अयोध्या : रफीक चचा के रहमोकरम पर खुल रहा पूरेकामगार का यूनानी हास्पिटल

अंग्रेजो के जमाने से संचालित इस हास्पिटल को आज भी नसीब नही हुआ अपना भवन।
भवनहीन इस अस्पताल में उपचार के लिए हर रोज आते है 40से50 मरीज।
चिकित्सक डा0 रिजवाना मसूद ने बताया वर्ष 1939 से संचालित है ये अस्पताल
मवई(अयोध्या) ! लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा मवई के पूरेकामगार में खोला गया युनानी अस्पताल वर्षो से खुद बीमार पड़ गया है।शासन व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता तो देखो ? वर्ष 1939 से संचालित इस अस्पताल को आज तक अपना भवन ही नसीब हुआ।जबकि इस अस्पताल के लिए जमीन को राजस्व कर्मियों द्वारा 1960 के चकबंदी में ही पूरेकामगार गांव में छोड़ा गया है।लेकिन न शासन से धन आया न भवन बन सका।यहां पर तैनात होने वाले चिकित्सक पहले खुले आसमान में अस्पताल चलाते थे।अब विगत पांच वर्षों से रफीक चचा के रहमोकरम पर उनकी एक दुकान में चल रहा है।और हर रोज लगभग 40 से 50 मरीज भी देखे जाते है।कहना गलत न होगा कि सरकार की ओर से करोड़ों रुपये खर्च कर प्रतिवर्ष जगह-जगह नए अस्पताल व संस्थान खोले जा रहे है।लेकिन यूनानी पद्धाति से इलाज की विधा को लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि व शासन के जिम्मेदार उदासीन बने हुए हैं।यही कारण है कि भवनहीन इस अस्पताल में आज तक यूनानी दिवस पर भी यहां कोई कार्यक्रम नहीं आयोजित हो पाता।जिससे लोग जागरूक हो सकें।इस अस्पताल में एक डॉक्टर रिजवाना मसूद एक फार्मासिस्ट काजी अंसरुलहक व एक वार्ड ब्वाय द्वारिका प्रसाद यहां तैनात है।चिकित्साधिकारी डा0 रिजवाना मसूद ने बताया कि रफीक चचा की रहम पर उनकी एक दुकान पर बिना किराया दिए इस अस्पताल को खोल रही हूं।प्रतिदिन 40 से 50 मरीजों का इलाज कराने आ रहे है।इस बावत क्षेत्रीय चिकित्सा अधिकारी वृजनंदन श्रीवास्तव से जब कि गई तो वो काफी निराश होते हुए बताया कि हर वर्ष भवन निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाता है लेकिन बजट के अभाव में निर्माण नही हो पाता।इन्होंने बताया कि इस बार फिर जिला समिति की बैठक में इस्टीमेट बनाकर प्रस्ताव दिया गया है पैसा आएगा तो भवन निर्माण जरूर होगा।
“हम प्रयास करेंगे कि इस बार इस हास्पिटल के लिए शासन द्वारा धन जरूर पास हो।और इसके लिए हम क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के अलावा शासन को पत्र भी लिखेंगे।”
राजीव तिवारी ब्लॉक प्रमुख मवई
