त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की चहल पहल एवं लोकतंत्र में मतदाताओं को रिझाने की शैली पर विशेष
गणतंत्र दिवस की पूर्व वेला पर-
🌷सुप्रभात- सम्पादकीय🌷
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साथियों ! सभी जानते हैं कि लोकतांत्रिक देश में प्रजातंत्रिक प्रणाली कार्य करती है क्योंकि कहा गया है कि इसमें किसी राजा का नहीं बल्कि जनता का अपना राज होता है।इस प्रणाली में जनता को अपना नुमाइंदा यानी भाग्य विधाता चुनकर राजगद्दी पर बिठाया जाता है और इसके लिए अपने देश में राष्ट्रपति से लेकर ग्राम अथवा नगर पंचायत के प्रणाली की प्राथमिक सरकार के सदस्यों तक का चुनाव होता है।प्रजातंत्रिक प्रणाली के विभिन्न स्तरों के चुनाव होते रहते हैं कहीं पर ग्राम पंचायत के त्रिस्तरीय चुनाव तो कहीं एमएलए एम्पी के चुनाव होते हैं।पश्चिम बंगाल में अगर भावी विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू है और सरकार बनकर जनता के राजा बनने वाले सक्रिय हो गए हैं तो उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव की सरगर्मियां भी शुरू हो गई है।चुनावी माहौल बनने के लिए नये साल एवं गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं की होर्डिगों का दौर शुरू हो गया है।कुछ होर्डिगों में तो शुभकामनाएं देने वाले ने अपने को भावी चुनाव का प्रत्याशी तक घोषित कर दिया गया है और मतदाताओं की चरण वंदना एवं खाने खिलाने और पिलाने का दौर शुरू कर दिया है।सबसे ज्यादा सक्रियता व चहलपहल ग्राम पंचायत स्तर पर प्रधानी पद को लेकर शुरू हो गई हैं।मतदाताओं के जातीय समीकरण एवं मतदाताओं का जोड़ भाग शुरू हो गया है और मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए माहौल बिगाड़ने की कोशिशें की जाने लगी हैं।निर्वतमान प्रधान अपनी कुर्सी को बचाने के लिए विरोधियों के आरोपों का खंडन कर अपने को पाकसाफ साबित कर चुनावी पांसा फेंकने लगे हैं।विरोधी भावी प्रत्याशी प्रधान की बखिया उधेड़ कर मतदाताओं को उनके खिलाफ भड़काने लगे।इसी तरह जिला पंचायत के सदस्य पद के भावी प्रत्याशी भी खुलकर सामने आ गए हैं और मतदाताओं को बधाई शुभकामनाएं ही नहीं बल्कि वह भी अपने क्षेत्र में हर दुख सुख में सहभागिता करने लगे हैं।वर्तमान डीडीसी सदस्य अपने विकास कार्य गिनवा कर मतदाताओं से जहाँ भविष्य में पुनः बचेखुचे कार्यों की विकास गंगा बहाने का वायदा कर रहे हैं।जिन्होंने अपने क्षेत्र में हर जगह विकास कार्य नहीं किया है उन्हें मतदाताओं का ताना भी सुनना पड़ रहा है।नगर पंचायतों में भी भावी प्रत्याशियों ने चुनावी माहौल बनाना शुरू कर दिया है और गाँव नगर गली मोहल्ले हर जगह होर्डिंग लग गई हैं।कुल मिलाकर प्रजातंत्रिक प्रणाली के सबसे निचले स्तर की सरकार के जनप्रतिनिधियों के चुनाव की सरगर्मी एक बार फिर शुरू हो गई हैं और एक बार फिर लोकतांत्रिक व्यवस्था मतदाताओं को लुभाने की शैली को देखकर शर्माने लगी हैं।देश की प्राथमिक ईकाई की लोकतांत्रिक सरकार का गठन लोकतंत्र की नींव के समान होता है क्योंकि सारे लोकतांत्रिक पदों की शुरुआत यहीं से होती है। एक बार पुनः नववर्ष के साथ गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभ कामनाओं के साथ। धन्यवाद।।सुप्रभात/वंदेमातरम/गुडमार्निंग/नमस्कार/अदाब/शुभकामनाएं।।
लेखक-भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी।