कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए मैदान में उतरेगी स्वास्थ्य कर्मियों की फौज,आज से अभियान का आगाज
166 टीम में शामिल होगी 1महिला व 1 पुरुष,39 सुपरवाइजर करेंगे प्रवेक्षण,सीएचसी मवई में आयोजित हुआ दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर,बताए गए रोग के लक्षण
फोटो-सीएचसी मवई में प्रशिक्षण के दौरान कुष्ठ रोगियों के लक्षण को बताते प्रशिक्षक विनोद सिंह
मवई संवाददाता(अनिल कुमार मिश्र) ! कुष्ठ रोग से मुक्त कराने के लिए स्वास्थ्य महकमे की ओर से 2 सितंबर से 16 सितंबर तक कुष्ठ रोगी खोजो अभियान चलेगा।इस अभियान के तहत ब्लॉक स्तर पर एक स्वास्थ्य कर्मियों की फौज तैयार की गई है,जो गांव-गांव घर-घर दस्तक देकर कुष्ठ रोगियों की पहचान।सर्वे के लिए मवई ब्लाक में कुल 166 टीमें बनाई गई हैं।प्रत्येक टीम में 1 महिला व 1 पुरुष सामिल किए गए है।
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इनके प्रवेक्षण के लिए 39 सुपरवाइजर भी नियुक्त किया गया है।इन सभी का दो दिवसीय प्रशिक्षण सीएचसी मवई में हुआ है।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मवई के बीसीपीएम विनोद सिंह ने बताया कि पल्स पोलियो की तर्ज पर कुष्ठ रोगी खोज अभियान सम्पूर्ण ब्लाक क्षेत्र में चलाया जाएगा।इस दौरान आशा कार्यकर्ता और पुरुष सहयोगी की टीम घर-घर जाकर संभावित लक्षणों वाले कुष्ठ रोगियों को चिह्नित करने का काम करेंगी।इस अभियान के लिए 166 टीमें गठित की गई है,जो प्रतिदिन गांव में 15 से 20 घर के लगभग 100 लोगों की जांच करेंगी।इन्होंने बताया कि मवई में अब कुल 4 कुष्ठ रोगी हैं।इनमें 2 पासी बैसिलरी (पीबी) और 2 मल्टी बैसिलरी (एमबी) के मरीज हैं।
कुष्ठ रोग की है दो श्रेणियां,जिनके आधार पर चलती है दवाएं
सीएचसी अधीक्षक डा0 पीके गुप्ता ने बताया कि कुष्ठ रोग की दो श्रेणियां हैं।पीबी श्रेणी के कुष्ठ रोगियों का इलाज छह महीने तक होता है और मल्टी बैसिलरी (एमबी) श्रेणी के मरीजों का इलाज एक साल तक चलता है।इनका कहना है कि कुष्ठ रोगियों का नियमित इलाज के बाद रोग के कीटाणु समाप्त हो जाते हैं।
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इन लक्षणों के वाले लोग अवश्य कराएं जांच
बीपीएम आशुतोष सिंह ने बताया कि निम्न लक्षणों के आधार पर कुष्ठ रोगियों की पहचान की जाती है।कुष्ठ रोग ग्रसित व्यक्तियों के शरीर मे हल्के रंग के लाल अथवा तांबे के रंग का चकत्ता रहता है,जिसमे सुन्नपन होता है।एक से अधिक दाग का होना,लाल रंग के उभरे हुए दाग,त्वचा पर कान पर गांठे होना,या गांठे महसूस होना,पैर हाथ या शरीर के अन्य हिस्से पर दर्द रहित छाले या घाव होना,आंख बंद करने पर पलक बन्द नही होना अथवा भौहों के बाल झड़ जाना,उंगलियों में कमजोरी अथवा सुन्नपन,हाथ की मांशपेशियों में कमजोरी,हाथ की कलाई का झूल जाना,पैर के तलवे में सुन्नपन,मांसपेशियों में कमजोरी अथवा पंजे का झूल जाना आदि लक्षण है।