मख्दूम अब्दुल हक रुदौलवी का 608वां उर्स साकुशल संपन्न
बड़ा खिरखा की जियारत के लिए उमड़ी भीड़, जायरीन की आंखे नम, मन्नतो मुरादो का सिलसिला देर रात तक चलता रहा।
मानवता को समर्पित हैं दरगाह की परंपराएं, सदभाव, इंसानियत, अमन व प्रेम का संदेश दे रही मख्दूम साहब की दरगाह
रूदौली-अयोध्या ! साबरी सिलसिले के महान सूफी बुज़ुर्ग हज़रत मखदूम अहमद अब्दुल हक़ के 608वां उर्स में बड़ा खिरका पवित्र वस्त्र की जियारत शाह मोहम्मद अली आरिफ उर्फ़ सुब्बु मियां सज्जादा नशीन दरगाह मख़दूम अब्दुल हक रुदौलवी ने कराई। चिश्ती साबरी को मानने वालों का प्रमुख केंद्र रुदौली दरगाह शरीफ शेख मख्दूम अहमद अब्दुल हक की दरगाह विश्व में साबरी सिलसले का दूसरा प्रमुख केंद्र है। इस्लाम धर्म की साबरी मत के प्रसार का दूसरा स्थान रूदौली शरीफ की दरगाह को माना है कि यह सबसे पहले “कलियर से होता हुआ “पानीपत शरीफ पहुंचा फिर वहाँ से रूदौली शरीफ आया। मखदूम साहब के गुरु हज़रत जलालुदीन कबीरुल औलिया थे। मखदूम साहब ने सरयु नदी अयोध्या में 9 महीने एक पैर पर खड़े होकर ईश्वर की तपस्या की। और हक हक हक की सदाये बुलंद करते रहते थे। आपको दुआ हैदरी भी अता हुई। सदभाव, इंसानियत, अमन व प्रेम का संदेश दे रही मख्दूम साहब की दरगाह। आपके पोते शेख मोहम्मद के मुरीद व दामाद हजरत अब्दुल कुदुस गंगोही है। जिनकी मजार गंगोह सहारनपुर में है। वही शैखुल आलम अवार्ड से निम्न लोगो को सम्मानित भी किया गया। शिक्षण कार्यों के लिए सैय्यद ज़फ़र इकबाल, तबीब और सामाजिक कार्यों के लिए डॉक्टर मोहम्मद शरीफ कुरैशी, सैय्यद शाद मियां, इंजीनियर सईद साहब को अवार्ड से देकर सम्मानित किया गया। जोहर की नमाज़ के बाद कदीम खानकाह में महफ़िल समा कव्वाली होती रही। देश के नामवर कव्वालों ने उर्दू, हिंदी व फारसी में कलाम सुनाया। शाम 4 बजे शाह मुहम्मद अली आरिफ “सूब्बू मियां” ने मख़दूम साहब का खिरका शरीफ (पवित्र वस्त्र) को धारण किया। उसके बाद अस्ताना दरगाह मख्दूम अब्दुल हक पर हजारों लोगों की उपस्थिति में हजारी दी। जिसमे आए हुऐ सभी जायरीनो के लिए मखसूस दुआ की गई। और जो लोग नही आ सके उनके लिऐ भी दुआ की गई। खिरखा शरीफ की जियारत शाह मोहम्मद अली आरिफ उर्फ़ सुब्बु मियां, और शाह आमिर तबरेज ने अपने रवायती अंदाज में कराई। मदरसा जामियातुल हक़ कदीम खानकाह हज़रत शेखुल आलम से दो छात्र को हिफ्जे कुरान मुकम्मल होने पर हाफिज मोहम्मद तौसीफ, हाफिज मोहम्मद अमजद की दस्तारबंदी की गई। और 9 बच्चे मदरसा
शैखुल आलम अबरार नगर लखनऊ के बच्चो की दस्तारबंदी की गई। वही बड़ा खिरका संपन्न होते ही श्रद्धालुओं की वापसी होने लगी लोग अपने अपने घरों को वापस जाने लगे हैं। कार्यक्रम का समापन सुब्बु मियां की दुआ से संपन्न हुआ। और वही सीओ रुदौली आशीष निगम व रुदौली कोतवाली प्रभारी संजय मौर्य अपने भारी पुलिस बल के साथ मेले व दरगाह शरीफ का पल पल जायजा लेते रहे। प्रशासन की ओर से मेले में आए जायरीनों के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। चप्पे चप्पे पर पुलिस के जवान मुस्तेदी के साथ तैनात रहे। शांति व्यवस्था के साथ मेला संपन्न होने के बाद पुलिस प्रशासन ने राहत भरी सांस ली हैं।