कोरोना: वर्क फ्रॉम होम का पड़ रहा इंटरनेट पर असर, सुस्त हुई रफ्तार

वर्क फ्रॉम होम (घर से काम) के चलते सुस्त हो रही इंटरनेट की रफ्तार के चलते आने वाले दिनों में वीडियो एप्लिकेशन की गुणवत्ता घटाई जा सकती है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने दूरसंचार विभाग और वीडियो सेवाए देने वाली कंपनियों को चिट्ठी लिखकर दूरसंचार बुनियादी ढांचे पर पड़ रहे दबाव को घटाने की मांग की है।
देश के कई शहरों में लॉकडाउन और दफ्तर बंद होने से तमाम कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं। ऐसे में घरों पर इस्तेमाल होने वाले इंटरनेट पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। यूरोप में वर्क फ्रॉम होम के चलते नेटफ्लिक्स और यूट्यूब जैसी कंपनियों ने वीडियो की गुणवत्ता हल्की करने का ऐलान पहले ही कर दिया है। इंटरनेट पर बढ़ते दबाव के चलते देश में भी मनोरंजन से जुड़े एप्लिकेशन की गुणवत्ता को कम किया जा सकता है ताकि दबाव घट सके।
शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक देश में अभी फोन कॉल करने पर तो कोई दिक्कत नहीं देखने को मिल रही है लेकिन इंटरनेट की स्पीड दिन में कई बार न के बराबर मिलती दिख रही है। हिन्दुस्तान को मिली जानकारी के मुताबिक देश में इंटरनेट बैठ न जाए, इसके लिए सेल्युरल ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानि सीओएआई ने भी दूरसंचार विभाग को चिट्ठी लिखी है कि वीडियो सेवाएं देने वाली कंपनियों के एहतियातन ऐसे कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं ताकि देश में हालात न बिगड़ें।
सीओएआई के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज ने बताया कि उन्होंने दूरसंचार विभाग को इस बारे में अवगत कराया है और कदम उठाने की मांग की है। सीओएआई ने लिखी चिट्ठी में एमेजॉन प्राइम, यूट्यूब, हॉट स्टार, जी 5 और अल्ट बालाजी समेत 12 वीडियो सेवाएं देने वाली कंपनियों को दूरसंचार बुनियादी ढांचे पर दबाव कम करने के इंतजाम करने को कहा है। जानकारों की राय में घर से काम करने के चलते देश में इंटरनेट पर दबाव बढ़ता जा रहा है। आने वाले दिनों मे सरकार और कंपनियों ने अगर कोई कदम न उठाया तो हालात काबू से बाहर चले जाएंगे।
साइबर मामलों के जानकार अचिन जाखड़ ने बताया कि दफ्तर का इंटरनेट घरों के इंटरनेट से काफी अलग होता है। ऐसे में घर से काम करने के चलते ये दबाव मोबाइल टावरों और घरों में इस्तेमाल किए जाने वाले ब्रॉडबैंड पर भी पड़ता है।
उन्होंने बताया कि दफ्तरों में इस्तेमाल होने वाले इंटरनेट की सेवाएं कंपनियों को लीज लाइन के जरिए दी जाती हैं। इससे इंटरनेट की स्पीड पर सिर्फ उसी दफ्तर के कम्प्यूटर और मोबाइल काम करते हैं। ऐसे में सेवा लेने और देने वाले दोनों को स्पीड और इसके इस्तेमाल की जानकारी होती है।
इसलिए बढ़ रहा दबाव
घर पर इस्तेमाल होने वाला ब्रॉड बैंड और मोबाइल इंटरनेट उस इलाके में रहने वाले लोगों के बीच बंटता है। ऐसे में घर से काम के चलते जब तमाम लोग एक साथ इंटरनेट के जरिए फाइल डाउनलोड और अपलोड करते हैं, ईमेल का इस्तेमाल करते हैं और मनोरंजन के एप्लिकेशन भी चलाते हैं। दिन के जिन घंटों में इस्तेमाल बढ़ता है तब ज्यादा ट्रैफिक होने से सिग्नल चोक होना शुरू हो जाते हैं। वहीं घरों में रहने के जलते देश में अपने रिश्तेदारों से वीडियोकॉल करने में भी बड़े पैमाने पर इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में जानकारों की सलाह है कि दूरसंचार कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा स्पीड के हिसाब से काम करना चाहिए। साथ ही वीडियो सेवाएं देने वाली कंपनियां भी अपनी गुणवत्ता घटा लें ताकि दबाव कम से कम पड़े।
