सीनियर लिविंग हाउसिंग सेक्टर में अगले 6 साल में होगा 300 फीसदी का इजाफा
नई दिल्ली : देश में सीनियर सिटीजन (60 से अधिक उम्र के नागरिक) संख्या 2050 तक बढ़कर दोगुनी हो सकती है। जिससे सीनियर लिविंग हाउसिंग सेक्टर भी तेजी से बढ़ने की संभावना है। मार्केट में सीनियर लिविंग स्टॉक की हिस्सेदारी भी बढ़ने का अनुमान है।एसोसिएशन ऑफ सीनियर लिविंग इंडिया (ASLI) और संपत्ति सलाहकार फर्म जेएलएल इंडिया द्वारा आज जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में इस समय सीनियर सिटीजन की संख्या करीब 15.67 करोड़ है और 2050 तक यह संख्या बढ़कर दोगुनी से अधिक यानी 34.60 करोड़ होने का अनुमान है। सीनियर सिटीजन की संख्या बढ़ने से इनके मकानों की संख्या में भी इजाफा हो सकता है।बुजुर्गों की आबादी में आ रहा ये बदलाव भारत को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बुजुर्ग आबादी का घर बना देगा, जो कई बड़ी और महत्वपूर्ण चुनौतियों के साथ-साथ कई सारे नए अवसर भी पैदा करेगा।इन अवसरों में सबसे महत्वपूर्ण है कि समाज के इस तेजी से बढ़ते हुए वर्ग के लिए बेहतर सुविधाओं को जुटाया जाए ताकि उनकी जिंदगी में बेहतरी बनी रहे और वे बढ़ती उम्र के साथ एक बेहतर जिंदगी भी जी सकें। इसी सब को देखते हुए, एसोसिएशन ऑफ सीनियर लिविंग इंडिया (एएसएलआई) एक लैंडमार्क इवेंट की मेजबानी करने जा रहा है, जो भारत के तेजी से उभरते सीनियर केयर सेक्टर को नया रूप दे सकता है, जिसे अक्सर “सिल्वर इकोनॉमी” के रूप में जाना जाता है। 6 दिसंबर, 2024 को बैंगलोर में होने वाला 5वां एएसएलआई एजिंग फेस्ट इस महत्वपूर्ण सवाल के उत्तर खोजने का प्रयास करेगा कि : क्या भारत का सीनियर केयर सेक्टर तेजी से उड़ान भरने के लिए तैयार है?”अमित यादव, सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने कार्यक्रम में कहा,* “सभी के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों जैसी कमज़ोर आबादी के लिए, सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसमें न केवल शारीरिक सुरक्षा बल्कि वित्तीय सुरक्षा, साइबर अपराधों से बचाव और मानसिक स्वास्थ्य को संबोधित करना भी शामिल है। इन चिंताओं को दूर करने के लिए सरकारी एजेंसियों, पुलिस विभागों और विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। भारत में, वृद्ध आबादी और सहायता-देखभाल घरों की बढ़ती मांग के कारण वरिष्ठ नागरिकों का बाजार तेज़ी से बढ़ रहा है। सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए अटल वयो अभ्युदय योजना (AVYAY) जैसी पहल शुरू की है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए आश्रय और स्वास्थ्य, वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम और वरिष्ठ नागरिकों के लिए राज्य कार्य योजना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
देश की स्थिरता और विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी नीतियां, कानून और हितधारक जुड़ाव महत्वपूर्ण हैं। इसमें रियायती कर दरें, वित्तपोषण मॉडल, बीमा मॉडल और वरिष्ठ नागरिकों और कमज़ोर आबादी का समर्थन करने के लिए तैयार किए गए क्रेडिट मॉडल शामिल हैं। हम एक साथ काम करके, हम सभी के लिए एक सुरक्षित, अधिक सहायक वातावरण बना सकते हैं।