होली में बौराए नीतीश के विधायक, पहले महिला आर्टिस्ट के गाल में नोट सटाया, फिर गाया अश्लील गाना

एनडीए के होली मिलन समारोह में जेडीयू विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल।
राजनीति में नैतिकता और आचरण की बातें हमेशा से की जाती रही हैं, लेकिन जब कोई सत्तारूढ़ दल का विधायक खुले मंच से समाज की मर्यादाओं को तार-तार कर दे, तो सवाल उठना लाजिमी है। होली मिलन समारोह के रंग में डूबे जेडीयू विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल ने मंच से जो कुछ कहा और गाया, वह न सिर्फ असभ्य था बल्कि सार्वजनिक शिष्टाचार की सारी हदें पार कर गया। खुले मंच पर महिलाओं और बच्चियों के सामने अश्लील गीत गाने और विवादित बयान देने वाले विधायक की हरकतों का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। जनता के बीच उनकी भर्त्सना हो रही है, लेकिन क्या प्रशासन उन पर कोई सख्त कार्रवाई करेगा?
बता दें कि नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल गोपालपुर से विधायक हैं। वे सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के बड़बोले विधायक हैं।
मर्यादा भूल गए ‘माननीय’
रविवार और सोमवार की रात नवगछिया के इंटर स्तरीय स्कूल में एनडीए के होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया था। मंच पर गायक छैला बिहारी और एक महिला गायिका मौजूद थीं। हजारों की संख्या में पुरुष, महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे दर्शक बने हुए थे। इसी दौरान विधायक गोपाल मंडल माइक थामते हैं और अभद्र गीत गाने लगते हैं। माइक लेकर इतना गंदा गाना गाया “पानी में बुनका बुनकै छै भौजी *** ले ठुमके छै” जो कि वायरल हो गया और हर तरफ थू-थू होने लगी।
गाल पर चिपकाया नोट
वहीं, एक अन्य वीडियो में गोपाल मंडल मंच पर महिला गायिका के कंधे पर हाथ रखकर कमर हिला रहे हैं। इस वीडियो में वह महिला गायिका के हाथ में पैसे देने की बजाय उसके गाल पर चिपकाते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं, वे मंच से बोलते हैं, “हम बच्चियों को आगे बढ़ाने के लिए चुम्मा ही ले लिया तो क्या हुआ? हम चुम्मा लेते रहते हैं, कभी इसको तो कभी उसको। जितना वायरल करना है कर दो, हमें कोई दिक्कत नहीं।” विधायक की इन बातों से मंच पर मौजूद लोग असहज हो गए, लेकिन सत्ता की ताकत के सामने कोई विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
प्रशासन की चुप्पी, जनता की नाराजगी
बिहार सरकार ने होली के दौरान अश्लील गानों पर रोक लगाने के सख्त निर्देश जारी किए थे लेकिन जब सत्ता पक्ष का ही एक विधायक खुलेआम इन नियमों की धज्जियां उड़ाए और पुलिस खामोश बनी रहे, तो सवाल उठता है कि क्या यह कानून सिर्फ आम जनता के लिए है? इस घटना को लेकर जनता में गहरी नाराजगी है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने विधायक पर कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं, “अगर यही हरकत कोई आम आदमी करता, तो उसे जेल भेज दिया जाता। लेकिन जब विधायक करते हैं, तो प्रशासन आंखें मूंद लेता है!”
नीतीश सरकार की साख पर सवाल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि एक सुशासन वाले नेता की रही है लेकिन उनके “लाडले” विधायक गोपाल मंडल की यह हरकत सरकार की छवि पर सवाल खड़ा कर रही है। क्या मुख्यमंत्री इस पर कोई कदम उठाएंगे? क्या जेडीयू विधायक को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाएगी, या फिर यह मामला भी कुछ दिनों में ठंडे बस्ते में चला जाएगा? इस घटना ने बिहार की राजनीति में सार्वजनिक आचरण, नैतिकता और सत्ता की जवाबदेही को लेकर एक गंभीर बहस छेड़ दी है। एक लोकतांत्रिक समाज में जनता को यह तय करना होगा कि क्या ऐसे नेता सदन में बैठने के लायक हैं? क्या वोट सिर्फ जाति और क्षेत्र के नाम पर दिया जाना चाहिए, या फिर चरित्र और आचरण भी मायने रखता है? अब वक्त आ गया है कि जनता ऐसे नेताओं को जवाब दे या तो उनकी हरकतों पर पर्दा डाले या फिर अगली बार चुनाव में उन्हें सबक सिखाए।
