विधायक अदिति सिंह की कांग्रेस से दूरी और बढ़ी, ट्विटर से पार्टी का नाम हटाया

लखनऊः उत्तर प्रदेश में रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर चलती दिख रही हैं। दरअसल विधायक अदिति सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कांग्रेस का नाम हटा दिया है। उधर कांग्रेस का नाम अदिति के अकाउंट से हटते ही ट्विटर ने अदिति सिंह के आईडी से ब्लूटिक हटा दिया है।
अदिति सिंह की इस कवायद को कहीं न कहीं उनकी पार्टी से बगावत से जोड़कर देखा जा रहा है।
बता दें पिछले कुछ समय से अदिति सिंह और कांग्रेस पार्टी के बीच सब ठीक नहीं चल रहा है। पहले अदिति सिंह ने गांधी जयंती पर पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करते हुए विधानसभा के विशेष सत्र में हिस्सा लिया, जिसके बाद उन्हें नोटिस भी भेजा गया। वहीं हाल ही में कांग्रेस और योगी सरकार में बसों की सियासत गर्म हुई तो अदिति सिंह का ट्वीट चर्चा का विषय बना, जिसमें उन्होंने कांग्रेस महाराष्ट्र और राजस्थान सरकार पर सवाल खड़े किए।
वहीं अपने इस कदम पर अदिति सिंह ने कहा कि दुनिया इस समय महामारी से लड़ रही है. मेरा सबसे निवेदन है कि श्रमिक भाइयों की मदद ज्यादा से ज्यादा करें। मेरे निजी टि्वटर हैंडल पर क्या चल रहा है? इससे ज्यादा महत्वपूर्ण विषय है कोरोना वायरस से लड़ाई और पीड़ितों की मदद।
… जब अपनी ही पार्टी का कटघरे में खड़ा कर दिया
बता दें पिछले दिनों योगी सरकार और कांग्रेस के बीच प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए 1000 बसें मुहैया कराने को लेकर जमकर घमासान मचा। इस बीच रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने अपनी ही पार्टी को पूरे मसले में कठघरे में खड़ा कर दिया। अदिति ने न सिर्फ इसे निम्न सियासत करार दिया है, बल्कि उन्होंने राजस्थान, पंजाब और महाराष्ट्र में बसें नहीं लगाने पर सवाल किया।
अदिति सिंह में कहा था कि आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत? एक हजार बसों की सूची भेजी। उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा। 297 कबाड़ बसें, 98 आटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां और 68 वाहन बिना कागजात के…ये कैसा क्रूर मजाक है। अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यों नहीं लगाई?’
इसके अलावा उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा था कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बॉर्डर तक ना छोड़ पाई। तब योगी आदित्यनाथ ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया। खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।