“रजित मेहता, चेयरमैन, एएसएलआई, एमडी और सीईओ, अंतरा सीनियर केयर ने कहा कि* “भारत में सीनियर सिटीजंस की आबादी 2050 तक 300 मिलियन (30 करोड़) से अधिक होने का अनुमान है, जो कुल आबादी का लगभग 20% है, ऐसे में बुजुर्ग आबादी की हर तरह से देखभाल के लिए अलग अलग सर्विसेज की मांग में काफी तेजी से बढ़ोतरी होने वाली है। वर्तमान में भारत के केवल 5% बुजुर्गों के पास इंस्टीट्यूशनल केयर की सुविधा उपलब्ध है, और आधे से अधिक बिना किसी सोशल सिक्योरिटी के जी रहे हैं। गेरियाट्रिक हेल्थकेयर सर्विसज (वृद्धावस्था स्वास्थ्य सेवाओं) का भी काफी अधिक अभाव है और प्रति 1,000 बुजुर्गों पर 0.7 से भी कम हॉस्पिटल बेड की उपलब्धता के साथ यह जरूरी है कि हम इनक्लूसिव, आसानी से उपलब्ध और सस्टेनेबल सीनियर केयर मॉडल तैयार करें। वेलनेस और हेल्थकेयर, पर सबसे अधिक फोकस होना चाहिए, जो सुरक्षा, आराम और कम्युनिटी सपोर्ट को प्रमुखता देने वाले हाउसिंग सॉल्यूशंस के साथ काफी सहजता से इंटीग्रेट हो। बुजुर्गों के बीच अलग-थलग किए जाने के अहसास को दूर करने और उनके स्वास्थ्य और जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए सोशल इंटीग्रेशन पर जोर दिया जाना चाहिए। ऐसा करके, भारत एक ऐसा फ्रेमवर्क बना सकता है जो न केवल अपनी बुजुर्ग होती आबादी की जरूरतों को पूरा करता है बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर करता है। इन प्रयासों से ही उनके जिंदगी के इन सालों को शानदार और खुशनुमा सालों में बदला जा सकता है।”देश भर में 20,000 से अधिक सीनियर लिविंग यूनिट्स स्थापित हो चुकेभारत के सीनियर सिटीजंस के जीवन क्षेत्र में अपनी बढ़ती क्षमता के प्रमाण के रूप में, पिछले एक दशक में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें अब पूरे देश में 20,000 से अधिक स्पेशलाइज्ड यूनिट्स तैयार किए गए हैं। यह उपलब्धि देश में सीनियर सिटीजंस की केयर और रियल एस्टेट डेवलपमेंट के प्रति दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण क्षण है।इस क्षेत्र में इंडीपेंडेंट लिविंग फैसिलिटीज की प्रमुखता है, जो कुल इन्वेंट्री का 85% है, जो भारत के सीनियर सिटीजंस के बीच ऑटोनॉमी की बढ़ती मांग को दर्शाता है। इस खास मार्केट में मौजूद संभावनाओं को पहचानते हुए, सीनियर लिविंग डेवलपर्स और ऑपरेटर अब भारत की बुजुर्ग आबादी की विविधतापूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किए गए सीनियर-फ्रैंडली हाउसिंग विकल्पों की एक रेंज के साथ अपने पोर्टफोलियो का लगातार विस्तार कर रहे हैं।दक्षिणी भारत 60% बाजार हिस्सेदारी के साथ सीनियर लिविंग में लीडररीजनल डेमोग्राफिक बदलावों के प्रमाण के रूप में, दक्षिणी भारत देश के सीनियर लिविंग बूम का केंद्र बन गया है, जो महत्वपूर्ण तौर पर राष्ट्रीय स्तार पर बाजार हिस्सेदारी का 60% है। दक्षिणी राज्य, जो लंबे समय से भारत की डेवलपमेंट स्टोरी में सबसे आगे हैं, निरंतर कम प्रजनन और मृत्यु दर के कारण तेजी से बढ़ती उम्र वाली आबादी में उछाल का अनुभव कर रहे हैं। दूसरे, इन क्षेत्रों में ऐसे माता-पिता का एक बड़ा हिस्सा रहता है जिनके बच्चे आप्रवासी भारतीय (एनआरआई) हैं। इन डेमोग्राफिक और कल्चरल फैक्टर्स ने सीनियर लिविंग सेक्टर के तेजी से फलने-फूलने के लिए उपजाऊ जमीन तैयार की है।2030 तक 2.3 मिलियन सीनियर लिविंग यूनिट की संभावित मांगभारत का सीनियर लिविंग मार्केट एक बड़े बदलाव के मुहाने पर खड़ा है, इसकी वर्तमान 1.3% मौजूदगी दर एक विशाल, अप्रयुक्त क्षमता को प्रकट करती है। यह आंकड़ा यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे स्थापित हो चुके मार्केट्स की तुलना में बहुत कम है, जहां इनकी मौजूदगी की दर 6% से अधिक है। ऐसे में भारत में ग्रोथ और इनोवेशन के लिए एक विशाल अवसर बने हुए हैं और इनका उपयोग करने का समय आ गया है। डॉ. सामंतक दास, चीफ इकोनॉमिस्ट एंड हेड ऑफ रिसर्च एंड आरईआईएस, इंडिया, जेएलएल ने कहा कि “भारत का सीनियर लिविंग सेक्टर एक बड़े रेवोल्यूशन के मुहाने पर है। 