अयोध्या : सपा की सभा में अखिलेश यादव ने नही लिया मित्रसेन का नाम,मंच पर आनंदसेन भी नदारत
मिल्कीपुर स्व0 मित्रसेन यादव की राजनीति का गढ़ माना जाता है
मिल्कीपुर(अयोध्या) ! लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में फैजाबाद संसदीय सीट पर 20 मई को ही वोट पड़ने हैं। लेकिन यहां समाजवादी पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। शनिवार को यहां मिल्कीपुर में हुई अखिलेश यादव की सभा से भी कुछ ऐसे ही साफ सन्देश सहज ही निकले हैं। सभा में सपा मुखिया ने अपने पूर्व सांसद मित्रसेन का एक बार भी नाम नहीं लिया तो वहीं सपा नेता पूर्व विधायक आनंदसेन यादव ने भी अखिलेश यादव का मंच साझा नहीं किया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन शनिवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव की जिले के मिल्कीपुर में रैली थी। मिल्कीपुर मित्रसेन यादव की राजनीति का गढ़ माना जाता है। इस बार स्व. मित्रसेन के ही बड़े लड़के अरविंद सेन यादव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से लोकसभा प्रत्याशी हैं।
चुनाव परिणाम जो भी हो, माना यह जाता है कि यह इंडिया गठबंधन प्रत्याशी को नुकसान पहुचायेगें। शायद इसी सियासी संकट के बादल छांटने के लिए अखिलेश यादव की मिल्कीपुर में सभा रखी गई। लेकिन सब भौंचक रह गए जब अखिलेश यादव ने स्वर्गीय मित्रसेन यादव का अपने भाषण में एक बार भी नाम नहीं लिया, जबकि मित्रसेन सपा से सांसद और विधायक सब कुछ रह चुके थे। समाजवादी पार्टी के लिए और गजब तो यह हो गया कि सपा नेता पूर्व विधायक आनंद सेन यादव सपा मुखिया अखिलेश यादव के मंच पर भी नहीं दिखे। अब लगभग साफ है कि सपा में पैदा हुई इस स्थिति का खामियाजा थोड़ा हो या बहुत, इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद को उठाना ही पड़ेगा।
आपको बताते चलें कि वर्ष 1998 में मित्रसेन यादव समाजवादी पार्टी के सांसद थे। सांसद रहते मुलायम सिंह यादव ने 1999 के चुनाव में उनका टिकट काट कर हीरालाल यादव को प्रत्याशी बना दिया था। नतीजा यह हुआ कि पार्टी से बगावत कर मित्रसेन यादव निर्दल लोकसभा का चुनाव लड़ गए। इस चुनाव में सपा प्रत्याशी हीरालाल यादव की जमानत बुरी तरह जप्त हो गई थी। हीरालाल यादव को मात्र 85213 वोट मिले थे। वहीं निर्दल मित्रसेन यादव को 79343 मत मिले थे। खास बात यह थी कि मिल्कीपुर में तब भी मित्रसेन को सर्वाधिक वोट मिले थे।दरअसल इस बार के चुनाव में इंडिया गठबंधन से टिकट के प्रबल दावेदार मित्रसेन के छोटे बेटे आनंद सेन यादव थे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में आनंद सेन सपा से प्रत्याशी रहे और उन्हें 4 लाख 63 हजार 544 वोट मिले थे। उनकी दावेदारी इसलिए भी मजबूत मानी जा रही थी कि उनके पिता मित्रसेन यादव फैजाबाद से तीन बार सांसद रह चुके थे। इस लिहाज से सेन परिवार की मजबूत पकड़ और दावेदारी जिले में अब तक मानी जाती रही है। टिकट कटने के बाद ही आनंदसेन ने इस बार पार्टी या प्रत्याशी के किसी भी कार्यक्रम से किनारा कर लिया। बीच में उन्हें मनाने की कोशिश भी हुई लेकिन बात बनी नहीं। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन शनिवार को मिल्कीपुर में अखिलेश की सभा से जो संदेश गया कि वह किस तरह का गुल खिलाता है.? यह चार जून को ही पता चलेगा। लेकिन सपा और इंडिया गठबंधन प्रत्याशी के लिए यह कहीं से शुभ संकेत नहीं है।