गोरखनाथ बाबा ने अवधेश प्रसाद के खिलाफ याचिका वापस लेने का किया ऐलान ,मिल्कीपुर में भी हो सकता है उपचुनाव
अयोध्याः उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर मंगलवार को चुनाव आयोग ने उपचुनाव का ऐलान कर दिया। हालांकि, अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर चुनाव का ऐलान नहीं किया गया। इसके पीछे पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा की वह याचिका थी, जो अवधेश प्रसाद के चुनाव के खिलाफ हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी। अब खबर है कि गोरखनाथ बाबा ने अपनी वह याचिका वापस लेने का फैसला किया है ताकि मिल्कीपुर में फिर से चुनाव हो सकें। इस प्रोसेस में एक या दो दिन का समय लग सकता है। उसके बाद हो सकता है कि मिल्कीपुर में भी चुनाव का ऐलान कर दिया जाए।
क्या बोले वकील
गोरखनाथ बाबा के वकील ने कहा कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र, झारखंड विधानसभा चुनाव और यूपी में उपचुनाव का ऐलान किया। हालांकि, मिल्कीपुर में चुनाव का ऐलान इस वजह से नहीं किया गया क्योंकि मेरे द्वारा लखनऊ हाई कोर्ट में एक इलेक्शन पिटीशन फाइल की गई है, गोरखनाथ बाबा की ओर से। इसमें हमने मांग की थी कि अवधेश प्रसाद जो अब सांसद बन चुके हैं उनके द्वारा जो एफिडेविट फाइल किया गया था इलेक्शन कमीशन के पास वो फैब्रिकेटेड है क्योंकि जो नोटरी उन्होंने कराई थी, हमने आऱटीआई से पता लगाया कि उन अधिवक्ता की नोटरी 2011 में एक्सपायर हो गई थी जबकि 2022 में इसी अधिवक्ता द्वारा नोटरी करवाई गई थी, जिस पर हमने चैलेंज किया था। इस पर सुनवाई चल रही है।
उन्होंने कहा कि बीच में जब लोकसभा चुनाव हुए तो अवधेश प्रसाद सांसद चुन लिए गए इसलिए हमने याचिका को ज्यादा फोर्स नहीं किया। चूंकि मामला पेंडिंग है और न्यायालय ने संज्ञान लिया है तो मिल्कीपुर में चुनाव की घोषणा नहीं हुई। ऐसे में एक-दो दिन में हम याचिका वापस ले लेंगे और उसके बाद चुनाव आयोग को इसकी जानकरी भी दे देंगे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग इस बात को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं कि बीजेपी मिल्कीपुर में चुनाव से डर रही है इसलिए घोषणा नहीं हुआ जबकि बिल्कुल ऐसी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि अवधेश प्रसाद ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में अब इसको प्रेस करने का भी फायदा नहीं है।
बता दें कि यूपी के मिल्कीपुर में उपचुनाव की घोषणा इसलिए नहीं हुई क्योंकि बीजेपी के पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ने 2022 में चुनाव जीते सपा विधायक अवधेश प्रसाद के ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। यह याचिका हाई कोर्ट में लंबित है। आरोप लगाया था कि अवधेश प्रसाद के फॉर्म भरते समय जो शपथ पत्र लगाया गया है, वह एक्सपायर नोटरी पर दर्ज है। अवधेश प्रसाद की नोटरी की तस्दीक किया था, उस तिथि में उस वकील के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं था। जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन है कि जिस तिथि में नोटरी का अधिवक्ता अभिलेख का प्रमाणीकरण करे उस तिथि में उसका लाइसेंस होना जरूरी है।