March 12, 2025

अनोखी है मथुरा की खेली,कहीं भीगे कोड़े से होती है पिटाई तो कहीं जमकर बरसाए जाते हैं लट्ठ

मथुरा में खेली जाती है इतने तरह की होली, कहीं
मथुरा में कितनी तरह की होली खेली जाती है

मथुरा की होली देश ही नहीं विदेशों में भी फेमस हो चुकी है। कान्हा की नगरी में फागुन के शुरू होते ही होली का रंग गिरने लगता है। मथुरा से लेकर वृंदावन और बरसाने से लेकर दाऊजी तक कहीं भी चले जाओ आप होली के रंग में सराबोर हो ही जाएंगे। कान्हा की कुंज गलियों में सिर्फ रंग अबीर ही नहीं लड़्डू और फूलों की होली भी खेली जाती है। मथुरा में तरह तरह से होली मनाई जाती है। किसी दिन माखन से होली खेली जाती है तो कभी लड्डूमार और लट्ठमार होती होती है। मथुरा के आसपास यानि बरसाने की होली और बल्देव यानि दाऊजी की कोड़ेमार होली भी फेमस है। जानिए मथुरा में कितने तरह की होली खेली जाती है?

मथुरा में कितने तरह से खेली जाती है होली?

बरसाने की लट्ठमार होली- बरसाने की लट्ठमार होली दुनियाभर में फेमस है। यहां बरसाने के गोपियां गोकुल के ग्वालों के साथ लट्ठमार होली खेलती है। गोप गोपियों को प्यारभरे होली के गीतों से छेड़ते हैं, जिसके बाद गोपियां लट्ठमार करती हैं। लट्ठ से बचने के लिए गोप हाथों में ढ़ाल लिए गोपियों को रंग लगाते हैं। ये मनमोहक दृश्य आपको दीवाना बना देगा।

वृंदावन की फूलों की होली- वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में रंगभरी एकादशी के साथ ही फूलों की होली की शुरुआत हो जाती है। बांके बिहारी के भक्त अपने आराध्य के साथ फूलों की होली का आनंद लेते हैं। फूलों की होली खेलने और देखने बड़ी संख्या में लोग वृंदावन पहुंचते हैं।

बरसाने की लड्डूमार होली- बरसाना में राधारानी की दासी फाग का निमंत्रण देने नंदगांव जाती हैं जहां वो लड्डू, गुलाल, और रंगों के साथ पहुंचती हैं। फिर नंदगावं का एक पंडा निमंत्रण स्वीकार की खबर लेकर बरसाने जाता है जहां उसके स्वागत में इतने लड्डू दिए जाते हैं कि वो खा नहीं सकता और खुशी से लड्डुओं को उछालने लगता है। सभी लोग खुशी से लड्डू की होली खेलने लगते हैं। हजारों किलो लड्डू इस होली के लिए तैयार होते हैं।

दाऊजी की कोड़ेमार होली- मथुरा से सिर्फ 22 किलोमीटर दूरी पर है बल्देव यानि भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊजी का मंदिर। यहां गजब की होली खेली जाती है। दाऊजी की कोड़े मार होली देखने के लिए श्रद्धालु उमड़ने लगते हैं। दाऊजी के पंडा और उनकी पत्नियां हुरंगा में हिस्सा लेती हैं। हुरियारिनें यहां गोपिकाओं के जैसे परिधान पहनकर होली खेलने वाले पुरुषों पर जमकर कोड़े बरसाती हैं।

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