मवई(अयोध्या) ! सुधरने का नाम नही ले रहे सीएचसी मवई के स्वास्थ्यकर्मी
“जब साहेब नाही अइहै तो कर्मचारी मौज मनाइहै”
गुरुवार को महज दो चिकित्सक के सहारे सीएचसी मवई,अधीक्षक डॉक्टर फार्मासिस्ट बाबू सब नदारत
मवई(अयोध्या) ! सीएचसी मवई के हालात दिनों दिन बिगड़ती ही जा रही है।यहां के हालत पर यदि गौर करें तो कहना गलत न होगा कि यहां के स्वास्थ्य कर्मियों को न अफसरों का खौफ है न सरकार का।गुरुवार की पूर्वाहन 11:24 पर कर्मचारियों की वास्तविक स्थिति को जानने जब सीएचसी मवई पहुंचा गया।तो देखा गया कि पर्ची काउंटर खाली पड़ा है।किसी ओपीडी में कोई डॉक्टर नही रहा।इमरजेंसी कक्ष में लावारिस हालात में खुला पड़ा रहा।कार्यालय में ताला लगा रहा।डा0 सुमत अंदर कमरे से निकले जिनके साथ दंत चिकित्सक डा0 उमेश भी रहे।थोड़ी देर बाद डा0 चंद्रशेखर व बीपीएम आशुतोष भी सीएचसी पहुंचे।दोपहर 12:18 बजे कार्यालय के बड़े बाबू दिनेश भी सीएचसी पहुंचे।देर से आने के बात पूंछने पर बाबू दिनेश बोले इतनी दूर से आते है थोड़ा बहुत तो देर हो ही जाएगा।
महिला चिकित्सक के अलावा दोनों फार्मासिस्ट भी रहे गायब
अधीक्षक कार्यालय में बैठे रहे बीपीएम आशुतोष ने बताया कि अधीक्षक पीके गुप्त अवकाश पर है।सीएचसी में दो फार्मासिस्ट
सीबी यादव सुनील कुमार राय तैनात है।लेकिन गुरुवार को दोनों अनुपस्थित रहे।रोज की भांति एक्सरे टेक्नीशियन विकास श्रीवास्तव व महिला चिकित्सक भी नही आई।यहां कुल 6 डॉक्टर में से 3 अनुपस्थित रहे।जबकि 31 संविदा कर्मियों में से दो का सैदपुर स्थानांतरण हो गया।29 में से करीब आधा दर्जन से अधिक लोग गायब रहे।जो पहुंचे भी वो काफी विलंब से ही सीएचसी आए।
सीएचसी के बाहर पत्थर पर लेटी रही घायल मासूम
सीएचसी पहुंचे मवई गांव के अकबर अली ने बताया कि उनकी नातिन तानिया बानों गुरुवार की सुबह जीना से गिर गई।उसे सीएचसी लाए एक स्वास्थ्य कर्मी ने पट्टी बांध दी।और डॉक्टर ने उसे जिला अस्पताल रेफर करने का पर्चा थमाकर बाहर कर दिया।पीड़ित अपनी घायल बच्ची को मजबूरन सीएचसी भवन के बाहर पत्थर पर लिटाए रहे।हिंदुस्तान के पूँछताक्ष के बाद स्वास्थ्य कर्मी उसे एम्बुलेंस से जिला मुख्यालय भेजे।वही दूसरे मरीज सरवन टिकठा गांव निवासी राम मिलन 60 ने बताया उन्हें एक माह से खांसी बलगम की दिक्कत है।यहां न कोई जांच हो रही न ही सही दवा ही मिलती।सीएचसी पहुंचे मवई के पूर्व प्रधान सरफराज खां फुल्लू ने कहा कि अब इस सीएचसी में ताला लग जाय तो बेहतर है।कुछ माह से यहां के हालात बहुत गड़बड़ हो गए है।न डॉक्टर रहते है।न ही कोई जांच ही होती है।संविदाकर्मी व ट्रेनी छात्र ही यहां की इमरजेंसी व्यवस्था को संभालते है।
“यदि स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा ये लापरवाही बरती जा रही है।तो मैं इसकी जांच कराने के साथ साथ स्वयं औचक निरीक्षण करूंगा।और अनुपस्थित कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए सीएमओ को पत्र भी लिखूंगा।”
स्वप्निल यादव
उपजिलाधिकारी रूदौली