अयोध्या : चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर की मुख्यमंत्री से हुई शिकायत
पक्षकारों के प्रभाव में आकर एकपक्षीय निर्णय दिए जाने का लगाया आरोप
मिल्कीपुर(संवाददाता) ! चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर द्वारा राजस्व गांव पिठला के अभिलेखों में बैनामे के आधार पर दर्ज खातेदारों को बेदखल किए जाने का मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री के दरबार जा पहुंचा है। पीड़ित खातेदार ने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत करते हुए चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर पर मुकदमे की सुनवाई के दौरान पक्षकारों के प्रभाव में आकर उनसे अनुचित अनुतोष प्राप्त करते हुए आदेश पारित किए जाने का आरोप लगाया है।
बताते चलें कि मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र स्थित राजस्व गांव पिठला के राजस्व अभिलेखों में दर्ज गाटा संख्या 6 मि. में भूखंड का शिकायतकर्ता अरुण कुमार सिंह सहित रामऋषि एवं निर्मला देवी द्वारा बैनामा लिया गया था। जिसके आधार पर बैनामेदार राजस्व अभिलेखों सहित मौके पर काबिज एवं दखील चला आ रहे हैं। इस बीच न्यायालय चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर राकेश खन्ना द्वारा बीते 20 जनवरी 2023 को मुकदमा संख्या 644, 645, 805 व 806/2023 में 17 अक्टूबर 1967 को पूर्व चकबंदी अधिकारी द्वारा पारित आदेश निरस्त कर दिया गया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि एक चकबंदी अधिकारी के आदेश को निरस्त किए जाने के लिए दूसरे चकबंदी अधिकारी को कानून में कोई अधिकार ही नहीं दिया गया है। विदित हो कि 2 – 2 बार चकबंदी प्रक्रिया समाप्त होने के उपरांत दो बार धारा 52 का प्रकाशन भी हो चुका है। चकबंदी अधिकारी ने मुकदमे के अन्य पक्षकार खतौनी में किस आधार पर इंद्राज किए गए हैं, इसका भी कोई न तो उल्लेख अपने द्वारा पारित आदेश में ही किया है और न ही पत्रावली में कोई साक्ष्य ही दाखिल कराया है। पीड़ित खातेदार का आरोप है कि चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर राकेश खन्ना ने मुकदमे के अन्य पक्षकारों से दुरभि संधि करते हुए उनसे अनुचित अनुतोष प्राप्त कर प्रार्थी सहित अन्य बैनामेदारों की अपूर्णनीय हकतल्फी की है। चकबंदी अधिकारी द्वारा मुकदमे के कुछ पक्षकारों के प्रभाव में आकर एकपक्षीय निर्णय दिया है। पीड़ित का कहना है कि तत्कालीन गाटा संख्या 6 ङ में 146 बीघे 9 बिस्वा 10 धुर भूमि राज्यपाल उत्तर प्रदेश द्वारा जारी कई अधिसूचना के आधार पर आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज के पक्ष में अधिग्रहित की गई थी। जिसके आधार पर आज भी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अपनी भूमि पर बाउंड्री वाल निर्माण करते हुए वृक्षारोपण इत्यादि कराया गया है। चकबंदी अधिकारी ने अपने आदेश में कृषि विश्वविद्यालय के खाते में दर्ज भूमि को यथावत रखते हुए इसी भूखंड में स्थित जूनियर हाई स्कूल पीपला की 40 बीघा भूमि को भी यथावत रखा है। पीड़ित का आरोप है कि मुकदमे के अन्य पक्षकारों द्वारा केवल आधार वर्ष खतौनी ही पत्रावली में दाखिल किया गया है। उक्त खातेदार किस आधार पर खतौनी में दर्ज किए गए हैं इसका कोई ठोस साक्ष्य चकबंदी अधिकारी द्वारा मुकदमे की सुनवाई के दौरान नहीं लिया गया है, जो चकबंदी अधिकारी की निष्ठा को स्वयं प्रमाणित कर रहा है। उधर आरोपों से घिरे चकबंदी अधिकारी राकेश खन्ना का कहना है कि जो पक्ष मुकदमे में हारता है वह शिकायत करता ही है। उन्होंने किसी के प्रभाव में आकर एकपक्षीय निर्णय दिए जाने सेे इनकार किया है।