अयोध्या : जयंती पर याद किए गए सरदार भगत सिंह,सीओ एसओ सहित अन्य लोगों ने अर्पित की पुष्पांजलि
रुदौली(अयोध्या) ! रुदौली तहसील क्षेत्र अंतर्गत गोंगावा चौराहे पर स्थित शहीद भगत सिंह एजुकेशनल एकेडमी विद्यालय में शहीद भगत सिंह की 117वीं जयंती पर श्री रामचरितमानस अखंड रामायण पाठ का भव्य आयोजन किया गया।तत्पश्चात हवन पूजन उपरांत भव्य भंडारे का कार्यक्रम आयोजित हुआ।जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर रुदौली सीओ आशीष निगम,पटरंगा थानाध्यक्ष ओम प्रकाश,मवई थानाध्यक्ष संदीप कुमार त्रिपाठी ने पहुंचकर शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।विद्यालय प्रबंधक सुनील तिवारी ने मुख्यातिथियों पहनाकर व अंगवस्त्र के बाद राम चरित्र मानस भेंट कर उनका भव्य स्वागत किया।
बता दें कि हमेशा की तरह इस वर्ष भी शहीद भगत सिंह एजुकेशनल एकेडमी विद्यालय में बड़े ही हर्षोल्लाह के साथ शहीद भगत सिंह की जयंती मनाई गई। जिसमें सर्वप्रथम जयंती के उपलक्ष्य में हमेशा की तरह श्री रामचरितमानस पाठ का भव्य आयोजन किया गया। आयोजन के पहले दिन तमाम सम्मानित जनों की उपस्थिति रही।तथा अगले दिन हवन पूजन उपरांत विधि विधान सहित उनकी प्रतिमा का अवलोकन किया गया। फिर भव्य भंडारे का आयोजन किया।जिसमें क्षेत्र के तमाम लोगों ने पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया।
इस मौके पर विद्यालय प्रबंधक सुनील तिवारी शास्त्री ने कहा कि भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायपुर जिले में हुआ था।इनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था।सिर्फ भगत सिंह ही नहीं, बल्कि इनके पिता और चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह भी जानें-मानें स्वतंत्रता सेनानी थे।भगत सिंह ने अपनी पढ़ाई डीएवी हाई स्कूल लाहौर से की थी।13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में सभा के दौरान जो कुछ भी हुआ उसका काफी गहरा असर 12 वर्षीय भगत सिंह पर पड़ा।इसी दौरान उन्होंने यह कसम खायी कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ वह आजादी की लड़ाई लड़ेंगे।इसके बाद भगत सिंह ने अपन पढ़ाई छोड़ दी और नौजवान भारत सभा की स्थापना की।राजगुरु और सुखदेव के साथ मिलकर भगत सिंह ने काकोरी कांड को अंजाम दिया।आगे चलकर उन्होंने 17 दिसंबर 1928 को राजगुरु के साथ मिलकर लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे जेपी सांडर्स को मार डाला।इसमें उनकी सहायता चंद्रशेखर आज़ाद ने की थी।8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर अलीपुर रोड में मौजूद ब्रिटिश इंडिया की इमरजेंसी सेंट्रल असेंबली के सभगार में अंग्रेजी हुकूमत को जगाने के लिए बम और पर्चे फेंके थे।भगत सिंह का इंकलाब जिंदाबाद का जो नारा था वह सभी के बीच काफी जयदा पसंद किया गया और प्रसिद्ध हुआ।7 अक्टूबर 1930 को उन्हें फांसी की सजा सुनाई गयी।इसके लिए 24 मार्च 1931 के दिन को चुना गया था।फांसी की सजा तय होने के बावजूद भी अंग्रेजी हुकूमत उनसे इतना डरी हुई थी कि तय से तारीख से 11 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया।शहीद भगत सिंह एक ऐसे स्वतंत्राता सेनानी थी जिन्होंने हंसते-हंसते देश के लिए अपने जान की करबानी दे दी थी।शहीद भगत सिंह के जयंती के अवसर पर जनपद अयोध्या ही नहीं पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर उन्हें और उनके इस बलिदान को याद करते हुए कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।वहीं विद्यालय स्टॉप में शिक्षिका रेनू ने कहा कि शहीद भगत सिंह के विचारों को हम सभी को अनावरण करना चाहिए ,आज हम सब उनकी प्रतिमा का अवलोकन कर उनको शत शत नमन करते हैं। कार्यक्रम में मुख्य रूप से राजेश मिश्रा, नजमा बानो,प्रिया विश्वकर्मा, प्रेमचन्द ओझा सहित अन्य स्टाफ सम्मिलित रहा।इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिंह लोधी,कृष्ण कुमार पांडेय सामाजिक कार्यकर्ता, सुशील तिवारी,भाजपा नेता महेश पांडेय सोनू,पत्रकार शशिकांत मिश्रा,अनिल कुमार पांडेय,ललित गुप्ता,रामराज,अमर यादव,नीरज यादव सहित तमाम सम्मानित जन उपस्थित रहे।