2030 तक, हम 2.3 मिलियन घरों के तेजी से बढ़ते टार्गेट मार्केट को देख रहे हैं, जो 2024 में 1.57 मिलियन से अधिक है। यह केवल आंकड़ों की बात नहीं है; यह सीनियर सिटीजंस की एक नई पीढ़ी के बारे में है जो रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी को लेकर नए सिरे से सोच रहे हैं। वे इंडीपेंडेंट, आर्थिक रूप से सुरक्षित, वैश्विक रूप से जागरूक और सोशल तौर पर एक्टिव हैं। हम केवल छह वर्षों में सीनियर लिविंग इन्वेंट्री के दोगुने होने का अनुमान लगा रहे हैं, जिसमें बाजार का आकार 1.3% से बढ़कर 2.5% हो जाएगा। लेकिन यहां एक और तथ्य पर भी ध्यान देना होगा कि- यह नाटकीय ग्रोथभी बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर पाएगी। यह अंतर सिर्फ एक चुनौती नहीं है; यह इस वाइब्रेंट, उभरते क्षेत्र में लॉन्गटर्म ग्रोथ के लिए एक सुनहरा मौका है।”महत्वपूर्ण रिटर्न की संभावना के साथ अगला बड़ा इनवेस्टमेंट सेक्टरकरण सिंह सोढ़ी, सीनियर मैनेजिंग डायरेक्टर, मुंबई एमएमआर और गुजरात, और हेड, अल्ट्रनेटिव्स, इंडिया, जेएलएल ने कहा कि “भारत का सीनियर लिविंग मार्केट एक महत्वपूर्ण और परिवर्तनकारी मोड़ पर है, जो अवसरों से भरपूर माहौल पेश करता है। यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित बाजारों में 6% से अधिक पेनीट्रेशन की तुलना में केवल 1.3% बाजार हिस्सेदारी की वर्तमान प्रवेश दर के साथ, हम सीनियर केयर के नेतृत्व वाले रियल एस्टेट ग्रोथ में एक नए दौर की शुरुआत देख रहे हैं। पिछले दशक में पूरे देश में 20,000 से अधिक स्पेशलाइज्ड यूनिट्स की स्थापना से इस तेजी से विस्तार को सभी के सामने रखा है, जो भारत में सीनियर केयर को लेकर सोच में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। पिछले दो वर्षों में इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टमेंट में 40 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक के बावजूद, बाजार अभी भी अपने शुरुआती दौर में ही है। रेगुलेट्री, ऑपरेशनल और अवेयरनेस संबंधित चुनौतियों की विशेषता वाले इस क्षेत्र का वर्तमान डेवलपमेंटल फेज, हाई-ग्रोथ क्षमता की तलाश कर रहे रणनीतिक निवेशकों के लिए इसके आकर्षण को और बढ़ाता है। आने वाले वर्षों में इस सेक्टर में इनोवेटिव सॉल्यूशंस, बढ़ता निवेश और भारत में सीनियर लिविंग में फंडामेंटल बदलाव देखने को मिलेंगे।”आज के सीनियर सिटीजन, पिछली पीढ़ियों के विपरीत, रिटायरमेंट और सीनियर लिविंग को नए सिरे से ढालना चाहते हैं, जो उनकी व्यक्तिगत इच्छाओं और पसंद-नापसंद के अनुरूप लाइफस्टाइल अपनाने का विकल्प चुनते हैं। यह लगातार डेवलप हो रहा माहौल एक आशाजनक निवेश का मौका प्रदान करता है, विशेष रूप से भारत जैसे बाजारों में जहां सीनियर लिविंग सुविधाओं की सप्लाई मांग के मुकाबले काफी कम है। वर्तमान ऑफर्स और बाजार की जरूरतों के बीच पर्याप्त अंतर निवेशकों के लिए एक आकर्षक एंट्री प्वाइंट बनाता है। इनोवेटिव सीनियर लिविंग कम्युनिटीज को डेवलप करके, निवेशक न केवल इस अधूरी मांग को पूरा कर सकते हैं, बल्कि इस बढ़ते मार्केट सेगमेंट में अच्छा-खासा रिटर्न भी प्राप्त कर सकते हैं।जैसे-जैसे यह ग्रोथ और डेवलपमेंट आगे बढ़ेगा, भारतीय सीनियर लिविंग मार्केट में पेनीट्रेशन का स्तर वैश्विक स्तर पर अधिक स्थापित बाजारों के समान ही पहुंचने की उम्मीद है, जो भारत के सीनियर केयर सेक्टर में एक बड़े बदलाव के दौर को दर्शाता है। भारत का डेमोग्राफिक बदलाव जटिल चुनौतियां प्रस्तुत करता है, जिसके लिए सभी पीढ़ियों के लिए एक सस्टेनेबल और इनक्लूसिव भविष्य के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशंस की आवश्यकता होती है। यह बदलाव दूरदर्शी पॉलिसीज, अपग्रेडेड इंफ्रास्ट्रक्चर और स्ट्रेटजिक लॉन्ग-टर्म प्लानिंग की मांग करता है। भारत का सीनियर लिविंग सेक्टर केवल निवेश का अवसर नहीं है – यह एक सोशल और इकोनॉमिक रेवोल्यूशन में सबसे आगे रहने का मौका है।