April 20, 2025

अयोध्या : डर कैसा साहेब ! अब तो हर साल बसना व उजड़ना ही बन गई है नियति

IMG-20200821-WA0125.jpg

बातचीत की दौरान मवई क्षेत्र में पनाह लिए बाढ़ पीड़ितों का छलका दर्द

पीड़ितों ने कहा कि साल के चार माह मेरे घर का छत आसमान व बिस्तर धरती मैया होती है

रूदौली(अयोध्या) ! भैया सरकारी योजना तो हम नहीं जानते है।हां सरयू मैया ही हमारी योजना जरूर बनाती है। प्रतिवर्ष इनकी कृपा से हमारे भविष्य का ही नहीं बल्कि जिंदगी का भी फैसला होता है।”बाढ़ से डर नही लगता” बकौली गांव की एक बाग में पनाह लिए वेवश दर्जनों बाढ़ पीड़ितों ने एक सवाल के जवाब में “चौपाल” से अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि साहब ! डर कैसा…? अब तौ हर साल बसना और उजड़ना ही हमारी नियति बन गई है और हां अब तो बाढ़ से हम ग्रामीणों ने भी दोस्ती कर ली है।यह दर्द है दो नदियों के बीच बसे तहसील क्षेत्र के उन दर्जन भर गांवों की जनता का जो विकास क्या होता है इससे अंजान प्रतिवर्ष दुश्वारियां झेलती हैं। नदी के कछार पर झोपड़ियों के आशियाने देख इनके जीवन की जहां दाद देने को मन करता है वहीं प्रशासनिक व्यवस्था से मन खिन्न भी होता है। इनके दर्द से प्रशासन व जनप्रतिनिधि सभी भले वाकिफ हैं, पर इन्हें यदि कुछ मयस्सर है तो सिर्फ इनकी बेरुखी।प्रतिवर्ष सरकारी इमदाद के रूप में यदि इन्हें कुछ मिलता है तो त्रिपाल तेल व अनाज की चंद पोटलियां।जबकि इन क्षेत्रों का दौरा जनप्रतिनिधि व अधिकारी दर्जनों बार करते है।बताते चले कि रुदौली तहसील क्षेत्र के महंगू का पुरवा,कैथी मांझा,अब्बुपुर,मुजेहना सरायनासिर व अब्बुपुर आदि गांव सर्वाधिक प्रभावित गांवो के अंतर्गत आते है।लगभग आधा दर्जन गांव सरयू के जल से चारो तरफ से घिरे हुए है बचाव के लिए यहां के ग्रामीण रौनाही तटबंध व सड़को पर शरण लेने को मजबूर है।इतना ही नही दो नदी के बीच टापू में बसा गांव कैथी मांझा टापू गांव 82 परिवार को बड़े शंकट का सामना करना पड़ रहा है।यहां के 8 घर अब तक सरयू में शमा गए है।

दूध बेचकर खर्च चला रहे बाढ़ पीड़ित

बाढ़ क्षेत्र में परिवार को छोड़ अपने 340 मवेशियों को लेकर 30 लोग मवई ब्लॉक क्षेत्र के बकौली,उमापुर,बाबा बाजार, बदलेपुर, गनेशपुर,मत्था नेवादा व सरैया मोड़ के पास ठहरे है।ये लोग 35 किमी दूर मवई ब्लॉक के बाबा बाजार व उमापुर आदि गांवों में निर्वासित जीवन जीने को मजबूर हैं। नैपूरा गांव के राम सजीवन, मुटौली के राम नेवाज, संदरी के विजय प्रताप आदि बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि दिन भर मवेशियों को चराते हैं।और आसपास के गांवों में दूध बेंचकर घर का खर्च चलाते हैं।पीड़ितों ने बताया कि अब वहां के हालात सामान्य होने पर ही वापसी होगी।

बकौली गांव में 20 दिन से ठहरे बाढ़ पीड़ितों की किसी ने न ली सुधि

मवई ब्लॉक के बकौली गांव में वीरेंद्र वर्मा व अनिल की बाग में घाघरा व सरयू के बीच बसे गांव ढेमा जलालपुर तराई से आये करीब 24 लोग विगत 20 दिन से यहां अपने मवेशियों के साथ दुख के दिन काट रहे है।बाढ़ पीड़ित धर्मराज यादव,जय करन झब्बर राम सूरत अमरेश यादव रघुराज यादव बलराज यादव ननकू यादव धल्लाल आदि लोगों ने बताया हम सभी करीब 200 मवेशी लेकर यहां खुले आसमान के नीचे रह रहे है।हम लोगों की सुधि न कोई विधायक न अधिकारियों ने ली है।इन लोगों ने कहा भैया हर वर्ष उजड़ना व बसना हमारी नियति बन चुकी है।

बाढ़ प्रभावितों के स्थायी समाधान के प्रयास जारी है। अब तक लगभग 1300 बाढ़ प्रभावितों को राशन, तिरपाल व रोजमर्रा के सामान वितरित किए जा चुके हैं।कई परियोजनाओं पर कार्य चल रहा था। बाढ़ आ जाने कार्य बाधित हुआ। मैं खुद हर दिन बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर रहा हूँ। हर संभव मदद की जा रही है।”-

राम चन्द्र यादव विधायक रूदौली(फोटो)

मवई ब्लॉक क्षेत्र कुछ 30 लोग अपने 340 मवेशियों के साथ आए है।सभी लोगों को त्रिपाल भूंसा आदि की व्यवस्था करा दी गई है।जो लोग नदी के किनारे ठहरे हुए है।उनके लिए नाव मिट्टी का तेल राशन दवा आदि व्यवस्था कराई जाती है।”

विपिन सिंह एसडीएम रूदौली(फोटो)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from KKC News Network

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading