दुःखद : नहीं रहा अटल का भक्त लखनऊ का ‘लाल’

प्रहलाद तिवारी
उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक ऐसा चेहरा जो विपक्षी दलों में अपनी पैठ रखता था, भक्ति में अटल व अटल का जीवन भर भक्त बनकर राजनीति के सोपान पर चमकता रहा। सत्ता रही हो या विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका का निर्वाहन, लखनऊ के लाल की सक्रियता में कभी कमी नहीं आई। एमपी के राज्य पाल लाल जी टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 को हुआ। 1958 को कृष्णा टंडन से शादी हुई।
प्रदेश की बीजेपी सरकारों में कई बार मंत्री भी रहे हैं और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी के रूप में जाने जाते रहे। वाजपेयी के चुनाव क्षेत्र लखनऊ की कमान संभाली थी और निधन बाद लखनऊ से ही 15वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए। लालजी टंडन को 2018 में बिहार का गवर्नर बनाया गया। इसके बाद 2019 में उन्हें मध्य प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
बीएसपी चीफ मायावती भी लालजी टंडन को अपना भाई मानती थीं और उन्हें राखी बांधती थीं। उनके दलगत राजनीति से ऊपर के रिश्तों को भुलाया नहीं जा सकता। कॉफी हाउस में विभिन्न दलों के नेताओं पत्रकाओं व साहित्यिक लोगों संग बैठकी। चौक में हर आगंतुक की आवभगत संग चाट पार्टी और चाय पर चर्चा कर राजनीति के समीकरण बनाने व बिगाड़ने वाले लाल जी हमेशा याद रहेगे।उनकी राजनीति भी अनूठी थी। वे जीवन भर अटल भक्त रहे। 2004 में लोक सभा के चुनाव की पूर्व संध्या पर अपने जन्म दिवस के अवसर पर साड़ी बाँट रहे थे जिसमे भगदड़ मच गई और 21 महिलाओं की मौत हो गई। बाद में इन्हे सभी आरोप से मुक्त कर दिया गया। 21 अगस्त 2018 को बिहार के राज्यपाल बनाया गया। 20 जुलाई 2019 को मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
लालजी टंडन को 11 जून को सांस लेने में दिक्कत, बुखार और पेशाब में परेशानी की वजह से लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी। इस कारण उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्यप्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था। मध्यप्रदेश के राज्यपाल का 13 जून को ऑपरेशन किया गया था। हालत गंभीर होने की वजह से उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था। वे बीच में दो दिन बाई-पैप मशीन पर भी रहे। मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉ. कपूर के अनुसार, लालजी टंडन के किडनी फंक्शन में दिक्कत थी। ऐसे में उनकी डायलिसिस करनी पड़ रही थी। अब उनके लिवर फंक्शन में भी दिक्कत शुरू हो गई थी। सियासत की नब्ज पकड़ने में माहिर लाल जी टन्डन की अटल भक्ति हमेशा जीवंत रहेगी।
