यों में सत्ता गंवाई
बीजेपी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) पिछले दो साल में सात राज्यों में सत्ता गंवा चुका है। पिछली बार दिल्ली में महज 3 सीटें जीतने वाली बीजेपी को इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। दिल्ली के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी सहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda), पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने 45 से अधिक सीटों पर जीत के अनुमान के साथ सत्ता में आने की उम्मीद अंतिम क्षणों तक लगाए हुए थे, लेकिन भाजपा (BJP) की दिल्ली की सत्ता में आने की उम्मीद टूट गई।
कांग्रेस मुक्त भारत का सपना भी अब सपना रह गया
इसके साथ ही कांग्रेस मुक्त भारत का सपना भी अब सपना लगने लगा है। ऐसा भी कह सकते हैं कि भाजपा के लिए देश का सियासी नक्शा भी नहीं बदला। दिल्ली समेत 12 राज्यों में अभी भी भाजपा विरोधी दलों की सरकारें हैं। राजग की 16 राज्यों में ही सरकार है। इन राज्यों में 42 फीसदी आबादी रहती है। इसमें दिल्ली से सटा हरियाणा राज्य भी है, जहां पिछले साल ही चुनाव में बीजेपी स्पष्ट बहुमत नहीं बना सकी। आखिरकार, चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) की नव गठित पार्टी जेजेपी से गठबंधन कर सरकार बनाकर इज्जत बचाई।