कानपुर कांड को लेकर बड़ा खुलासा, पुलिस के भेदिए ने रची थी साजिश, मरवा दिए अपने ही 8 साथी !
कानपुर : उत्तर प्रदेश के कानपुर में कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस की टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई, जिसमें सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। अब इस मुठभेड़ को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जाता है कि इस वारदात के पीछे पुलिस विभाग के भेदिए ने गहरी साजिश रची है। उसने अपने साथियों को मौत के घाट उतरवाने में शातिर अपराधी और उसके गिरोह की मदद की है।
दबिश की जानकारी पहले पहुंची
डीजीपी का कहना है कि इस बिन्दु पर भी पूरी गम्भीरता के साथ जांच कराई जाएगी। घटना का सबसे बड़ा पहलू ही यही है कि पुलिस की दबिश से लेकर उसके मूवमेंट तक के पल-पल की खबर विकास दुबे और उसके गिरोह के पास पहुंच रही थी। ऐसे में पुलिस से ज्यादा तगड़ा नेटवर्क अपराधी का निकला। विकास दुबे को विभाग के किसी कर्मी ने पुलिस दबिश की पूरी सूचना दे दी। उसे इतना तक बताया गया कि पुलिस देर रात कितने बजे दबिश मारने आएगी और कितने थानों की फोर्स के साथ सीओ आ रहे हैं।
इसलिए मौके से फरार नहीं हुए अपराधी
अपराधियों को इतनी जानकारी मिलने के बाद भी हौसला डिगा नहीं। वह मौके से फरार नहीं हुए। बल्कि दबिश के लिए आ रही टीम के लिए तैयारी कर ली। अपराधी और उसके गिरोह के सदस्यों ने रास्ता ब्लॉक करने के सात अत्याधुनिक हथियारों के साथ छतों पर रहकर पुलिस का इंतजार किया। जब पुलिस पहुंची तो अंधाधुंध गोलियां चलाई गईं। बदमाशों के साथ हुई इस मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए।
क्या था पूरा मामला
बताया जाता है कि जमीन के एक मामले में जादेपुर गस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने चौबेपुर पुलिस से शिकायत करते हुए तहरीर दी थी। बुधवार को एसओ चौबेपुर विनय तिवारी, विकास दुबे से मिलने उसके घर गए थे। एसओ ने उससे पूछताछ की। जिसके चलते दोनों के बीच झड़प हुई। विकास और एसओ के बीच हाथापाई भी हो गई थी जिसके बाद पुलिस लौट आई। फिर गुरुवार को पुलिस ने राहुल तिवारी द्वारा दी गई तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर ली और उसके बाद विकास को पकड़ने के लिए सीओ बिल्हौर के नेतृत्व में दबिश के लिए ऑपरेशन तैयार किया गया।
विकास ने जमीन का जबरन दानपात्र में बैनामा करा लिया
राहुल तिवारी के अनुसार विकास ने उसके ससुर लल्लन शुक्ला की जमीन का जबरन दानपात्र में बैनामा करा लिया था। इसे लेकर राहुल ने कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया। उसी मामले में 1 जुलाई को विकास दुबे, सुनील, बाल गोविंद, शिवम दुबे, अमर दुबे ने उसे रास्ते में रोका, मारा पीटा और बंधक बना लिया। मुकदमा वापस लेने का दवाब बनाते हुए उसे जान से मारने की धमकी दी।
एसओ चौबेपुर से भी पूछताछ की
मिली जानकारी के मुताबिक, बिकरू गांव चौबेपुर थानाक्षेत्र में आता है, और जब दबिश दी गई तो बाकी थानों की फोर्स एसओ और सीओ आगे बढ़ गए मगर एसओ चौबेपुर विनय तिवारी जेसीबी के पीछे रहे। जबकि थानाक्षेत्र उनका था, इलाके में लगाए गए बीट कांस्टेबल उन्हें रिपोर्ट करते थे। गांव की भौगोलिक स्थिति के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी थी। उसके बाद भी वह आगे नहीं बढ़े। जिसके कारण चौबेपुर थानाध्यक्ष एसटीएफ की राडार पर आ गये। एसटीएफ ने हिरासत में लेकर थानाध्यक्ष विनय तिवारी से पूछताछ की और भूमिका संदिग्ध होने पर लखनऊ ले गई।
विकास दुबे के घर पर शुक्रवार सुबह दबिश
इस मुठभेड़ के बाद पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी कुख्यात अपराधी विकास दुबे के कृष्णानगर स्थित घर पर पुलिस ने शुक्रवार सुबह दबिश दी। विकास दुबे भले ही अभी पुलिस की पकड़ से दूर हो पर चौबेपुर थानाध्यक्ष एसटीएफ की राडार पर आ गये। एसटीएफ ने हिरासत में लेकर थानाध्यक्ष विनय तिवारी से पूछताछ की और भूमिका संदिग्ध होने पर लखनऊ ले गई। सूचना मिली थी कि विकास कानपुर से भागकर यहां विजयनगर स्थित घर पर हो सकता है, लेकिन पूरा घर खाली मिला।
बताया जा रहा है कि एसटीएफ के अधिकारियों ने चौबेपुर एसओ विनय तिवारी से लंबी पूछताछ की और मामला संदिग्ध होने के चलते उसे लखनऊ ले जाया गया। बताते चलें कि पुलिस टीम जिस मुकदमें में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गयी थी उस मुकदमें को चौबेपुर में दर्ज करने के लिए पीड़ित को अधिकारियों के चौखट पर दर-दर भटकना पड़ा था। अधिकारियों के दबाव के बाद चौबेपुर एसओ ने पीड़ित का मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस टीम ने उसके छोटे भाई दीप प्रकाश दुबे के मकान में भी पहुंची, लेकिन वह भी भाग चुका था।