मिल्कीपुर उपचुनाव:कही हो न जाए चुनाव में नुकसान ,छुट्टा जानवर मुद्दे पर अब जागे अधिकारी

सांसद अवधेश प्रसाद के मुद्दे की धार कुंद करने में लगा सरकारी तंत्र
अयोध्या: मिल्कीपुर उपचुनाव में छुट्टा जानवरों के एक बार फिर सांसद अवधेश प्रसाद चुनावी रण में बड़ा मुद्दा ना बना दें, अधिकारी इसे कारगर नहीं होने देना चाहते। यही वह वजह है की मिल्कीपुर ब्लाक के अंजरौली में निर्माणाधीन बृहद गांव संरक्षण केंद्र में उनको पकड़ कर संरक्षित किया जाने लगा है। अभी कार्यदाई संस्था ने ग्राम पंचायत को हस्तानांतरण नहीं किया है। बावजूद इसके दो शेड पूर्ण होने के बाद उनमें छुट्टा जानवर संरक्षित करना शुरू हैं। 400 जानवरों की क्षमता वाला वाले इस वृहद गांव संरक्षण केंद्र की अनुमानित लागत एक करोड़ 60 लाख रुपये है जिसमें पहली किस्त 80 लाख रुपये की मिल चुकी है। दूसरी किस्त के लिए उपभोग सर्टिफिकेट कार्यदाई संस्था ने भेजा है। अभी इसके चार में से दो ही शेड बने हैं, उनमें 53 जानवरों को रखा गया है। कार्यदाई संस्था के सहायक अभियंता सर्वेश वर्मा के अनुसार आने वाले 15 दिनों में निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। ऊपर से बढ़ते दबाव के चलते बिना हस्तानांतरण के दो शेड में छुट्टा जानवरों को का संरक्षण शुरू है। मिल्कीपुर के उप मुख्य चिकित्साधिकारी भी छुट्टा जानवरों के संरक्षण शुरू होने की जानकारी देते हैं। मिल्कीपुर निर्वाचन क्षेत्र के आसपास के ब्लॉकों के बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारी इनको पकड़ने के लिए लगाए गए हैं। छुट्टा जानवरों को पकड़ने का अभियान जारी है। बीडीओ बाकायदा इसके लिए पत्र जारी करते हैं। हरिंग्टनगंज के ग्राम पंचायत रानापुर में वहां बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारी व एडीओ के साथ वाहन लेकर पहुंचे। जानवरों को पड़कर पास की अस्थाई गोशाला में संरक्षित करने के लिए ले जाया गया। दर असल में अधिकारी यह मानते हैं कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव व 2024 के लोकसभा चुनाव में सांसद अवधेश प्रसाद की जीत में इसकी भी कहीं ना कहीं भूमिका रही। यही वजह है कि सांसद निर्वाचित होने के बाद वे इस मुद्दे को ना छोड़कर प्रमुखता से उठाते रहे।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनके सांसद निर्वाचन के बाद पुत्र अजीत प्रसाद को मिल्कीपुर उपचुनाव में पार्टी का प्रत्याशी बनाया है। उसके बाद से सांसद छुट्टा जानवरों को लेकर ज्यादा प्रदेश सरकार पर हमलावर हैं। पहले भी उनके निशाने पर प्रदेश सरकार ही होती रही, स्थानीय अधिकारी नहीं।
